हरियाणा

haryana

ETV Bharat / state

जानिए ज्योतिष शास्त्र में होली की विशेष बाते और होलिका दहन का शुभ मुहूर्त - Astrologer Anish Vyas

खुशियों की फुहार का पर्व होली 18 मार्च (holi 2022) को खेली जाएगी. 17 मार्च गुरुवार को होलिका दहन किया जाएगा. इस बार होलिका दहन में भद्रा का साया है, ऐसे में भद्रा काल कब से कब तक है, इस बार की होली आपके लिए क्या खास लेकर आ रही है, आइये जानते हैं ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास और सुभेश शर्मन जी से.

holi 2022
holi 2022

By

Published : Mar 15, 2022, 5:13 PM IST

नई दिल्ली:चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को होली खेली जाती है, जबकि शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को होलिका दहन किया जाता है. इस बार रंगों वाली होली 18 मार्च को खेली जाएगी. होलिका दहन 17 मार्च को किया जाएगा. होली से आठ दिन पूर्व होलाष्टक लगता है. 10 मार्च से होलाष्टक लग रहा है. होली से पहले होलिका पूजन महत्वपूर्ण होता है. इस दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं.

होलिका दहन पर रहेगा भद्रा का साया :पंचांग के अनुसार 17 मार्च को होलिका दहन के लिए लोगों के पास केवल 1 घंटा 10 मिनट का समय रहेगा. इस दिन रात 9.02 से 10.14 तक जब भद्रा का पूंछ काल रहेगा, उस समय होलिका दहन किया जा सकता है. जो लोग इस अवधि में दहन नहीं कर पाएं वे रात डेढ़ बजे के बाद होलिका दहन करें. फागुन महीने के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 17 मार्च को दोपहर 1:29 से प्रारंभ होकर अगले दिन दोपहर 12.47 तक रहेगी. उदया तिथि में 18 मार्च को पूर्णिमा रहने पर इसी दिन होली खेली जाएगी.

जानिए ज्योतिष शास्त्र में होली की विशेष बाते और होलिका दहन का शुभ मुहूर्त

शास्त्रानुसार होलिका दहन में भद्रा टाली जाती है किंतु भद्रा का समय यदि निशीथकाल के बाद चला जाता है तो होलिका दहन (भद्रा मुख को छोड़कर) भद्रा पूंछ काल या प्रदोष काल में करना श्रेष्ठ बताया गया है. निशीथोत्तरं भद्रासमाप्तौ, भद्रामुखं त्यकतवा भद्रायामेव।।

नहीं होते भद्रा में शुभ कार्य :पुराणों के अनुसार भद्रा सूर्य की पुत्री और शनिदेव की बहन है. भद्रा क्रोधी स्वभाव की मानी गई हैं. उनके स्वभाव को नियंत्रित करने भगवान ब्रह्मा ने उन्हें कालगणना या पंचांग के एक प्रमुख अंग विष्टिकरण में स्थान दिया है. पंचांग के 5 प्रमुख अंग तिथि, वार, योग, नक्षत्र और करण होते हैं. करण की संख्या 11 होती है. ये चर-अचर में बांटे गए हैं. इन 11 करणों में 7वें करण विष्टि का नाम ही भद्रा है. मान्यता है कि ये तीनों लोक में भ्रमण करती हैं, जब मृत्यु लोक में होती हैं, तो अनिष्ट करती हैं. भद्रा योग कर्क, सिंह, कुंभ व मीन राशि में चंद्रमा के विचरण पर भद्रा विष्टिकरण का योग होता है, तब भद्रा पृथ्वीलोक में रहती हैं.

ये भी पढ़ें-रंगभरी एकादशी पर द्वारकाधीश मंदिर में खेली गई होली, देखें मनमोहक वीडियो

होलिका दहन मुहूर्त :पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ 17 मार्च को दोपहर 01:29 मिनट से हो रहा है. यह तिथि अगले दिन 18 मार्च को दोपहर 12:47 मिनट तक मान्य है. ऐसे में होलिका दहन 17 मार्च दिन गुरुवार को होगी, क्योंकि होलिका दहन के लिए प्रदोष काल का मुहूर्त 17 मार्च को ही प्राप्त हो रहा है. पंचांग के अनुसार, इस वर्ष होलिका दहन का मुहूर्त 17 मार्च को रात 09:02 मिनट से रात 10:14 मिनट के मध्य है. होलिका दहन के लिए एक घंटा 10 मिनट का समय प्राप्त होगा. जब पूर्णिमा तिथि को प्रदोष काल में भद्रा न हो, तो उस समय होलिका दहन करना उत्तम होता है. यदि ऐसा नहीं है तो भद्रा की समाप्ति की प्रतीक्षा की जाती है. हालांकि भद्रा पूंछ काल के दौरान होलिका दहन किया जा सकता है. इस वर्ष भद्रा पूंछ रात 09:06 बजे से 10:16 बजे तक है. भद्रा वाले मुहूर्त में होलिका दहन अनिष्टकारी होता है. भद्रा समाप्ति के बाद होलिका दहन मुहूर्त 17 मार्च को देर रात 01:12 बजे से अगले दिन 18 मार्च को प्रात: 06:28 बजे तक.

हरियाणा की विश्वसनीय खबरों को पढ़ने के लिए गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड करें Etv Bharat APP

ABOUT THE AUTHOR

...view details