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कोरोना का नया वेरिएंट XE कितना खतरनाक? चंडीगढ़ पीजीआई के डॉक्टर से लीजिए पूरी जानकारी

देश में कोरोना वायरस के मामलों में एक बार फिर से इजाफा देखने को मिल रहा है. कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच कोरोना के XE (Corona Omicron XE Variant) वेरिएंट ने चिंता बढ़ा दी है. ये वेरिएंट कितना खतरनाक है और लोगों को इससे अपना बचाव किस तरह से करना है, आइए जानते हैं इसके बारे में...

Covid 19 XE Variant
Covid 19 XE Variant

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Published : Apr 18, 2022, 7:58 PM IST

चंडीगढ़: देश में कोरोना के मामलों में एक बार फिर से धीरे-धीरे वृद्धि हो रही है. वहीं हरियाणा में भी कोरोना के केस अब फिर से बढ़ने लगे हैं. हरियाणा में जहां पिछले हफ्ते 500 से ज्यादा नए केस दर्ज किए गए थे वहीं इस हफ्ते इनकी संख्या बढ़कर 11 सौ से ज्यादा हो चुकी है. इसी बीच कोरोना का एक और वेरिएंट (Corona New Variant) सुर्खियों में आ गया है. दरअसल, गुजरात में कोविड-19 के ओमीक्रॉन के नए वेरिएंट का पहला केस मिला है, जिसका नाम ओमीक्रान XE (Corona Omicron XE Variant) है. इस वेरिएंट को ही तेजी से केस बढ़ने की मुख्य वजह माना जा रहा है. ऐसे में लोग यह सोचने लगे हैं कि कहीं फिर से कोरोना पहले की तरह न फैल जाए.

क्या है ओमीक्रॉन XE?-कोरोना के इस नए वेरिएंट को लेकर हमने चंडीगढ़ पीजीआई के स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के प्रोफेसर सोनू गोयल से खास बातचीत की. जिसमें उन्होंने बताया कि XE नया वेरिएंट नहीं है बल्कि यह ओमीक्रोन का सबवेरिएंट है. इसलिए यह ओमीक्रोन जैसा ही है, लेकिन इसके फैलने की क्षमता ओमीक्रोन से ज्यादा है. ओमीक्रॉन XE, ओमीक्रॉन के पुराने दो वर्जन BA.1 और BA.2 का म्यूटेंट वर्जन है. जिस वजह से यह ज्यादा तेजी से फैलता है. ये वेरिएंट सबसे पहली बार 19 जनवरी को यूके में पाया गया था.

कोरोना का नया वेरिएंट XE कितना खतरनाक? चंडीगढ़ पीजीआई के डॉक्टर से लीजिए पूरी जानकारी

कितना खतरनाक है ये वेरिएंट?-हालांकि इस बारे में नहीं कहा जा सकता कि यह कितना घातक साबित होगा, लेकिन कई ऐसे कारण हैं जिनके आधार पर यह माना जा सकता है कि ये ज्यादा खतरनाक साबित नहीं हो पाएगा. जिनमें से पहला कारण ये है कि ये ओमीक्रोन वेरिएंट का सब वेरिएंट है. ओमीक्रोन ज्यादा घातक सिद्ध नहीं हुआ था इसलिए ये भी कह सकते हैं कि XE भी ज्यादा घातक नहीं होगा. दूसरा कारण ये है कि इस समय देश में 90% लोग ऐसे हैं जो कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं और इस वजह से उनके शरीर में एंटीबॉडी भी बन चुकी है. जिससे ये लोगों को ज्यादा बीमार नहीं कर पाएगा. वहीं तीसरा कारण है कि इस समय देश की बड़ी जनसंख्या को वैक्सीन लगाई जा चुकी है. जिससे वे कोरोना से लड़ने में काफी हद तक सक्षम हो चुके हैं. इसलिए हमें ज्यादा घबराने की जरूरत नहीं है, लेकिन सतर्क रहने की जरूरत है.

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बूस्टर डोज को लेकर उन्होंने कहा कि बूस्टर डोज कारगर तो है, लेकिन जो लोग पहले कोरोना संक्रमित हो चुके हैं. उन्हें इसकी ज्यादा जरूरत नहीं है क्योंकि उनके शरीर में पहले से ही एंटीबॉडी बन चुकी है और अभी तक की रिसर्च में सामने आया है कि प्राकृतिक तौर से बनी एंटीबॉडी करीब 20 महीने तक शरीर में रहती है. ये अवधि बढ़ भी सकती है. जिससे वह लोग ज्यादा बीमार नहीं पड़ेंगे. लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि लोग सतर्क ना रहे और कोविड प्रोटोकोल का पालन ना करें. लोग मास्क जरूर पहने ताकि वे कोरोना से बचे रहे.

क्या हैं XE वेरिएंट के लक्षण?-यूके की स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी के मुताबिक, एक्सई में नाक बहने, छींकने और गले में खराश जैसे लक्षण होते हैं, जो वायरस के मूल स्ट्रेन के विपरीत होते हैं, क्योंकि मूल स्ट्रेन में आमतौर पर रोगी को बुखार और खांसी की शिकायत रहती है और साथ ही उसे किसी चीज का स्वाद नहीं आता और कोई गंध भी नहीं आती है. 22 मार्च तक इंग्लैंड में एक्सई के 637 मामलों का पता चला था.

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