चंडीगढ़:हार्ट फेलियर एक ऐसी बीमारी है जिसके मरीज को लक्षण भी दिखाई नहीं देते. यह बीमारी मरीज के लिए बेहद घातक होती है. इसलिए इसे साइलेंट किलर कहा जाता है. लोगों को इस बीमारी के बारे में जागरुकता भी कम है. ज्यादातर लोगों को हार्टअटैक और हार्ट फेलियर के वर्क के बारे में भी नहीं पता है. जिस वजह से वे हार्ट फेलियर को हार्टअटैक मान लेते हैं. ऐसे में इस खतरनाक बीमारी के बारे में जागरुकता बेहद जरूरी है, इसलिए ईटीवी भारत की टीम ने हार्ट फैलियर को लेकर जाने-माने कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर एचके बाली से बातचीत की.
डॉ. एचके बाली ने बताया कि जब दिल की नसों में थक्के जमने से रुकावट पैदा होती है तो दिल की कुछ मांसपेशियां काम करना बंद कर देती हैं. जिसे हार्ट अटैक कहा जाता है, लेकिन हार्ट फेलियर इससे अलग है. दिल की कुछ मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं और दिल का पंपिंग एक्शन बिगड़ जाता है तो वह शरीर के सभी अंगों को खून की सप्लाई ठीक से नहीं कर पाता इसे हार्ट फेलियर कहते हैं.
दिल की मांसपेशियां कमजोर होने की वजह से व्यक्ति सांस जल्दी फूल जाती है. सीधा लेटने पर सांस फूलती है, शरीर या चेहरे पर सूजन आ जाती है. ऐसे मरीजों के दिल की धड़कन अनियंत्रित हो जाती है. जिससे मरीज की अचानक मौत भी हो सकती है.
हार्ट अटैक से पीड़ित मरीजों को सबसे ज्यादा खतरा
डॉक्टर बाली ने कहा कि हार्ट फेलियर किसी को भी हो सकता है, लेकिन इसके तीन मुख्य कारण हैं.
- पहला कारण है कि जिन लोगों को पहले हार्ट अटैक हो चुका है. उनको हार्ट फेलियर होने का सबसे ज्यादा खतरा है, क्योंकि हार्ट अटैक के बाद दिल की कुछ मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं. जिससे हार्ट फेलियर का खतरा बढ़ जाता है.
- इसका दूसरा कारण यह है कि अगर प्राकृतिक तौर पर किसी व्यक्ति की दिल की मांसपेशियां कमजोर है. तो उसे भी हर्ट फेलियर का खतरा ज्यादा होगा. हालांकि इसे रोकना मुश्किल है, लेकिन इसकी रफ्तार को धीमा किया जा सकता है.
- तीसरा बड़ा कारण है कि कई दवाइयां ऐसी हैं जो दिल को कमजोर करती हैं जैसे कैंसर की दवाइयां, लेकिन अगर इस बीमारी को समय रहते पहचान लिया जाए और समय से इलाज शुरू हो तो इसे रोका जा सकता है.
किसी भी उम्र में हो सकता है हार्ट फेलियर