चंडीगढ़: हरियाणा के गुरुग्राम में खुले में जुमे की नमाज (Gurugram Namaz Controversy) पढ़ने का मामला शांत होता नहीं दिख रहा है. पिछले कुछ महीने से लगातार मुस्लिम समाज के गुरुग्राम में खुले में जुमे की नमाज पढ़ने का कई हिंदू संगठन विरोध कर रहे हैं. इस बीच हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर (Manohar lal khattar) ने हरियाणा विधानसभा शीतकालीन सत्र (Haryana Assembly Winter Session) के दौरान मंगलवार को बड़ा बयान दिया है. मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने विधानसभा में कहा कि किसी भी समुदाय को सार्वजनिक स्थान पर धार्मिक प्रार्थना नहीं करनी चाहिए.
दरअसल कांग्रेस विधायक आफताब अहमद ने मंगलवार का सत्र के दौरान गुरुग्राम में खुले में नमाज पढ़ने का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि कुछ समाज के ठेकेदार उसमें रुकावट पैदा कर रहे हैं. धर्म कोई भी हो, लेकिन उसको आस्था के हिसाब से पालन करने का अधिकार है, लेकिन किसी को रोका नहीं जा सकता. गुरुग्राम में करोड़ों रुपए का निवेश हुआ है, लेकिन इसके बावजूद भी लोग अपनी मर्जी से नमाज नहीं पढ़ सकते. सरकार नमाज पढ़ने के लिए वक्फ बोर्ड ईदगाह, मस्जिद की जमीनों पर जो कब्जे किए हुए हैं उन्हें हटवाए और समाज के लोगों को दी जाए ताकि वे खुले में नमाज पढ़ने के लिए विवश ना हो. सरकार उन्हें पर्याप्त जगह उपलब्ध करवाएं. मुख्यमंत्री ने 10 दिसंबर को बयान दिया था कि खुले में नमाज नहीं पढ़ने दी जाएगी. जबकि मुख्यमंत्री पूरे प्रदेश के रखवाले हैं.
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इस पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि किसी भी समाज के व्यक्तियों को खुले में धार्मिक काम करने की इजाजत नहीं होगी. वह अपने धार्मिक संस्थानों में ही करें. इससे समाज का भाईचारा बना रहेगा. मुझे खुशी है कि लोगों ने गुरुग्राम में मिलकर कुछ स्थान तय किए हैं. सरकार भी काम कर रही है. इस मामले को ज्यादा तूल देने से सौहार्द खराब होगा. यह स्थानीय समस्या है. नमाज पढ़ना व्यक्तिगत इबादत का मसला है. हर कोई अपने हिसाब से करता है, लेकिन दिखावा नहीं करना चाहिए. इससे दूसरे वर्गों की भावनाएं भड़क सकती हैं. हिंदू धर्म में रामायण, जगराते आदि भी होती हैं, लेकिन उनकी सरकार से अनुमति लेनी होती है.