चंडीगढ़:आरक्षण को लेकर हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी सैलजा ने भाजपा सरकार और आरएसएस पर बड़ा वार किया है. उनका आरोप है कि दोनों मिलकर आरक्षण को खत्म करने की साजिश रच रहे हैं. उन्होंने कहा कि भाजपा-आरएसएस किसी न किसी तरीके से आरक्षण को देश के संविधान से निकालने की कोशिश कर रहे हैं. पिछले कई वर्षों में ऐसे कई मौके आए जब भाजपा और आरएसएस की आरक्षण विरोधी मानसिकता का पर्दाफाश हुआ है.
सैलजा ने कहा कि 2015 में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने खुद कहा था कि आरक्षण की समीक्षा होनी चाहिए. उसके बाद दिल्ली में रविदास मंदिर को तोड़ा गया. भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी भी कह चुके हैं कि हमारी सरकार आरक्षण को उस स्तर पर पहुंचा देगी, जहां उसका होना या नहीं होना बराबर होगा.
सैलजा ने कहा कि सुब्रमण्यम स्वामी के इस कथन से भाजपा सरकार की आरक्षण को अन्य तरीकों से खत्म करने की साजिश का पर्दाफाश हुआ था. इसी का नतीजा है कि केंद्र सरकार ने नौकरशाही में बाहर के क्षेत्रों से जानकारों को लाने की एक नई प्रणाली लागू की, जिसमें उम्मीदवारों से कोई परीक्षा नहीं ली जाएगी और उनकी नियुक्तियों में कोई आरक्षण भी लागू नहीं होगा.
'लेटरल एंट्री से आरक्षण को किया जा रहा खत्म'
हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि अभी यूपीएसससी की सिविल सर्विस परीक्षा में कम से कम 50 प्रतिशत अफसर एससी-एसटी-ओबीसी कैटेगरी से आते हैं, वैसा इन नियुक्तियों में नहीं होगा. इसे लेटरल एंट्री नाम दिया गया है. वर्ष 2017 में सरकार ने बताया कि 747 अफसर डायरेक्टर और ऊपरी रैंक के हैं, जिनमें से सिर्फ 8 प्रतिशत एससी समुदाय और 3 प्रतिशत एसटी वर्ग के थे. अब लेटरल एंट्री इस नंबर को और कम कर देगी. ये लेटरल एंट्री इस सरकार की आरक्षण को खत्म करने की साजिश का एक बड़ा उदाहरण है.