चंडीगढ़: कम वक्त में ज्यादा पैसे कमाने की चाहत और बिना मेहनत किए अमीर बनने के सपने आज कल युवाओं को गुनाह की ओर खींचने लगे हैं. आज कल उम्र के युवा स्नैचिंग, लूट, चोरी जैसी वारदात को अंजाम दे रहे हैं.
स्कूल में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स अपने शौक को पूरा करने के लिए सुनसान रास्ते पर जा रही महिलाओं को निशाना बनाते हैं. जो पैसे और नशे की लत पूरी करने के लिए झपटमारी और लूटपाट जैसी वारदातों को अंजाम देते हैं. आए दिन हो रही स्नैचिंग पुलिस के लिए चुनौती बनता जा रहा है.
सीसीटीवी से रुकेगा क्राइम?
एसएसपी कुलदीप सिंह चहल के मुताबिक स्नैचिंग की वारदातों को रोकने के लिए शहर में सीसीटीवी कैमरे लगाए जा रहे हैं. साथ ही लोगों को जागरुक किया जा रहा है, लेकिन सवाल ये है कि आखिर युवा स्नैचिंग, चोरी जैसे दल-दल में क्यों धंसता जा रहा है, उसके आगे मजबूरी क्या है. इस पर हमने सीनियर क्राइम जर्नलिस्ट रमेश हांडा से बात की. उन्होंने इस क्राइम के बारे जो बताया वो चौंका देने वाला था.
किसी को ऐश तो किसी को नशे की लत ने बना दिया क्रिमिनल, देखें रिपोर्ट पीजी कल्चर से बढ़ी स्नेचिंग
पीजी कल्चर के अलावा चंडीगढ़ में स्नैचिंग का एक और बड़ा कारण ड्रग्स है. क्योंकि चंडीगढ़ और उससे लगते इलाकों में युवा ड्रग्स के आदी हैं. इनमें जो युवा चोरी-स्नैचिंग जैसी वारदातों को अंजाम दे रहे हैं, उनमें कई अमीर परिवारों से भी हैं.
गुनाह में धंसता शौकीन युवा
सीनियर क्राइम जर्नलिस्ट रमेश हांडा ने बताया कि चंडीगढ़ में 2005 से पीजी कल्चर शुरू हुआ तब से यहां स्नैचिंग की वारदातें शुरू हुई हैं. यहां पर पढ़ने के लिए आए युवाओं के लिए सिर्फ पढ़ने के लिए घर से पैसे आते थे, लेकिन ऐसे में शौक पूरे करने को वो क्या करें? और ऊपर से यहां पर नशे का प्रकोप ज्यादा है. नशा और जरूरतों ने युवाओं को स्नैचर बना दिया. इसमें गरीब ही नहीं अमीरजादे भी शामिल हैं.
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पुलिस की लाख कोशिशों के बावजूद स्नैचिंग, लूटपाट जैसी वारदाते थमने का नाम नहीं ले रहे. शहर में आए दिन कहीं ना कहीं से स्नैचिंग की वारदात सामने आ रही हैं. इस पर मौजूदा हालात को देखकर नहीं लगता कि पुलिस की कार्रवाई का कोई असर होगा. क्योंकि इन अपराधों की वजह कोई जरूरत नहीं. बल्कि शौक पूरा करना है.