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AK-47 से फायरिंग कर पपला को छुड़ा ले गए थे साथी...डेढ़ साल बाद ऐसे चढ़ा पुलिस के हत्थे

6 सितंबर 2019 को बहरोड़ थाने पर एके-47 से फायरिंग करते हुए लॉकअप में बंद राजस्थान में हरियाणा का मोस्ट वांटेड अपराधी पपला गुर्जर को उसके साथी भगा कर ले गए थे. उसके बाद डेढ़ साल से राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश व दिल्ली की पुलिस टीम उसकी तलाश में लगी हुई थी. एक साल 4 महीने 22 दिन बाद राजस्थान पुलिस को बड़ी सफलता हाथ लगी.

most wanted gangster papla gurjar
most wanted gangster papla gurjar

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Published : Jan 28, 2021, 10:33 PM IST

चंडीगढ़/अलवर: 6 सितंबर 2019 को बहरोड़ थाने के लॉकअप में बंद हरियाणा के मोस्ट वांटेड अपराधी पपला गुर्जर उसके साथी थाने पर एके-47 जैसे हथियारों से फायरिंग करके भगा ले गए थे. इस मामले में अलवर राजस्थान पुलिस की पूरे देश में किरकिरी हुई. राजस्थान में पहली बार किसी थाने पर हमला करके बदमाश को भगाने का मामला सामने आया. इसमें कई पुलिसकर्मियों पर गाज गिरी व इस मामले में राजस्थान स्पेशल टीम व राजस्थान पुलिस ने पपला गुर्जर को गिरफ्तार करने का प्रयास किया, लेकिन पुलिस को सफलता नहीं मिली.

पुलिस गिरफ्त में कुख्यात अपराधी पपला गुर्जर.

पुलिस इस मामले में 34 बदमाशों को पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है. पपला गुर्जर सहित उसके गैंग के कुल 35 बदमाश गिरफ्तार हो चुके हैं. पपला का राइट हैंड बलवीर 26 दिसंबर 2020 को गिरफ्तार किया गया था. उससे पूछताछ में पुलिस को कई अहम जानकारियां मिलीं, जिसके बाद पुलिस ने पपला गुर्जर पर शिकंजा कसना शुरू किया था. पपला गुर्जर को पकड़ना पुलिस के लिए बड़ी चुनौती थी. 5 सितंबर 2019 को रात 12 से 1 बजे के बीच में पुलिस ने पपला गुर्जर को हिरासत में लिया. बहरोड़ के कुख्यात बदमाश और गैंगस्टर विक्रम लादेन को मारने आया पपला गुर्जर पुलिस के हत्थे चढ़ा था. पुलिस ने उसकी कार से 31 लाख 90 हजार रुपए बरामद किए थे.

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पकड़े जाने के बाद बहरोड़ थाने के पुलिसकर्मियों ने पपला के गुर्गो से उसकी फोन पर बात कराई, जिसके बाद 6 सितंबर को काली सुबह आई और राजस्थान पुलिस के इतिहास में कालिख बन गई. 6 सितंबर को सुबह बहरोड़ थाने में 8 बजकर 30 बजे पपला गैंग के दो दर्जन बदमाशों ने थाने में घुसकर पपला गुर्जर के साथियों ने एके-47 से फायरिंग कर पपला गुर्जर को लॉकअप से छुड़ा लिया व लेकर फरार हो गए. राजस्थान पुलिस एसओजी एटीएस टीम लगातार इस मामले में जुटी हुई थी. राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड सहित कई राज्यों की पुलिस ने छापेमारी की और पुलिस टीमें नेपाल बॉर्डर तक गईं, लेकिन पपला गुर्जर का पुलिस को कोई सुराग नहीं मिला. पपला को पकड़ने के लिए एसओजी राजस्थान की टीम 1 साल में दो लाख किलोमीटर से अधिक दूरी घूम चुकी हैं, लेकिन पुलिस को सफलता नहीं मिली. डेढ़ साल बाद पुलिस ने 1,685 किलोमीटर दूर मुंबई के कोल्हापुर से अपला को गिरफ्तार किया.

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इस मामले में तत्कालीन बहरोड़ थाना अधिकारी सुगंध सिंह को निलंबित किया गया था. पपला गैंग से मिलीभगत के आरोप में बहरोड़ थाने के 2 हेड कांस्टेबल विजय पाल सिंह व रामावतार को नौकरी से बर्खास्त किया गया. पपला के फरार होने के बाद हेड कांस्टेबल विजय पाल सिंह व राम अवतार की मिलीभगत सामने आने पर बदमाशों को पुलिस से मिलीभगत की पोल खुली थी. इस घटना के बाद बहरोड थाने के 59 पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर किया गया. पपला की कोई जानकारी नहीं मिलने के बाद लगातार उस पर इनाम की राशि बढ़ाई गई. पुलिस ने पपला गुर्जर पर पांच लाख का इनाम घोषित किया. इससे पहले पपला गुर्जर 7 सितंबर 2017 को हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले की कोर्ट परिसर में पेशी के दौरान अपने साथियों के साथ पुलिस पर फायरिंग करके फरार हो गया था. इस मामले में हरियाणा के चार पुलिसकर्मियों को गोली लगी थी. राजस्थान पुलिस के डीजीपी खुद मामले का जायजा लेने के लिए बहरोड़ आए और कई दिनों तक लगातार बहरोड़ में रहे. राजस्थान की कुख्यात बदमाश आनंदपाल के खिलाफ जब भाजपा सरकार ने ऑपरेशन चलाया तो बड़ी संख्या में पुलिस फोर्स और करोड़ों रुपए के संसाधनों का इस्तेमाल किया गया, लेकिन पपला की तलाश में उल्टा पुलिस लाखों खर्च कर चुकी थी.

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इन लोगों के खिलाफ पेश किया गया चालान...

पुलिस इस मामले में जखराना सरपंच तथा हिस्ट्रीशीटर विनोद स्वामी, सिंघाना के गुजरवास निवासी कैलाश चंद्र गुर्जर, खैरथल के गांव पुरोला निवासी जगन खटाना, महिपाल गुर्जर, सुभाष गुर्जर, बरखेड़ा निवासी जितेंद्र उर्फ जीतू गुर्जर, तिजारा गांव के टीमली निवासी विक्रम गुर्जर, नरेंद्र गुर्जर, महेंद्रगढ़ के खेरोली निवासी दिनेश गुर्जर महेंद्र सिंह उर्फ पप्पू गुर्जर, दीक्षांत गुर्जर, अशोक गुर्जर, बलवान सिंह, बल्लू गुर्जर, सोमदत्त गुर्जर, श्याम सुंदर और अशोक गुर्जर खेड़ली के कुतुबपुर निवासी चंद्रपाल उर्फ चंदू यादव, प्रशांत यादव, रेवाड़ी के गांव रामपुर निवासी ओमप्रकाश यादव, राहुल गुर्जर, भूपेंद्र सिंह, कोटकासिम के गुजरीवास निवासी अशोक गुर्जर सुनील कुमार गुर्जर व अजय कुमार के खिलाफ चालान पेश किया गया था.

हो सकते हैं कई बड़े खुलासे...

इस मामले में पुलिस को कई अहम जानकारियां मिल सकती हैं. डेढ़ साल तक पपला गुर्जर कहां रहा, किन लोगों ने उसकी मदद की. इस तरह से वो अलवर से मुंबई पहुंचा. अब तक उसने कितने लोगों को मारा है. अब तक बड़ी संख्या में लोगों से पपला गुर्जर द्वारा रंगदारी वसूली गई है. इसके अलावा कई ऐसे अनसुलझे सवाल हैं, जिनके जवाब पुलिस पपला गुर्जर से लेने का प्रयास करेगी.

सोशल मीडिया पर हो रहा था लोकप्रिय...

पपला गुर्जर अलवर व आसपास क्षेत्र में सोशल मीडिया पर लगातार लोकप्रिय हो रहा था. पपला गुर्जर अपनी फोटो अपडेट करता था. उसकी सोशल मीडिया पर लगातार सक्रियता बनी हुई थी. कई बार रंगदारी मांगने सहित कई मामलों में पपला गुर्जर का उसकी गैंग का नाम आ चुका है. ऐसे में पुलिस ने सोशल मीडिया पर बीच में सख्ती करते हुए कुछ अकाउंट को डीएक्टिवेट कर आया था और सोशल मीडिया पर लगाम लगाने के प्रयास किए थे. अलवर पुलिस कंट्रोल रूम पर अपना के नाम का फोन भी आ चुका है. इसके अलावा बहरोड़ में व्यापारी से रंगदारी के मामले में भी पगला का नाम आ चुका है.

पपला गुर्जर को क्या बचाने का है प्रयास...

आनंदपाल के एनकाउंटर के बाद लगातार पपला गुर्जर के एनकाउंटर की मांग उठ रही थी, लेकिन पुलिस को लगातार निराशा हाथ लग रही थी. उस समय कयास लगाए जा रहे थे कि जल्द ही पपला गुर्जर का भी पुलिस एनकाउंटर कर सकती है, लेकिन पपला गुर्जर को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. ऐसे में कई तरह के सवाल उठने लगे हैं कि पपला गुर्जर को बचाने के प्रयास किए जा रहे हैं कि क्या पपला गुर्जर को राजनीतिक संरक्षण मिला हुआ है. आने वाले समय में पपला गुर्जर भी अन्य गैंगस्टर की तरह जेल में बैठकर आसानी से अपना नेटवर्क चलाएगा.

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