चंडीगढ़: मिड डे मील वर्कर्स यूनियन हरियाणा के आह्वान पर आज प्रदेश के विभिन्न जिलों में मिड डे मील वर्कर्स ने अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन किया. इस दौरान उन्होंने अपनी लंबित मांगों को लेकर मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा. मिड डे मील वर्कर्स 6 माह से बकाया मानदेय देने और न्यूनतम वेतन 26 हजार रुपये करने के साथ ही उन्हें स्थाई करने की मांग कर रहे हैं. वर्कर्स ने सरकार से उन्हें पीएफ, ईएसआई और बोनस देने की भी मांग की है.
हरियाणा में मिड डे मील वर्कर्स यूनियन के बैनर तले वर्कर्स ने मंगलवार को जिला स्तर पर प्रदर्शन किया. भिवानी में मिड डे मील वर्कर्स ने जोरदार प्रदर्शन किया और शिक्षा मंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा. प्रदर्शन को संबोधित करते हुए सीटू व यूनियन नेताओं ने कहा की समाज के सबसे गरीब तबके से आने वाली मिड डे मील वर्कर्स को कमरतोड़ महंगाई होने के बावजूद महज 7 हजार रुपये महीने मानदेय में ही अपना और परिवार का गुजारा करना पड़ रहा है.
हरियाणा में बुधवार को मिड डे मील वर्कर्स ने प्रदर्शन किया. पढ़ें :बाल विवाह में शामिल हुए तो हो सकती है जेल, अक्षय तृतीया को लेकर पुलिस-प्रशासन सतर्क
मिड डे मील वर्कर्स का करनाल में प्रदर्शन: करनाल लघु सचिवालय पर जिले से आए सैकड़ों महिला मिड डे मील वर्करों ने अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन किया. इस दौरान उन्होंने अपनी मांगों को लेकर जमकर नारेबाजी करते हुए अपनी लंबित मांगों को लेकर मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा. करनाल में प्रदर्शन के दौरान बड़ी संख्या में मिड डे मील वर्कर मौजूद रही. मिड डे मील वर्कर्स की जिला प्रधान शिमला ने कहा कि प्रदेश में पिछले करीबन 6 महीने से मिड डे मील वर्करों को मानदेय नहीं मिल रहा है.
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मिड डे मील वर्कर्स की आर्थिक स्थिति खराब: वर्कर्स को ना ही कुकिंग कोस्ट का पैसा दिया जा रहा है. लंबे समय से मानदेय नहीं मिलने के कारण वर्करों की आर्थिक स्थिति बेहद खराब हैं. अधिकांश मिड डे मील वर्कर या तो अनपढ़ हैं या फिर अधिकतर विधवा हैं, ऐसे में उनके घर में कमाने का भी कोई अन्य साधन नहीं है. इस स्थिति में वह अपने घर का गुजर-बसर कैसे करें, इसलिए मजबूरन आज जिलेभर की मिड डे मील वर्कर को प्रदर्शन करना पड़ रहा है.
भिवानी में वर्कर्स ने दी चेतावनी: भिवानी में महिला मिड डे मील वर्करों ने प्रदर्शन किया. मिड डे मील वर्करों का कहना है कि 7 हजार रुपये महीने मानदेय भी 6-6 माह तक नहीं मिल रहा है, जिसके चलते उनकी आर्थिक परेशानी दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है.. उन्होंने आरोप लगाया कि जन विरोधी भाजपा सरकार इन गरीब महिलाओं का शोषण कर रही है. सीटू जिला सचिव अनिल कुमार ने कहा कि शिक्षा विभाग व सरकार वर्कर्स की भारी उपेक्षा कर रही है. उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र व राज्य सरकार ने 4 नए लेबर कोड लागू कर मजदूरों को गुलामी के दलदल में धकेल दिया है. उन्होंने सरकार से इस जनविरोधी कदम को वापस लेने की मांग की है. इस दौरान वर्कर्स ने 28 अप्रैल तक उनकी मांगें नहीं मानने पर हड़ताल करने की चेतावनी दी है.