हरियाणा

haryana

ETV Bharat / state

हरियाणा-दिल्ली जल विवाद: सीएम ने मॉनिटरिंग कमेटी की सिफारिश मानने से किया इंकार - मनोहर लाल यमुना मॉनिटरिंग कमेटी सिफारिश

मुख्यमंत्री लाल ने रिवर यमुना मॉनिटरिंग कमेटी की सिफारिश को मानने से इंकार कर दिया है. उन्होंने कहा कि कमेटी की इस सिफारिश पर हरियाणा की घोर आपत्ति है, जिसे कभी नहीं माना जा सकता है.

manohar lal refuses to accept river yamuna monitoring committee's recommendation on haryana delhi water dispute
फिर गहरा सकता है हरियाणा-दिल्ली जल विवाद

By

Published : Jul 10, 2020, 3:44 PM IST

दिल्ली/चंडीगढ़: दिल्ली और हरियाणा के बीच जल विवाद एक बार फिर गहरा सकता है. हरियाणा ने रिवर यमुना मॉनिटरिंग कमेटी की सिफारिश को मानने से इंकार कर दिया है. कमेटी के आदेश को तथ्यात्मक रूप से खारिज करने और इस आदेश पर कड़ी आपत्ति जताने के लिए हरियाणा के मुख्यमंत्री ने केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत से मुलाकात की. उनके साथ राज्य में सिंचाई विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव देवेंद्र सिंह भी मौजूद थे.

'हरियाणा का पक्ष जाने बिना लिया फैसला'

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने बताया कि 1994 में हुए जल समझौते के अनुसार हरियाणा 2015 तक यमुना में अपने हिस्से के पानी में से 4 क्यूमेक पानी छोड़ रहा था. इसके बाद 2015 में जब नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने ये आदेश दिया कि इस पानी की मात्रा बढ़ाकर 10 क्यूमेक कर दी जाए तो हरियाणा ने वो आदेश भी मान लिया. अभी तक हरियाणा 10 क्यूमेक पानी दिल्ली को दे रहा है.

सीएम ने कहा कि अब रिवर यमुना मॉनिटरिंग कमेटी ने बिना हरियाणा का दृष्टिकोण जाने दिल्ली के लिए छोड़े जाने वाले पानी की मात्रा को बढ़ाने के लिए कहा है. सीएम ने कहा कि कमेटी ने बिना हरियाणा के बारे में सोचे पानी को 10 से बढ़ाकर 22 क्यूमेक करने की सिफारिश की है, जो किसी भी हाल में मुमकिन नहीं है.

हरियाणा ने कमेटी की सिफारिश मानने से इंकार किया

मुख्यमंत्री ने कहा कि कमेटी की इस सिफारिश पर हरियाणा की घोर आपत्ति है, क्योंकि किसी भी हाल में 22 क्यूमेक पानी देना संभव ही नहीं है. खासकर कि दिसंबर, जनवरी, फरवरी और मार्च में, क्योंकि इन महीनों में यमुना में हथिनी कुंड से जो पानी आता है, उसमें से 40 से 50 क्यूमेक पानी ही यमुना में छोड़ा जाता है. जिसमें से 10 क्यूमेक यमुना के लिए छोड़ा जाता है.

'ज्यादा पानी छोड़ा तो हरियाण में हो जाएगी किल्लत'

20 क्यूमेक के लगभग दिल्ली के लिए छोड़ा जाता है, यानी कुल 30 क्यूमेक पानी हरियाणा पहले ही छोड़ देता है. ऐसे में हरियाणा के पास 20 से 30 क्यूमेक पानी ही बचता है, जो प्रदेश की जनता के काम आता है. इस पानी को अगर और कम कर दिया जाएगा तो इससे हरियाणा में पानी की किल्लत होना तय है.

ये भी पढ़िए:दिल्ली: मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने की पीएम मोदी से मुलाकात, प्रदेश अध्यक्ष के नाम पर चर्चा

उन्होंने कहा कि हरियाणा सतलुज यमुना लिंक (एसवाईएल) नहर निर्माण का मुद्दा प्रमुखता से उठा रहा है. जब तक एसवाईएल नहर का पानी हरियाणा को नहीं मिल जाता तब तक इस तरह के निर्णय लागू नहीं होने चाहिए. मुख्यमंत्री ने बताया कि जल शक्ति मंत्रालय के सचिव यूएन सिंह इस विवाद का हल करेंगे. केंद्रीय मंत्री शेखावत ने भी इस निर्णय से अहसमति जताई है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details