चंडीगढ़: 7 मई को विश्व एथलीट दिवस मनाया जाता हैं. ऐसे में जहां बीते समय में चंडीगढ़ के कई ऐसे खिलाड़ी जो विश्व स्तर पर अपना नाम चमका चुके हैं. वहीं शहर के कुछ ऐसे स्टेडियम हैं, जिनका इस्तेमाल नहीं हो रहा हैं. वहीं, जिन स्टेडियम को सालों से एथलेटिक्स के लिए इस्तेमाल किया जा रहा था. उन्हें फुटबॉल जैसे खेलों के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है.
सुविधा के लिए तरस रहे खिलाड़ी:जानकारी के मुताबिक चंडीगढ़ में कुल 24 स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स हैं. जिनमें 54 सरकारी कोच सुबह और शाम के समय ही सिखलाई देते हैं. वहीं, शहर के सभी कॉम्प्लेक्स में फिसोथीपीस नियुक्त नहीं किया गया है. किसी खिलाड़ी को अगर कोई दिक्कत आती है, तो उसे प्राइवेट फिसोथीपीस को दिखाया जाता है. वहीं, खिलाड़ियों के लिए उनकी चोट को मापने वाले उपकरणों की भारी कमी है. अनुभवी कोच द्वारा ही खिलाड़ियों की कमियों पर काम किया जाता है.
खिलाड़ियों के लिए सीट सिस्टम: इसके अलावा चंडीगढ़ के कुछ ही स्कूलों में बच्चों को स्पोर्ट्स की सुविधा दी गई है. ऐसे में शहर की सभी खेल कॉम्पलेक्स में छात्रों और खिलाड़ियों के लिए सीट सिस्टम है. जिसके लिए सलाना तोर पर 300 रुपये लिए जाते है. ऐसे में इन सीट पर खेलों में रुचि रखने वाले छात्रों और खिलाड़ियों की ही जगह दी जाती है. इसके अलावा अगर कोई शौकिया तौर पर स्पोर्ट्स खेलना चाहता है, तो उसे सीट नहीं दी जाती. वह बीते सालों में कुछ ही ऐसे प्लेयरर्स हैं. जिनमें लगातार खिलाड़ियों ने पदक जीतें है. वहीं, बाकी खेलों पर विभाग की और से कम ही जोर दिया जा रहा है.
प्राइवेट कोचिंग ले रहे खिलाड़ी: मौजूद समय की बात करें तो चंडीगढ़ के कुछ स्पोर्टस कॉप्लेक्स में बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर किया गया है. जिसमें सेक्टर 42, सेक्टर-16, सेक्टर 26 और सेक्टर 7 की वजह से शहर को स्पोर्ट्स हब के तौर पर देखा जाता है. बावजूद इसके खिलाड़ियों को इसका फायदा नहीं मिल पा रहा है. खेल विभाग के अधिकारी के मुताबिक मौजूदा समय में यूटी स्पोर्ट्स डिपार्टमेंट में साफ्टबाल और फेंसिंग के जैसी खेलों का एक भी कोच उपलब्ध नहीं है. जबकि इन खेलों के खिलाड़ी प्राइवेट कोचिंग लेकर राष्ट्रीय स्तर पर बेहतरीन प्रदर्शन कर रहे हैं.