दिल्ली/चंडीगढ़ःराज्यसभा सदस्य कुमारी सैलजा ने एक बार फिर राज्यसभा में अरावली के मुद्दे को उठाया है. पंजाब भू परीक्षण विधेयक (पीएलपीए) में हरियाणा सरकार द्वारा किए गए संशोधन पर कुमारी सैलजा ने सवाल उठाए हैं.
शीतकालीन सत्र में सदन की कार्रवाई के दौरान कुमारी सैलजा ने बताया कि अरावली का ज्यादातर हिस्सा जंगल के क्षेत्र से बाहर है. उन्होंने कहा कि पीएलपीए के लागू होने से अरावली को काफी नुकसान हुआ है. सुप्रीम कोर्ट का हवाला देते हुए कुमारी सैलजा ने कहा कि उच्च न्यायालय ने वन विभाग क्षेत्रों के साथ छेड़छाड़ करने से साफ इंकार किया है. लेकिन उसके बावजूद हरियाणा सरकार ने पीएलपीए एक्ट लागू किया है.
राज्यसभा में गूंजा PLPA एक्ट का मुद्दा वन क्षेत्रों का 47 प्रतिशत नुकसान- सैलजा
अरावाली के मुद्दे को उठाते हुए कुमारी शैलजा ने कहा कि हरियाणा भारत का सबसे कम वन क्षेत्र वाला प्रदेश है. जहां केवल साढ़े तीन प्रतिशत फॉरेस्ट कवर है. इसका ज्यादातर हिस्सा उत्तर में शिवालिक में है और बाकी अरावली में शामिल है.
उन्होंने कहा कि अरावली का कुछ हिस्सा ऐसा भी है जिसे कानूनी तौर पर वन क्षेत्र नहीं माना गया है. उन्होंने बताया कि मिनिस्ट्री ऑफ फॉरेस्ट एंड इनवायरमेंट ने कहा है कि 1999 से लेकर 2019 के बीच हरियाणा के एनसीआर और अरावली सहित प्राकृतिक संरक्षण क्षेत्रों में 47 प्रतिशत का नुकसान हुआ है.
PLPA से हुआ वन क्षेत्रों को नुकसान- सैलजा
कुमारी शैलजा ने हरियाणा सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि अब तक 57728 हेक्टेयर जमीन का नुकसान हुआ है. उन्होंने कहा कि वन क्षेत्रों के इतने नुकसान होने के बावजूद हरियाणा सरकार ने 27 फरवरी 2019 को पीएलपीए एक्ट को लागू कर दिया है. जिसके कारण 19सौ का एक्ट कमजोर हो गया है. सैलजा ने कहा कि पीएलपीए एक्ट ने 130 गांवों के पहाड़ी क्षेत्रों में 74हाजर एकड़ भूमि को वन क्षेत्र से बाहर कर दिया है.
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ग्रीन लंग्स है अरावली
राज्यसभा में सैलजा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने भी ऑडर दिए थे कि वन क्षेत्रों को चिन्हित किया जाए लेकिन हरियाणा सरकार ऐसा नहीं कर रही.कुमारी सैलजा ने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने सख्त आदेश दिए थे कि अरावली को हर हालत में बचाया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि तमाम एनसीआर समेत हरियाणा के लिए अरावली को बचाना जरूरी है क्योंकि अरावली एनसीआर के लिए ग्रीन लंग्स का काम कर रही है.
फॉरेस्ट टास्क फोर्स के गठन की मांग
कुमारी सैलजा ने कहा कि ऐसे में मेरी मांग है सरकार एक फॉरेस्ट टास्क फोर्स का गठन करे. ये फॉरेस्ट टास्क फोर्स का काम होगा कि 2024 तक फॉरेस्ट कवर को 5 प्रतिशत बढ़ाया जाए और 2030 तक इसे 10 प्रतिशत तक पहुंचाया जाए.