चंडीगढ़:करनाल में किसानों के सिर फोड़ने के तत्कालीन एसडीएम आयुष सिन्हा के आदेश से जुड़ी याचिका पर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई हुई. ये याचिका करनाल के मनीष लाठर और पांच अन्य लोगों ने दायर की थी. याचिका में मांग की गई थी कि पूरे प्रकरण की जांच करने के लिए रिटायर्ड जज को जांच सौंपी जाए. जिसपर हाई कोर्ट ने जवाब दिया कि इस मामले में पहेल ही रिटायर्ड जस्टिस एसएन अग्रवाल को जांच सौंप दी गई है, इसलिए इस याचिका का कोई औचित्य नहीं है.
वहीं पिछली सुनवाई पर हरियाणा सरकार की ओर से करनाल रेंज की आईडी ममता सिंह ने अदालत में हलफनामा दाखिल किया था, उसी पर भी सुनवाई हुई. पिछली सुनवाई पर हरियाणा सरकार की ओर से करनाल रेंज के आईजी ममता सिंह ने अदालत में दाखिल हलफनामे में कहा था कि करनाल के तत्कालीन एसडीएम आयुष सिन्हा के इशारे पर बसताड़ा टोल प्लाजा पर लाठीचार्ज कर किसानों के सिर फोड़ने का आरोप निराधार है. एसडीएम घटनास्थल से 13 किलोमीटर दूर करनाल शहर में थे और जिन पुलिसवालों को सिन्हा निर्देश दे रहे थे उनमें से कोई भी बसताडा टोल प्लाजा पर नहीं था.
ममता सिंह ने अदालत को बताया था कि लाठीचार्ज वाले दिन याचिकाकर्ता मनीष कुमार ने पुलिसकर्मी पर किसान ने वार करना चाहा तो उसी चक्कर में असंतुलित होकर खुद ही गिर पड़ा, जिससे उसके सिर पर चोट लगी. जिस पुलिसकर्मी पर उसने कस्सी से वार किया उसी ने उसे प्राथमिक चिकित्सा सहायता दी. ऐसे में यह कहना पुलिस की लाठी से याचिकाकर्ता के सिर पर चोट लगी है वह गलत है.
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