चंडीगढ़:अगर आप इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं तो संभव है कि आप भी कभी ना कभी इंटरनेट पर फैले अपराध के मकड़जाल का शिकार हो जाएं, लेकिन आप पहले से ही कुछ सतर्कता अपना लेते हैं तो किसी बड़े नुकसान से बच सकते हैं.
आजकल सोशल मीडिया के जरिए ठगी या अन्य तरह के अपराध के मामले ज्यादा बढ़ रहे हैं. इंटरनेट के अपराधों को साइबर क्राइम कहा जाता है जिसमें कई प्रकार के अपराध आते हैं. साइबर क्राइम में ठगी, धोखाधड़ी, धमकी, कार्ड क्लोनिंग, छेड़छाड़ और आपत्तिजन कंटेंट शेयर या किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाने के अपराध प्रमुख रूप आते हैं.
ऐसा बहुत बार होता है जब लोगों को ये पता नहीं होता कि उनके साथ कुछ गलत हुआ है तो वो क्या करें? कहां जाएं और किससे शिकायत करें? लेकिन यहां हम आपको कुछ ऐसी बातें बताने जा रहे हैं जिन्हें ध्यान रखा जाए तो काफी हद तक इन अपराधों का शिकार होने से बचा जा सकता है.
जानिए कैसे और किन तरीकों से होता है साइबर क्राइम, एक्सपर्ट से जानें. कैसे और क्या होती साइबर ठगी ?
जाने-माने साइबर एक्सपर्ट राजेश राणा ने साइबर क्राइम को लेकर कहा कि साइबर क्रिमिनल लोगों से एक कदम आगे चलते हैं. साइबर क्राइम के जो तरीके सामने आ चुके हैं या लोग जिनके बारे में जान चुके हैं उन तरीकों को अपनाना छोड़कर नए तरीके खोजना शुरू कर देते हैं.
साइबर क्रिमिनल ज्यादातर लोगों की कमजोरी का फायदा उठाकर अपने अपराधों को अंजाम देते हैं. उदाहरण के लिए लॉकडाउन के बाद बहुत से लोग नौकरियों की तलाश कर रहे हैं और साइब रक्रिमिनल इसी का फायदा भी उठा रहे हैं. साइबर क्रिमिनल लोगों को ईमेल के द्वारा फर्जी ऑफर लेटर भेजते हैं और लोगों से उनकी नौकरी लगवाने का वादा करते हैं. जिसके बाद वो लोगों को कई तरह के खर्च बता कर उनसे पैसे ठगना शुरू कर देते हैं. जो व्यक्ति नौकरी की तलाश में होता है वो कई बार इनके झांसे में आ कर ठगी का शिकार हो जाता है.
'लोगों को बेकार का लालच छोड़ना होगा'
उन्होंने बताया कि कई बार ये ठग आपको कोई बड़ा गिफ्ट देने का लालच देकर आपसे आपकी व्यक्तिगत जानकारी हासिल कर लेते हैं. कई मामलों में ये लोग आपके लॉटरी निकलने की बात करते हैं और आपसे पैसे ठग लेते हैं. आपको ये सोचना चाहिए कि जब आपने कोई लॉटरी खरीदी ही नहीं है तो वो लगेगी कैसे ? लोगों को बेकार का लालच छोड़ना होगा, क्योंकि साइबर क्रिमिनल इसी लालच का सबसे ज्यादा फायदा उठाते हैं.
इसके अलावा, साइबर क्रिमिनल्स लोगों के सोशल मीडिया अकाउंट हैक कर लेते हैं और उसकी जरिए वो उनके दोस्तों और रिश्तेदारों से इमरजेंसी का बहाना बनाकर पैसे मांगे शुरू कर देते हैं और कई लोग इस बात को जान नहीं पाते और उन्हें पैसे दे देते हैं.
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राजेश राणा बताते हैं कि कई बार ओएलएक्स पर भी लोगों को ठगी का शिकार बनाते हैं. साइबर क्रिमिनल कोई चीज बेचने के नाम पर लोगों से ऑनलाइन ट्रांसफर की बात करते हैं और उनका यूपीआई नंबर ले लेते हैं. जिसके बाद वो उन्हें हजारों रुपये का चूना लगा जाते हैं.
उन्होंने कहा कि लोगों को इससे बचने के लिए सबसे पहले क्रिमिनल द्वारा दिए गए किसी भी लालच पर विश्वास करना छोड़ना होगा. लोगों को हर चीज अच्छी तरीके से वेरीफाई करनी चाहिए. इसके अलावा अपना एटीएम पिन, ओटीपी या अन्य जानकारी किसी से भी शेयर ना करें, क्योंकि कोई भी कंपनी या बैंक ऐसी जानकारी की मांग नहीं करता.
साइबर क्राइम से ऐसे बच सकते हैं
राजेश राणा ने कहा कि अपने कंप्यूटर और लैपटॉप पर अपनी प्राइवेसी सेटिंग्स को हमेशा इनेबल रखिए. कई लोग इसे डिसेबल कर देते हैं और साइबर क्रिमिनल इसका फायदा उठा लेते हैं. अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर अपना व्यक्तिगत फोन नंबर या ईमेल आईडी को हमेशा हाइड करके रखें और प्राइवेसी को ऑन रखें. अपना यूपीआई नंबर किसी के साथ भी शेयर ना करें. इस तरह की छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखकर हम साइबर क्राइम से बच सकते हैं.