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ईटीवी भारत ने किया ऑनलाइन एजुकेशन का रियलिटी चेक - लॉकडाउन में ऑनलाइन क्लासेस

कोरोना वायरस के कहर के मद्देनजर देश में लॉकडाउन के चलते हर तरह की गतिविधि पर रोक लग गई है. स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय सब बंद हैं. ऐसे में ऑनलाइन क्लासेस शिक्षा का माध्यम बन रही हैं.

Lawdown Online classes become medium of education
Lawdown Online classes become medium of education

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Published : Apr 16, 2020, 8:53 PM IST

Updated : Apr 16, 2020, 11:28 PM IST

चंडीगढ़ः कोरोना वायरस के इस दौर में जब लोग लॉकडाउन के चलते घरों में बंद हैं. ऐसे में ज्यादातर स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय सभी ऑनलाइन क्लास के जरिए छात्रों को शिक्षा देने के काम में जुटे हैं.

पंजाब विश्वविद्यालय में चल रही ऑनलाइन क्लास

ऐसे में ईटीवी भारत की टीम ने ऑनलाइन क्लास में शामिल होकर एक नया अनुभव लिया. ईटीवी भारत की टीम पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ के हिंदी विभाग की क्लास में शामिल हुई और यह जानने की कोशिश की कि क्लासेस कैसे चल रही हैं और छात्र कैसा अनुभव कर रहे हैं ? साथ ही शिक्षक किस तरह से छात्रों को पढ़ा रहे हैं ?

देश में लॉकडाउन के चलते ऑनलाइन क्लासेस बन रही शिक्षा का माध्यम

शिक्षकों के लिए भी नया अनुभव

इस दौरान पंजाब विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के प्रोफेसर गुरमीत सिंह ने कहा कि उनके लिए भी यह एक नया अनुभव है. ऑनलाइन क्लासेस क्लास रूम का विकल्प तो नहीं हो सकती. लेकिन हमें हर परिस्थिति का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए. छात्रों की पढ़ाई का नुकसान ना हो उसके लिए या माध्यम सही है. ऐसे हालतों में यह एक बेहतर विकल्प है.

छात्रों के लिए बेहद उपयोगी माध्यम

ऑनलाइन क्लासेस में शामिल हुए छात्रों का भी मानना है कि यह माध्यम काफी उपयोगी है. इससे वह भी नई तकनीक के माध्यम से शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं, जो मौजूदा दौर में एक नए अनुभव के साथ हालात के मुताबिक एक जरूरी चीज है. छात्रों के लिए भी यह उनके जीवन का एक नया अध्याय है. लॉकडाउन के दौरान इससे काफी कुछ नया सीखने को मिल रहा है. इस माध्यम से दूरदराज के छात्रों को भी लाभ मिल रहा है और इस माध्यम का उपयोग छुट्टियों के दौरान भी हो सकता है.

तकनीक का ज्ञान सबके लिए जरूरी

लॉकडाउन के दौर में कई सारी चीजें रुक गई हैं. लेकिन तकनीक के जरिए ज्ञान लोगों तक पहुंच रहा है. प्रोफेसर गुरमीत सिंह का कहना है कि शिक्षक और छात्रों दोनों को नई तकनीक को सीखने की जरूरत है. हालांकि छात्र या नई पीढ़ी तकनीकी तौर पर काफी अच्छी समझ रखती है. इसलिए वह इसमें काफी जल्दी ढल जाते हैं. जबकि शिक्षकों को को इस माध्यम का सहारा लेने के लिए काफी कुछ सीखना पड़ रहा है.

सोशल डिस्टेंसिंग के दौरान बोरियत दूर करने का माध्यम

प्रोफेसर गुरमीत के मुताबिक यह माध्यम सिर्फ पढ़ाई के लिए ही जरूरी नहीं है. हमारे सामाजिक दायरे को बढ़ाने के लिए भी यह अहम है. इससे लोग लॉकडाउन के इस पीरियड में भी एक दूसरे से जुड़े रहते हैं. इससे सब का मन भी बातचीत करके हल्का हो जाता है, जिससे मानसिक दबाव भी कम होता है. वहीं तकनीक के चलते सोशल डिस्टेंस सिर्फ फिजिकल डिस्टेंस में बदलती जा रही है.

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Last Updated : Apr 16, 2020, 11:28 PM IST

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