चंडीगढ़: हरियाणा विधानसभा का मानसून सत्र पहले दिन की कार्यवाही के बाद अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया. हरियाणा विधानसभा सत्र में बुधवार को कुल 12 विधेयक पारित किये गए. मानसून सत्र में जो बिल पास हुए हैं जानिए उनके बारे में-
हरियाणा ग्रामीण विकास (संशोधन) विधेयक, 2020
हरियाणा ग्रामीण विकास अधिनियम, 1986 में और संशोधन करने के लिए हरियाणा ग्रामीण विकास (संशोधन) विधेयक, 2020 पारित किया गया. अधिसूचित मार्केट क्षेत्र में खरीदने या बेचने या प्रसंस्करण के लिए लाई गई सब्जियों व फलों के बिक्री मूल्य पर एक प्रतिशत की दर से मूल्यानुरूप ग्रामीण विकास शुल्क लगाया जाना प्रस्तावित है. इसलिए ये विधेयक पारित किया गया है.
हरियाणा नगरपालिका क्षेत्रों में अपूर्ण नागरिक सुख-सुविधाओं तथा अवसंरचना का प्रबंधन (विशेष उपलब्ध) संशोधन विधेयक, 2020
हरियाणा नगरपालिका क्षेत्रों में अपूर्ण नागरिक सुख-सुविधाओं तथा अवसंरचना का प्रबंधन (विशेष उपलब्ध) अधिनियम, 2016 को आगे संशोधित करने के लिए हरियाणा नगरपालिका क्षेत्रों में अपूर्ण नागरिक सुख-सुविधाओं तथा अवसंरचना का प्रबंधन (विशेष उपलब्ध) संशोधन विधेयक, 2020 पारित किया गया है. अधिनियम 2016 में पालिका सीमाओं में पड़ने वाले उन क्षेत्रों को पहचानने के लिये अधिनियमित किया गया था. जहां 31 मार्च, 2015 से पहले 50 प्रतिशत प्लाटों पर निर्माण किया जा चुका है, ताकि नागरिक सुख-सुविधाओं तथा अवसंरचना प्रदान करने के लिये इन क्षेत्रों का नागरिक सुख-सुविधाओं और अवसंरचना अपूर्ण नगरपालिका क्षेत्र घोषित किया जाना है.
हरियाणा लिफ्टस तथा एस्केलेटर अधिनियम,(संशोधन) विधेयक, 2020
हरियाणा लिफ्टस तथा एस्केलेटर अधिनियम,2008 को आगे संशोधन करने के लिए हरियाणा लिफ्टस तथा एस्केलेटर अधिनियम,(संशोधन) विधेयक, 2020 पारित किया गया है. लिफ्टस तथा एस्केलेटर अधिनियम,2008 की धारा 2 और धारा 5 में संशोधन आम जनता की सुरक्षा को देखते हुए, जब बिजली की आपूर्ति अचानक बंद हो जाती है तो लिफ्ट में फंसने से बचाने के लिए आवश्यक है. उक्त अधिनियम की धारा 5 में तत्कालीन प्रावधान के अनुसार लिफ्टों में बिजली आपूर्ति ठप होने की स्थिति में लिफ्ट में फंसे यात्रियों को बचाने के लिए स्वाचालित बचाव यंत्र का उपयोग अनिवार्य है. विशेष रूप से जान व माल की सुरक्षा के लिए समस्या से निपटने के लिए 15 मीटर से अधिक ऊंचाई वाली ऊंची इमारतों में स्वाचालित बचाव यंत्र के स्थान पर आपातकालीन बचाव यंत्र का उपयोग बेहतर विकल्प होगा. इसलिए यह विधेयक पारित किया गया है.
हरियाणा नगर निगम (संशोधन) विधेयक, 2020
हरियाणा नगर निगम अधिनियम, 1994 को आगे संशोधित करने के लिए हरियाणा नगर निगम (संशोधन) विधेयक, 2020 पारित किया गया. हरियाणा नगर निगम अधिनियम, 1994 की धारा 4 (4) में उपबन्धित के अनुसार नवगठित नगर निगम का प्रथम चुनाव उसके गठन की तिथि से पांच वर्ष की अवधि के भीतर किया जाना आवश्यक है. अत: इस उपबंध के अनुसार नगर निगम, सोनीपत का चुनाव 5 जुलाई, 2020 तक करवाया जाना अपेक्षित था लेकिन कोविड-19 के कारण इस नगर निगम का चुनाव नहीं करवाया जा सका. इस उपबंध में संशोधन करके नगर निगम के गठन की तिथि से पांच वर्ष तथा छ: महीने के भीतर नवगठित नगर निगम का चुनाव करवाने के लिए सरकार को समर्थ बनाया जाएगा.
हरियाणा नगर पालिका (संशोधन) विधेयक, 2020
हरियाणा नगरपालिका अधिनियम, 1973 को आगे संशोधित करने के लिए हरियाणा नगर पालिका (संशोधन) विधेयक, 2020 पारित किया गया है. इस समय, हरियाणा राज्य में 22 जिले स्थापित हैं तथा 21 जिलों में उनके जिला मुख्यालय पर या तो नगर निगम या नगर परिषद अस्तित्व में हैं, जबकि नूंह के जिला मुख्यालय पर नगर पालिका अस्तित्व में है. हरियाणा नगर पालिका अधिनियम, 1973 में उपबन्धित अनुसार नगर परिषद घोषित करने के लिए कम से कम 50 हजार की जनसंख्या अपेक्षित है.
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जनगणना-2011 के अनुसार नूंह की जनसंख्या 16260 है तथा इसकी वर्तमान जनसंख्या 24390 तक पहुंच गई है. जिला मुख्यालय, नूंह में किए जाने वाले विकास कार्यों की गति बढ़ाने तथा निवासियों को बेहतर नागरिक सुख-सुविधाएं मुहैया कराने के लिए इस जिला मुख्यालय पर नगर परिषद होनी आवश्यक है.
नगर परिषद के गठन के बाद वरिष्ठ अधिकारियों का समूह कथित प्रयोजन के लिए स्वत: उपलब्ध होगा. इसलिए, नगरपालिका, नूंह को नगर परिषद के रूप में घोषित करने के प्रयोजन के लिए हरियाणा नगर पालिका अधिनियम, 1973 की धारा 2क में संशोधन किया जाना है.
हरियाणा अग्निशमन सेवा (संशोधन) विधेयक, 2020
हरियाणा अग्निशमन सेवा अधिनियम, 2009 को आगे संशोधित करने के लिए हरियाणा अग्निशमन सेवा (संशोधन) विधेयक 2020 पारित किया गया है. विधि और विधायी विभाग द्वारा 17 अगस्त, 2020 को जारी अध्यादेश द्वारा रिहायशी उद्देश्य के लिए 16.5 मीटर की ऊंचाई तक के चार-मंजिलों हेतु रिहायशी प्लॉटों पर से छूट प्रदान करने, अग्निशमन योजनाओं और अग्निशमन अनापत्ति प्रमाण-पत्र जारी करने के लिए हरियाणा अग्निशमन अधिनियम, 2009 की धारा-15 में संशोधन जारी किया गया.
हरियाणा अग्निशमन अधिनियम, 2009 की धारा-15 की प्रतिस्थापित उप-धारा-(1) के अनुसार ‘‘कोई भी व्यक्ति आवासीय उद्देश्य या 16.5 मीटर से अधिक के आवासीय भवन के अलावा किसी भी उद्देश्य के लिए उपयोग किये जाने वाले भवन का निर्माण करने का प्रस्ताव करता है और 15 मीटर से अधिक के अन्य आवासीय प्रयोजनों के लिए भूखण्ड पर प्रस्तावित ऊंचाई में, जैसाकि ग्रुप हाउसिंग, बहुमंजिला फ्लैट्स, वॉक-अप अपार्टमेंट आदि निर्माण शुरू होने से पहले, नेशनल बिल्डिंग कोड ऑफ इंडिया, आपदा प्रबंधन अधिनियम, के अनुरूप अग्निशमन योजना की मंजूरी के लिए आवेदन करेंगे जोकि आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005(2005 का केन्द्रीय अधिनियम 53) कारखाना, अधिनियम, 1948 (1948 का केन्द्रीय अधिनियम 63) और पंजाब कारखाना नियम, 1952 के मापदण्ड के अनुरूप हो और अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी करने हेतु शुल्क निर्धारित किया गया हो.’’
हरियाणा नगर मनोरंजन शुल्क (संशोधन) विधेयक, 2020
हरियाणा नगर मनोरंजन शुल्क अधिनियम, 2019 को संशोधित करने के लिए हरियाणा नगर मनोरंजन शुल्क (संशोधन) विधेयक, 2020 पारित किया गया है. सरकार द्वारा 8 जून,2017 को अधिसूचित हरियाणा माल तथा सेवा कर अधिनियम, 2017 के द्वारा पंजाब मनोरंजन शुल्क अधिनियम, 1955 (1955 का पंजाब अधिनियम, 16) को निरस्त किया गया है. तथापि, यहां अपवाद पंचायत या नगर पालिका या क्षेत्रीय परिषद या जिला परिषद द्वारा उदगृहीत तथा संग्रहित सीमा में लगाये गये शुल्क के अलावा था.
उपरोक्त के दृष्टिगत नगर पालिकाओं में मनोरंजन कार्य कलापों के माध्यम से विचार करने के दृष्टिगत, सरकार ने 27 अगस्त, 2019 को हरियाणा नगर पालिका, मनोरंजन शुल्क अधिनियम, 2019 अधिसूचित किया है अधिनियम में मुख्य रूप से ‘मनोरंजन में प्रवेश’ के माध्यम से मनोरंजन कार्यकलाप शामिल किए गए हैं जो सिनेमा हाल, प्रदर्शनी, तमाशा मन-बहलाव, खेल क्रीडा या दौड़ है जिसमें व्यक्ति साधारणत: भुगतान पर प्रवेश करते हैं.
हरियाणा नगरीय क्षेत्र विकास तथा विनियमन (द्वितीय संशोधन तथा विधिमान्यकरण) विधेयक, 2020
हरियाणा नगरीय क्षेत्र विकास तथा विनियमन अधिनियम, 1975 को आगे संशोधित करने के लिए हरियाणा नगरीय क्षेत्र विकास तथा विनियमन (द्वितीय संशोधन तथा विधिमान्यकरण) विधेयक, 2020 पारित किया गया. हरियाणा शहरी क्षेत्र विकास तथा विनियमन अधिनियम, 1975 के कुछ प्रावधानों के बारे में साधारण खंड अधिनियम, 1897 की धारा 21 एवं पंजाब साधारण खंड अधिनियम, 1956 की धारा 20 के अंतर्गत स्थापित कानूनी प्रावधानों के संज्ञान में, स्पष्ट वैधानिक प्रावधान करने हेतु तथा कुछ प्रावधानों के बारे में स्पष्टीकरण हेतु वर्तमान विधेयक प्रस्तावित है, जिसके फलस्वरूप, परस्पर विरोधाभाषी न्यायिक निर्णयों से उत्पन्न स्थिति में सामंजस्य स्थापित होगा.
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अत: उपरोक्त अधिनियमों की धाराओं के अनुरुप हरियाणा शहरी क्षेत्र विकास तथा विनियमन अधिनियम, 1975 में एक नई उपधारा 3क को समायोजित करने के लिए यह विधेयक पारित किया गया है. इनमें धारा 3 की उपधारा (2) के खंड (ड़) को हटाने तथा धारा 3 की उपधारा (2) के खंड (घ) के संशोधन का प्रस्ताव जोकि क्रमश: सभी कॉलोनियों तथा प्लाटिड के अलावा कॉलोनियों के बारे में है, धारा 3 के तहत निदेशक द्वारा जांच करने हेतु जो प्रावधान निरर्थक हो चुके हैं, उनको हटाना शामिल है. धारा 7क के अधीन अधिसूचित क्षेत्र में भूमि के रजिस्ट्रेशन से पूर्व अपेक्षित एन.ओ.सी. ‘दो कनाल’ तथा ‘कृषि भूमि’ के विद्यमान उपबन्धों को अप्राधिकृत कॉलोनियों के विरुद्ध कारगर निवारण करने के लिए उपबन्ध करने के उद्देश्य से ‘एक एकड़’ तथा रिक्त भूमि द्वारा बदला जाएगा. गिफ्ट-डीड के माध्यम से अन्तरण के लिए एन.ओ.सी. की अपेक्षा को भी उसी उद्देश्य से शामिल किया गया है.
हरियाणा राजकोषीय उत्तरदायित्व तथा बजट प्रबंधन (संशोधन) विधेयक, 2020
हरियाणा राजकोषीय उत्तरदायित्व तथा बजट प्रबंधन अधिनियम, 2005 को आगे संशोधित करने के लिए हरियाणा राजकोषीय उत्तरदायित्व तथा बजट प्रबंधन (संशोधन) विधेयक, 2020 पारित किया गया. केंद्रीय वित्त मंत्रालय द्वारा 17 मई, 2020 को जारी पत्र के मद्देनजर हरियाणा राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबन्धन अधिनियम, 2005 में आगे संशोधन अपेक्षित है. बारहवें वित्त आयोग की सिफारिशों के अनुसार, राज्य सरकार ने राजस्व घाटे को खत्म करने और राजकोषीय घाटे को निर्धारित सीमा तक कम करने के उद्देश्य से 6 जुलाई, 2005 की अधिसूचना के माध्यम से हरियाणा राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबन्धन अधिनियम, 2005, अधिनियमित किया था. इस अधिनियम के अनुसार, वर्ष 2008-09 तक राजस्व घाटे को शून्य पर लाया जाना था और राजकोषीय घाटे की सीमा सकल राज्य घरेलू उत्पाद के अधिकतम तीन प्रतिशत तक रखी गई थी.
राजस्व घाटे को शून्य तक लाने की शर्त में वर्ष 2008-09 तथा वर्ष 2009-10 के लिए ढील दी गई थी. राजकोषीय घाटे के सम्बन्ध में, ऋण समेकन तथा राहत सुविधा (डी.सी.आर.एफ.) के लिए केन्द्रीय वित्त मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के मद्देनजर लक्ष्य में वर्ष 2008-09 के लिए सकल राज्य घरेलू उत्पाद के तीन प्रतिशत से 3.5 प्रतिशत तथा वर्ष 2009-10 के लिए सकल राज्य घरेलू उत्पाद के 3.5 प्रतिशत से चार प्रतिशत की छूट दी गई थी. हरियाणा राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबन्धन अधिनियम, 2005 के अनुसार वर्ष 2005-06 से लेकर वर्ष 2009-10 तक आकस्मिक दायित्वों सहित बकाया कुल ऋण की सीमा अनुमानित सकल राज्य घरेलू उत्पाद का 28 प्रतिशत थी.
हरियाणा माल और सेवा कर (संशोधन) विधेयक, 2020
हरियाणा माल और सेवा कर अधिनियम, 2017 को आगे संशोधित करने के लिए हरियाणा माल और सेवा कर (संशोधन) विधेयक, 2020 पारित किया गया है. हरियाणा माल और सेवा कर अधिनियम, 2017(अधिनियम) को राज्य सरकार द्वारा माल या सेवाओं या दोनों की अंत:राज्य प्रदाय पर कर लगाने और संग्रह के प्रावधान के दृष्टिगत अधिनियमित किया गया था. 28 अप्रैल, 2020 को प्रकाशित अधिसूचना द्वारा हरियाणा के राज्यपाल ने हरियाणा माल और सेवा कर (संशोधन) अध्यादेश, 2020 (हरियाणा का अध्यादेश संख्या 1) को प्रख्यापित किया था. हरियाणा राज्य विधानमंडल के सत्र में नहीं होने के कारण अध्यादेश जारी किया गया था. महामारी कोविड-19 के फैलने के कारण करदाताओं को आने वाली परेशानियों और कठिनाइयों को दूर करने के लिए राज्य के द्वारा यह किया जाना अति आवश्यक था इसलिए, हरियाणा माल और सेवा कर अधिनियम, 2017 में समय सीमा के विस्तार सहित कुछ प्रावधानों को शिथिल करने के लिए अध्यादेश जारी किया गया था.
हरियाणा मूल्य वर्धित कर (संशोधन) विधेयक, 2020
हरियाणा मूल्य वर्धित कर अधिनियम, 2003 को आगे संशोधित करने के लिए हरियाणा मूल्य वर्धित कर (संशोधन) विधेयक, 2020 पारित किया गया. भारत सहित दुनिया के कई देशों में कोविड-19 महामारी के फैलाव के कारण लगे लॉकडाउन और देशव्यापी प्रतिबंध के कारण लॉकडाउन अवधि में वर्ष 2016-17 के कर निर्धारण या अन्य कार्यवाही को नियत तिथियों तक अंतिम रूप दिए जाने का कार्य पूरा नहीं हो सका था इसलिए इस समय मूल्य वर्धित कर अधिनियम,2003 में दी गई समय संबंधी अवधियों को बढ़ाने की आवश्यकता थी ताकि लंबित कार्यवाही पूरी की जा सके और किसी भी कार्यवाही को शुरू करने की आवश्यकता को अंतिम रूप दिया जा सके.
इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए मूल्य वर्धित कर अधिनियम, 2003 में एक नई धारा 18क के रूप में डाल कर पूरी की गई. चूंकि तब हरियाणा विधानसभा का सत्र नहीं चल रहा था, इसके लिए राज्यपाल द्वारा एक अध्यादेश 5 अगस्त, 2020 को पारित किया गया. इस निर्णय अनुसार हरियाणा मूल्य वर्धित कर (संशोधन) अध्यादेश, 2020 (2020 का हरियाणा अध्यादेश संख्या 2) को क्रियान्वित करना आवश्यक था.
हरियाण विनियोग (संख्या 3) विधेयक, 2020
यह विधेयक मार्च, 2021 के इकतीसवें दिन को समाप्त होने वाले वित्त वर्ष के दौरान सेवाओं के लिए हरियाणा राज्य की संचित निधि में से कतिपय राशियों के भुगतान और विनियोग का प्राधिकार देने के लिए पारित किया गया. भारत के संविधान के अनुच्छेद 204 (1) तथा 205 के अनुसरण में वित्त वर्ष 2020-21 के खर्च के लिए विधानसभा द्वारा दिए गए अनुपूरक अनुदानों को पूरा करने के लिए हरियाणा राज्य की संचित निधि में से अपेक्षित राशि के भुगतान एवं विनियोग का प्राधिकरण देने के लिये हरियाणा विनियोग (संख्या 3) विधेयक, 2020 पारित किया गया.
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