चंडीगढ़:कारगिल विजय दिवस (Kargil Vijay Diwas) की आज 22वीं वर्षगांठ है. पूरा देश वीर शहीदों को याद कर रहा है, सोशल मीडिया पर माहौल देशभक्तिमय हो गया है. इसी बीच ट्वीटर पर अहीर रेजिमेंट की मांग ने भी जोर पकड़ लिया है. सोशल मीडिया पर हजारों लोग अब तक इसके समर्थन में 'अहीर रेजिमेंट हक है हमारा' हैशटैग के साथ ट्वीट कर रहे हैं.
भारत देश में अहीर रेजिमेंट (Ahir Regiment ) की मांग पहली बार नहीं उठी है, अहीर समाज की ये मांग दशकों से होती रही है. खासकर हरियाणा में अहीर रेजिमेंट की मांग को लेकर लंबी राजनीति रही है. सेना में इस वक्त 23 रेजिमेंट हैं. इनमें से कुछ ऐसे भी रेजिमेंट हैं जो जातियों या इलाकों के नाम पर गठित की गई हैं. जैसे बिहार रेजिमेंट, पंजाब रेजिमेंट, असम रेजिमेंटम गोरखा रेजिमेंट, डोगरा रेजिमेंट, राजपूत रेजिमेंट, सिख रेजिमेंट और जाट रेजिमेंट इसी तर्ज पर अहीर समाज भी अपने लिए एक अलग रेजिमेंट की मांग कर रही है.
ये पढ़ें-रेजांगला पार्क के युद्ध संग्रहालय में स्थापित होगा मिग-21, मनोहर सरकार ने दी स्वीकृति
दरअसल, यादव समाज का कहना है कि 1962 की जंग में कुल 114 सैनिक शहीद हुए, जिनमें 112 अहीर सैनिक थे. इन सैनिकों ने सैकड़ों चीनी जवानों को ढेर कर दिया था. इसलिए उनके सम्मान के लिए अहीर रेजिमेंट का गठन किया जाना चाहिए. करगिल में शहीद अहीर जवानों के सम्मान में एक स्मारक भी बनाया गया है. वहीं हर साल शहीदों के नाम पर मेले का आयोजन किया जाता है.
आपको बता दें कि, दक्षिण हरियाणा के ज्यादातर जिले अहीर बाहुल्य हैं. यहां हर बार लोकसभा, विधानसभा चुनाव के दौरान अहीर रेजिमेंट प्रमुख मुद्दों में शामिल रहा है, लेकिन सरकारें आती रही हैं और बदलती रहीं. अहीर रेजिमेंट की मांग कभी नहीं पूरी की गई. अहीर रेजिमेंट का मुद्दा दक्षिण हरियाणा में इस कदर हावी है कि इसकी बानगी हम इस बाद से लगा सकते हैं कि अहिरवाल के बड़े नेता राव इंद्रजीत का ये मुख्य चुनावी मुद्दा रहा. इसके साथ ही वो बीच-बीच में ट्वीट कर बताते भी रहते हैं कि अहीर रेजिमेंट के लिए वो लगातार कोशिशें कर रहे हैं.
ये पढ़ें-कारगिल विजय दिवस : पीएम ने शहीदों को किया नमन, राष्ट्रपति द्रास में देंगे श्रद्धांजलि