चंडीगढ़: 23 जून को इंटरनेशनल ओलंपिक डे के रूप में मनाया जाता है. इस दिन का सही मायने में मतलब खेल, स्वास्थ्य और साथ रहने का उत्सव है. यह एक दिन दुनिया भर के सभी लोगों को स्वास्थ्य के लिए सक्रिय होने और उद्देश्य है. इसके अलावा सभी को साथ आगे बढ़ने के लिए भी आमंत्रित करता है. वहीं, अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक दिवस पर आज हम चंडीगढ़ के उन तमाम खिलाड़ियों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो ओलंपिक में अपनी धाक जमा चुके हैं.
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1894 में अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति की स्थापना: इंटरनेशनल ओलंपिक डे की शुरुआत पेरिस के सोरबोन में अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति की स्थापना से हुई थी. जहां, पियरे डी कूपर्टिन ने 23 जून 1894 को प्राचीन ओलंपिक खेलों के पुनरुद्धार के लिए रैली निकाली थी. यह खेल के माध्यम से दुनिया को एक बेहतर जगह बनाने का प्रतिनिधित्व करता है. ओलंपिक दिवस समारोह की शुरुआत 1947 से मानी जा सकती है.
लेट्स मूवओलंपिक दिवस 2023 का थीम: इस साल ओलंपिक दिवस की थीम 'लेट्स मूव' है, जिसका उद्देश्य दुनिया भर के लोगों को दैनिक शारीरिक गतिविधि के लिए समय निकालने के लिए प्रेरित करना है. जबकि दुनिया पहले से कहीं ज्यादा तेजी से आगे बढ़ रही है, लेकिन लोग शारीरिक कसरत कम कर रहे हैं. शोध से पता चलता है कि 80 प्रतिशत से अधिक युवा मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए एक लेवल तक जरूरी डेली एक्टिविटी हासिल करने विफल हो रहे हैं. वहीं, इस साल थीम के मुताबिक आम लोगों को चलने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा.
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ओलंपिक तक सफर करने वाले मिल्खा सिंह पहले एथलीट: बता दें कि वेटरन एथलीट मिल्खा सिंह पहले ऐसे खिलाड़ी थे, जिन्होंने ओलंपिक तक सफर तय किया था. मिल्खा सिंह भले ही रोम ओलंपिक में पदक जीतने से चूक गए हों, लेकिन भारत को उनके जैसा एथलीट शायद ही अब तक मिला हो. जिन्हें देश और विदेश में उड़न सिख के नाम भी जाना जाता है. चंडीगढ़ के ही खिलाड़ी स्वर्गीय बलबीर सिंह सीनियर कप्तान के तौर पर तीन बार ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम को गोल्ड मेडल दिला चुके हैं. इसके साथ ही अभिनव बिंद्रा की जीत जो किसी व्यक्ति विशेष, या परिवार की नहीं बल्कि पूरे देश के लिए थी, लेकिन जीत की खुशी उनके शहर चंडीगढ़ में कुछ ज्यादा ही थी.
फ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह. (फाइल फोटो) अब तक ओलंपिक में हिस्सा ले चुके खिलाड़ी: चंडीगढ़ के जो खिलाड़ी ओलंपिक में जलवा बिखेर चुके हैं उनमें सबसे पहले खिलाड़ी पद्मश्री मिल्खा सिंह, एथलेटिक्स में भारतीय ओलंपियन, अजीत सिंह हॉकी में भारतीय ओलंपियन, सुखबीर सिंह गिल हॉकी में भारतीय ओलंपियन, अभिनव बिंद्रा निशानेबाजी में ओलंपिक में स्वर्ण पदक विजेता, चंडीगढ़ हॉकी अकादमी बॉयज, चंडीगढ़ के भारतीय ओलंपियन (हॉकी) रूपिंदर पाल सिंह ने टोक्यो ओलंपिक 2020 में कांस्य पदक जीत कर ना सिर्फ शहर का नाम रोशन किया, बल्कि हॉकी को एक बड़े मुकम पर पहुंचाया.
गुरजंत सिंह और रुपिंदर पाल सिंह. इसके साथ ही चंडीगढ़ हॉकी अकादमी, चंडीगढ़ के भारतीय ओलंपियन (हॉकी) गुरजंत सिंह ने टोक्यो ओलंपिक 2020 में कांस्य पदक जीता, चंडीगढ़ हॉकी अकादमी (लड़कियां), चंडीगढ़ की भारतीय ओलंपियन (हॉकी) मोनिका ने टोक्यो ओलंपिक 2020 में भाग लिया, चंडीगढ़ हॉकी अकादमी (गर्ल्स), चंडीगढ़ की भारतीय ओलंपियन (हॉकी) शर्मिला ने भाग लिया. टोक्यो ओलंपिक 2020 में, चंडीगढ़ हॉकी अकादमी (लड़कियां), चंडीगढ़ की भारतीय ओलंपियन (हॉकी) रीना खोखर ने टोक्यो ओलंपिक 2020 में भाग लिया, निशानेबाजी में भारतीय ओलंपियन अंजुम मोदगिल ने टोक्यो ओलंपिक 2020 में भाग लिया.
रीना खोखर और अंजुम मोदगिल. चंडीगढ़ में इन खेलों में भी खिलाड़ी बहा रहे पसीना: वहीं, अगर मौजूदा समय की बात करें तो चंडीगढ़ के खिलाड़ी लगातार मेहनत कर रहे हैं. आने वाले समय में जिन खेलों में ओलंपिक पदक प्राप्त किये जा सकते हैं उनमें मुक्केबाजी, तलवारबाजी, फुटबॉल, हॉकी, जूडो, कुश्ती, निशानेबाजी है. जिनके खिलाड़ी लगातार स्टेट लेवल और नेशनल लेवल खेल प्रतियोगिताओं में हिस्सा ले रहे हैं. इन खिलाड़ियों का भी अंतिम लक्ष्य ओलंपिक ही है.
ओलंपिक में हिस्सा लेने वाली महिली खिलाड़ी मोनिका और शर्मिला. शहर का पहला सिंथेटिक स्टेडियम किन-किन सुविधाओं से लैस: चंडीगढ़ एथलेटिक्स से जुड़े लोगों का शहर है. ऐसे में जहां शहर भर में 25 के करीब खेल के मैदान हैं और उनमें से 3 खेल के मैदान के सबसे बेहतर जाने जाते हैं. वह सेक्टर-17, सेक्टर-42 और सेक्टर-7 का किस स्टेडियम है. जहां, खिलाड़ियों की जरूरत को देखते हुए हर सुविधा प्रदान की गई है. वहीं, पहली बार शहर के सेक्टर-7 में स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में पहला 8 लाइन वाला सिंथेटिक ट्रेक लगभग बनकर तैयार हो चुका है. आने वाले 2 महीनों के बाद खिलाड़ी इस सिंथेटिक ट्रैक का इस्तेमाल कर पाएंगे.
बता दें कि सेक्टर-7 के स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स को अंतरराष्ट्रीय एथलेटिक्स फेडरेशन द्वारा मान्यता प्राप्त है. इसे आठ लेन वाला सिंथेटिक ट्रेक बनाया गया है. इससे ना सिर्फ चंडीगढ़ की खिलाड़ियों को बल्कि साथ लगते राज्यों के खिलाड़ियों को भी सुविधा मिलेगी. अभी तक चंडीगढ़ नेशनल और इंटरनेशनल प्रतियोगिताओं की मेजबानी करने में पीछे रहता था. वहीं, सिंथेटिक ट्रैक स्टेडियम बनने के बाद शहर में ही राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताएं करवाई जाएंगी.
चंडीगढ़ में सिंथेटिक ट्रैक चंडीगढ़ में सिंथेटिक ट्रैक बनाने का सपना फ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह का था: बता दें कि पद्मश्री मिल्खा सिंह का सपना था कि शहर में सिंथेटिक ट्रैक वाला स्टेडियम बने. इसके लिए वे समय-समय पर प्रशासन के अधिकारियों के पास जाते रहे. मिल्खा सिंह प्रयास करते रहते कि खिलाड़ियों को बेहतर सुविधा मिले. उनके जीते जी यह सपना पूरा नहीं हो पाया. लेकिन, वे जीते जी इस प्रोजेक्ट को शुरू करवाने में कामयाब जरूर हुए. आज 6 करोड़ की लागत से बना सिंथेटिक ट्रैक हर तरह के खिलाड़ी को मजबूत करने में मददगार साबित होगा. सिंथेटिक ट्रैक पर वार्म अप वाले एरिया विशेष तौर पर बनाया गया है. सिंथेटिक ट्रैक का इस्तेमाल किसी भी मौसम में ट्रेनिंग के लिए किया जा सकता है. यहां पर फ्लड लाइट्स लगाई गई हैं ताकि रात में भी अभ्यास किया जा सकेगा. लाइट्स देखने के लिए बेंगलुरु की टीम विशेष दौरा कर चुकी है.