चंडीगढ़: भारत में मेडिकल छात्रों को दिलाए जाने वाली सदियों पुरानी हिप्पोक्रेटिक शपथ (hippocratic oath) अब बीते दिनों की बात होने वाली है. इस शपथ परंपरा को अब खत्म करने की तैयारी की जा रही है. ऐसा नहीं है कि मेडिकल छात्रों अब शपथ नहीं दिलाई जाएगी. दरअसल हिप्पोक्रेटिक शपथ की जगह अब मेडिकल छात्रों को भारतीय संस्कृति से जोड़ने के लिए चरक शपथ (charak oath) दिलाई जा रही है.
जानकारी के मुताबिक 14 फरवरी से देश के मेडिकल कॉलेजों में शुरू हो रहे शिक्षण सत्र में अब चरक शपथ ही दिलाई जाएगी. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (indian medical association) के पूर्व अध्यक्ष डॉक्टर आरएस बेदी ने चरक शपथ का स्वागत किया है. डॉक्टर आरएस बेदी ने कहा कि ये फैसला बहुत अच्छा है. हिप्पोक्रेटिक ओथ हो या फिर चरक ओथ दोनों के मायने एक है. उन्होंने कहा कि इस फैसले का स्वागत किया जाना चाहिए.
जानकारी के मुताबिक चरक शपथ (charak shapath) लेने के बाद सभी एमबीबीएस के नए छात्रों को 10 दिन की योगा ट्रेनिंग लेनी होगी. योगा को शामिल किए जाने को लेकर डॉक्टर आरएस बेदी ने कहा कि सारी दुनिया आज योगा को अपना रही है. योगा साइंटिफिक मेडिसिन के साथ मरीजों के लिए चिकित्सक कंपलीमैंट्री भी है. चरक शपथ का नाम आयुर्वेद के जनक महर्षि चरक के नाम पर रखा गया है. वो चिकित्सा ग्रंथ चरक संहिता के लेखक भी हैं.
जानकारी के मुताबिक नेशनल मेडिकल कमीशन के अंडरग्रैजुएट बोर्ड ने बीते सप्ताह कॉलेजों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की. बताया जा रहा है कि इस मीटिंग में तय हुआ कि शपथ क्षेत्रीय भाषा में भी ली जा सकती है. चंडीगढ़ पीजीआई के प्रोफेसर सोनू गोयल ने इस कदम का स्वागत करते हुए कहा कि महर्षि चरक भारतीय सर्जरी पद्धति के जनक माने जाते हैं. उन्होंने सैकड़ों साल पहले भारतीय चिकित्सा में जो योगदान दिया उसके आधार पर ना सिर्फ भारतीय चिकित्सा बल्कि पूरी दुनिया की चिकित्सा ने तरक्की की है.