गुरुग्राम: हरियाणा के मानेसर स्थित बायो सेंसर नाम की साउथ कोरियन कंपनी ने 'कोविड-IGGIGM' नाम से किट बनाया है. दावा किया जा रहा है कि इस किट के जरिए कोविड-19 के मरीज की पहचान 15 मिनट में की जा सकती है.
इस कंपनी के एमडी ही-चैंग-का के मुताबिक कोरोना वायरस की वजह से ना सिर्फ भारत में बल्कि पूरी दुनिया में काफी गंभीर स्थिति बनी हुई है. इसलिए वो कोशिश कर रहे हैं कि भारत को बचाने के अभियान में कुछ सहयोग कर सकें. उनकी कंपनी ने जो जांच किट बनाई है उसे पूरे भारत में सप्लाई करने की कोशिश की जाएगी. उनका कहना है कि वो भारत सरकार की मदद करने के लिए 24 घंटे सातों दिन काम कर रहे हैं. उनका अनुमान है कि इस महीने के आखिरी तक 10 लाख से ज्यादा किट तैयार कर लेंगे.
इस किट से क्या पता चलता है?
जब भी कोई व्यक्ति किसी वायरस का शिकार होता है तो उसके शरीर में उस वायरस से लड़ने के लिए एंटीबॉडी बनती हैं. रैपिड टेस्ट में उन्हीं एंटीबॉडी का पता लगाया जाता है. ऐसे में जिन लोगों में कोरोना संक्रमण के लक्षण कभी नहीं दिखते, उनमें भी ये आसानी से समझा जा सकता है कि वह संक्रमित है या नहीं, या पहले संक्रमित था या नहीं.
कैसे होता है टेस्ट?
'कोविड-IGGIGM' किट में अलग-अलग तरह के प्रोडक्ट, आईएफयू, स्पेसिमेन, ट्रांसफर डिवाइस, बफर बोटल, टेस्ट कैसेट होते हैं. इन्ही सभी उपकरणों से कोरोना-19 का रैपिड टेस्ट किया जाता है.
- सबसे पहले किट में मौजूद लैंसिंग डिवाइस से ब्लड लिया जाता है. इसके लिए फिंगर को वाइप के जरिए साफ किया जाता है.
- ऊंगली पर लगा लिक्विड सूख जाने के बाद कैपलरी डिवाइस से कैपलरी ब्लड निकाला जाता है और उसे स्पेसिमेन ट्रांसफर डिवाइस से किट के स्पेसिमेन वैल में डाल दिया जाता है. यह नमूना रक्त, प्लाज्मा या सीरम के रूप में हो सकता है.
- किट के डबल कार्ड में आईजीजी और आईजीएम कैसेट्स होते हैं. ब्लड को स्पेसिमेन ट्रांसफर डिवाइस के जरिए दोनों वैल में डाला जाता है.
- ब्लड डालने के बाद दोनों कैसेट्स के दूसरे छेद में बफर बोटल से तीन बूंदें एक केमिकल की डाली जाती हैं.
- 15 मिनट का इंतजार करना होता है.
परिणाम कैसे देखते हैं ?
निगेटिव परिणाम
अगर रैपिड टेस्ट किट पर सिर्फ एक गुलाबी लाइन ऊभरती है तो इसका मतलब है कि व्यक्ति निगेटिव है.