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चंडीगढ़ में 95 ठेकों में से तीसरी बार की गई ऑक्शन, 54 की हुई नीलामी - liquor price in chandigarh

चंडीगढ़ में शराब ठेकों की नीलामी की गई (liquor Auction contracts in Chandigarh) है. 95 शराब ठेकों में बोलियां लगाई गईं, जिसमें से 54 ठेकों के नीलामी की गई है.

liquor Auction contracts in Chandigarh
liquor Auction contracts in Chandigarh

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Published : Mar 24, 2023, 7:50 PM IST

चंडीगढ़: शराब की बिक्री के पहले दो दौर की नीलामी के बाद यूटी आबकारी और कराधान विभाग ने अधिक खरीदारों को आकर्षित करने के प्रयास में बिना बिके शराब की दुकानों के आरक्षित मूल्य को कम कर दिया है. 15 और 21 मार्च को हुई पहली दो नीलामी के माध्यम से विभाग शहर की 95 शराब की दुकानों में से केवल 54 की नीलामी करने में सफल रहा था.

वहीं 95 में से बचे 41 शराब के ठेकों के लिए बोली आमंत्रित करते हुए विभाग ने आरक्षित मूल्य को 3% से घटाकर 5% कर दिया है. आबकारी विभाग ने अपनी ऑफीशियल वेबसाइट पर 27 मार्च को चौथे चरण की नीलामी के लिए बोली रखी है. हालांकि, 15 मार्च को हुई नीलामी में शराब की छह दुकानें खरीदने वाले कलेर वाहन के मालिक दर्शन सिंह कलेर ने कहा था कि आरक्षित मूल्य में कटौती से कोई मदद नहीं मिलेगी क्योंकि यह बहुत मामूली है. जब तक प्रशासन उत्पाद शुल्क और वैट को कम नहीं करता, तब तक अन्य दुकानों में इन्वेस्ट करना कोई फायदा नहीं होगा.

इसके साथ ही ऑक्शन में शामिल हुए वेंडरों का कहना था कि पूरे ट्राइसिटी चंडीगढ़ में शराब के दाम एक जैसे हैं. इसलिए, जब तक चंडीगढ़ प्रशासन पड़ोसी राज्यों से बेहतर भत्तों की पेशकश नहीं करता, ठेकेदार चंडीगढ़ में निवेश नहीं करेंगे. इसलिए 15 मार्च को हुई नीलामी में 95 में से केवल 43 को खरीदार मिले थे, जो 202 करोड़ आरक्षित रखे मूल्य के मुकाबले 221 करोड़ तक नीलामी गई थी.

ऐसे में पलसोरा में एक ठेके का मूल्य 9.60 करोड़ के आरक्षित मूल्य के मुकाबले 11.65 करोड़ की उच्चतम बोली लगाई थी. हैरानी की बात यह है कि पंजाब सीमा (मुल्लांपुर) के पास स्थित धनास में पिछले दो वर्षों से सबसे अधिक बोली लगा रहे शराब के ठेके को कोई खरीदार तक नहीं मिला. पिछले साल उसे अब तक की सबसे ज्यादा 12.78 करोड़ रुपये में नीलाम किया गया था. यहां तक कि खुदा लाहौरा ठेका भी नहीं बिका. वहीं 21 मार्च को बाद की नीलामी में शेष 52 में से केवल 11 की नीलामी हुई, जिससे विभाग को 51.27 करोड़ रुपए के आरक्षित मूल्य के मुकाबले 54.85 करोड़ रुपए का फायदा हुआ था.

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वहीं वित्तीय वर्ष के अंत से पहले एक सप्ताह शेष होने के कारण विभाग अपने शराब राजस्व लक्ष्य को भी हासिल नहीं कर पाया है, जोकि अपनी उत्पाद आय में और सेंध लगाने के लिए निर्धारित है. 2022-23 के लिए आबकारी विभाग द्वारा 887 करोड़ रुपए के लक्ष्य रखा गया ‌था, जिसके चलते प्रशासन ने अब तक कुल 800 करोड़ रुपए का रेवेन्यू इकट्ठा किया है, जोकि कुल लक्ष्य से 90% है. पिछले 2021-22 वित्तीय वर्ष में यूटी ने 806 करोड़ के वार्षिक लक्ष्य के मुकाबले सिर्फ 724 करोड़ एकत्र करके 89% लक्ष्य हासिल किया था.

वहीं 21 मार्च को बाद की नीलामी में शेष 52 में से केवल 11 की नीलामी हुई, जिससे विभाग को 51.27 करोड़ रुपए के आरक्षित मूल्य के मुकाबले 54.85 करोड़ रुपए का फायदा हुआ था. वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए विभाग ने शराब के ठेकों की लाइसेंस फीस के लिए 830 करोड़ रुपये का लक्ष्य निर्धारित किया है. दो नीलामियों से अब तक कुल 276.4 करोड़ रुपए अर्जित करने के बाद, यह 553.6 करोड़ रुपए का अंतर पाया जा रहा है. पिछले साल 2022 में विभाग को सात नीलामी करनी पड़ी थी.

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