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PU के कश्मीरी छात्रों ने जो कहा वो धारा 370 का विरोध करने वालों को गौर से सुनना चाहिए! - पंजाब विश्वविद्यालय

केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटा दी है. देश में खुशी की लहर है. ईटीवी संवाददाता ने इस मुद्दे पर पंजाब विश्वविद्यालय में पढ़ रहे कश्मीरी छात्र से बातचीत की. कश्मीरी छात्र विशाल ने ईटीवी से जो कुछ कहा वो धारा 370 हटाने का विरोध करने वाले नेताओं को भी सुनना चाहिए.

विशाल सूद, कश्मीरी छात्र

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Published : Aug 5, 2019, 8:38 PM IST

Updated : Aug 5, 2019, 9:01 PM IST

चंडीगढ़: कश्मीर के अलगाववादी नेता भले ही कश्मीर से धारा 370 के हटाए जाने का विरोध कर रहे हों, लेकिन कश्मीर के कुछ युवा केंद्र सरकार के इस फैसले से खुश हैं. चंडीगढ़ में पढ़ रहे कश्मीरी छात्र विशाल सूद ने ईटीवी से बातचीत के दौरान कहा कि वे केंद्र सरकार के इस फैसले का जमकर समर्थन करते हैं.

कश्मीरी छात्र की धारा 370 का विरोध करने वालों को दो टूक, रिपोर्ट देखें

विशाल सूद का कहना है कि कश्मीर से धारा 370 को बहुत पहले ही हटा लिया जाना चाहिए था, लेकिन केंद्र की मोदी सरकार ने अब यह फैसला लिया है और यह तारीफ के काबिल है. हमें पहली बार यह एहसास हुआ है कि कोई सरकार हमारे बारे में भी सोचती है. सालों से कश्मीरी मारे जाते रहे हैं या माइग्रेट होते रहे हैं. उनकी ओर किसी ने नहीं सोचा. कश्मीरी नेता सिर्फ अपनी राजनीतिक रोटियां सेकने के लिए कश्मीर के लोगों का इस्तेमाल करते रहे हैं.

विरोध करने वालों से विशाल का बड़ा सवाल
विशाल ने कहा कि जो नेता आज इसका विरोध कर रहे हैं वह बताएं कि उन्होंने कश्मीर में कितने लोगों को रोजगार दिलाएं हैं और बच्चों की पढ़ाई के लिए क्या किया है. धारा 370 के हटने से कश्मीर की तरक्की शुरू होगी. यहां पर नए रोजगार आएंगे, पर्यटन बढ़ेगा, जिससे लोगों की आमदनी बढ़ेगी.

रोजगार का रास्ता खुल गया- विशाल सूद
कश्मीर को हिंदुस्तान की जन्नत कहा जाता है कि मगर यहां के अलगाववादी नेताओं ने इसे जहन्नुम बना कर रख दिया था. धारा 370 की वजह से ना तो बड़ी कंपनियां कश्मीर में आ सकती थी ना ही यहां के लोगों को रोजगार दे सकती थी, लेकिन अब रास्ता खुल गया है.

जम्मू और कश्मीर के नेताओं को छात्र की दो टूक जवाब!
उन्होंने अलगाववादी नेताओं को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि यहां पर कभी महबूबा मुफ्ती बयान देती है कि सरकार बारूद के गोले को आग लगाने का काम कर रही है तो कभी फारुख अब्दुल्ला कहते हैं कि काश वे पाकिस्तान में होते. कश्मीरी अवाम उनको कहना चाहती है कि वह पाकिस्तान जाना चाहते हैं तो जाएं उन्हें रोका किसने है.

जो लोग सरकार के इस फैसले का विरोध कर रहे हैं. वो सिर्फ अपनी राजनीति को बचाने के लिए उल्टे सीधे बयान दे रहे हैं. उन्हें सिर्फ भारत को बांटना आता है, जोड़ना नहीं आता. कश्मीरी लोग सरकार के फैसले का स्वागत करते हैं. क्योंकि उन्हें पता है कि उससे उनकी जिंदगी बेहतर होगी.

Last Updated : Aug 5, 2019, 9:01 PM IST

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