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चंडीगढ़ के डॉक्टरों ने किया मेडिकल छात्रों को चरक शपथ दिलाने के फैसले का स्वागत

भारत में मेडिकल छात्रों को अब सदियों पुरानी हिप्पोक्रेटिक शपथ (hippocratic oath) की जगह चरक शपथ (charak oath) दिलवाई जाएगी. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष ने इस फैसले का स्वागत किया है.

hippocratic oath
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Published : Feb 11, 2022, 4:43 PM IST

चंडीगढ़: भारत में मेडिकल छात्रों को दिलाए जाने वाली सदियों पुरानी हिप्पोक्रेटिक शपथ (hippocratic oath) अब बीते दिनों की बात होने वाली है. इस शपथ परंपरा को अब खत्म करने की तैयारी की जा रही है. ऐसा नहीं है कि मेडिकल छात्रों अब शपथ नहीं दिलाई जाएगी. दरअसल हिप्पोक्रेटिक शपथ की जगह अब मेडिकल छात्रों को भारतीय संस्कृति से जोड़ने के लिए चरक शपथ (charak oath) दिलाई जा रही है.

जानकारी के मुताबिक 14 फरवरी से देश के मेडिकल कॉलेजों में शुरू हो रहे शिक्षण सत्र में अब चरक शपथ ही दिलाई जाएगी. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (indian medical association) के पूर्व अध्यक्ष डॉक्टर आरएस बेदी ने चरक शपथ का स्वागत किया है. डॉक्टर आरएस बेदी ने कहा कि ये फैसला बहुत अच्छा है. हिप्पोक्रेटिक ओथ हो या फिर चरक ओथ दोनों के मायने एक है. उन्होंने कहा कि इस फैसले का स्वागत किया जाना चाहिए.

जानकारी के मुताबिक चरक शपथ (charak shapath) लेने के बाद सभी एमबीबीएस के नए छात्रों को 10 दिन की योगा ट्रेनिंग लेनी होगी. योगा को शामिल किए जाने को लेकर डॉक्टर आरएस बेदी ने कहा कि सारी दुनिया आज योगा को अपना रही है. योगा साइंटिफिक मेडिसिन के साथ मरीजों के लिए चिकित्सक कंपलीमैंट्री भी है. चरक शपथ का नाम आयुर्वेद के जनक महर्षि चरक के नाम पर रखा गया है. वो चिकित्सा ग्रंथ चरक संहिता के लेखक भी हैं.

चंडीगढ़ के डॉक्टरों ने किया मेडिकल छात्रों को चरक शपथ दिलाने के फैसले का स्वागत

जानकारी के मुताबिक नेशनल मेडिकल कमीशन के अंडरग्रैजुएट बोर्ड ने बीते सप्ताह कॉलेजों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की. बताया जा रहा है कि इस मीटिंग में तय हुआ कि शपथ क्षेत्रीय भाषा में भी ली जा सकती है. चंडीगढ़ पीजीआई के प्रोफेसर सोनू गोयल ने इस कदम का स्वागत करते हुए कहा कि महर्षि चरक भारतीय सर्जरी पद्धति के जनक माने जाते हैं. उन्होंने सैकड़ों साल पहले भारतीय चिकित्सा में जो योगदान दिया उसके आधार पर ना सिर्फ भारतीय चिकित्सा बल्कि पूरी दुनिया की चिकित्सा ने तरक्की की है.

उन्होंने कहा कि आज हम जो मॉडर्न साइंस देखते हैं वओ उन्हीं की देन है. ये कदम स्वागत योग्य है, क्योंकि डॉक्टर बनने वाले बच्चे ना सिर्फ भारतीय चिकित्सा के महत्व को जान पाएंगे, बल्कि इससे चिकित्सा जगत में भारतीय संस्कृति को बढ़ावा मिलेगा. मेडिकल छात्रों को 10 दिन की योगा ट्रेनिंग को लेकर उन्होंने कहा कि ये भी अच्छा कदम है, क्योंकि आज हम सब इस बात को जानते हैं कि योगा बीमारियों से लड़ने में कितना कारगर है और हर बच्चे को इसकी जानकारी होनी चाहिए. मेडिकल के छात्रों को योगा की ट्रेनिंग देने से उन्हें योगा का ज्ञान होगा. जिससे उन्हें सिर्फ खुद को स्वस्थ रखने बल्कि लोगों को स्वस्थ रखने में भी मदद मिलेगी.

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चरक शपथ और हिप्पोक्रेटिक शपथ में अंतर:डॉक्टर अब तक जो शपथ लेते थे, उसकी उत्पत्ति कभी ग्रीस से हुई थी, ऐसा बताया जाता है. इसके बाद से पूरी दुनिया में हिप्पोक्रेटिक शपथ प्रचलित हो गई. इसमें डॉक्टर शपथ लेते हैं कि 'वो अपनी गरिमा और चेतना के अनुरूप मरीज के स्वास्थ्य को सर्वोच्च प्राथमिकता देंगे. उसकी निजता का सम्मान करेंगे.' जबकि चरक शपथ में अब उन्हें वचन देना होगा कि 'वो अपनी पूरी योग्यता के साथ सही निर्णय लेते हुए मरीज का उपचार करेंगे. मरीज का परीक्षण करते समय भी वो इलाज पर ध्यान केंद्रित करेंगे. मरीजों और उनके परिवारों की निजता को कायम रखेंगे.' ये नई शपथ महर्षि चरक की लिखी पुस्तक 'चरक संहिता' (Charak Samhita) से ली गई है.

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