चंडीगढ़:किसान आंदोलन की वजह से हरियाणा में राजनीतिक समीकरण अचानक बदलने लगे हैं. किसान आंदोलन के समर्थन में दो निर्दलीय विधायकों ने सत्तासीन बीजेपी सरकार से समर्थन भी वापस ले लिया है. अब इस स्थिति में कांग्रेस कॉन्फिडेंस में आ चुकी है और सरकार के खिलाफ नो कॉन्फिडेंस मोशन लाने की बात कर रही है, लेकिन ये जानना भी जरूरी है कि क्या वाकई मौजूदा बीजेपी और जेजेपी सरकार को खतरा है?
सरकार की मौजूदा स्थिति और अविश्वास प्रस्ताव के असर के बारे में हम बात करें, उससे पहले हरियाणा विधानसभा की रूपरेखा जान लेते हैं. हरियाणा में 90 विधानसभा सीट हैं. किसी भी पार्टी को बहुमत हासिल करने के लिए कम से कम 46 सीटों पर कब्जा करना पड़ता है. साल 2019 में हुए हरियाणा विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 40 सीटों पर कब्जा किया. जेजेपी के 10 विधायकों ने जीत हासिल की. कांग्रेस ने 31 और इनेलो ने 1 सीटे हासिल की, वहीं 8 सीटों पर निर्दलीय विधायकों ने जीत का परचम लहराया.
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सरकार को मिला जेजेपी और निर्दलियों को समर्थन
2019 में बीजेपी को सबसे ज्यादा 40 सीटें मिलीं, लेकिन बहुमत हासिल करने के लिए 46 सीटों पर जीत जरूरी थी. ऐसे में सरकार बनाने में जेजेपी और निर्दलीय विधायकों ने बीजेपी को साथ दिया. बीजेपी ने अपने 40, जेजेपी के 10 और कुल 8 में से 7 निर्दलीय विधायकों के साथ कुल 57 हरियाणा में सरकार बनाई.
किसान आंदोलन में बदला समीकरण
अक्टूबर 2019 में बनी सरकार जेजेपी और निर्दलीय विधायकों के सहयोग से चल रही है, लेकिन केंद्र की बीजेपी सरकार की तरफ से लाए गए तीनों कृषि कानूनों की वजह से सरकार के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी जैसी स्थिति बनती जा रही है. ऐसे में प्रदेश की मुख्य विपक्षी पार्टी ने हालात को भांप लिया है. कांग्रेस की तरफ से सीधे-सीधे फ्लोर टेस्ट की बात की जा रही है.
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बजट सत्र में सबसे पहले लाएंगे अविश्वास प्रस्ताव- हुड्डा
गुरुवार को ईटीवी भारत से खास बातचीत में हरियाणा के नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि आगामी बजट सत्र में एपीएमसी एक्ट में अमेंडमेंट लाएंगे, ताकि जो एमएसपी से कम पर खरीद करें उसके खिलाफ कार्रवाई हो. इसके अलावा पहले ही दिन सदन में अविश्वास प्रस्ताव लाया जाएगा, जिससे स्पष्ट हो जाएगा कि कौन से विधायक किसानों के साथ हैं और कौन नहीं. अविश्वास प्रस्ताव लाने से सभी के चेहरे बेनकाब हो जाएंगे.
दो निर्दलीय विधायक ले चुके हैं सरकार से समर्थन वापस
हरियाणा मुख्य रूप से किसान बाहुल्य क्षेत्र है. ऐसे में महम से निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू और चरखी दादरी से विधायक सोमबीर सांगवान ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया, हालांकि अभी भी पांच विधायकों का समर्थन सरकार के साथ है. ऐसे में सरकार के समर्थन में सिर्फ 55 सीटें रह गई हैं, फिर भी सरकार बहुमत में है, क्योंकि अभी भी जेजेपी के 10 और 5 निर्दलीय विधायकों का साथ बरकरार है.