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हरियाणा में बाल विवाह के मामले क्यों नहीं हो रहे खत्म, मानवाधिकार आयोग ने जाहिर की चिंता - मानव अधिकार आयोग हरियाणा

हरियाणा के बॉर्डर इलाकों में बाल विवाह के मामले (child marriage cases in haryana) अधिक सामने आ रहे हैं. बाल विवाह केस को देखते हुए राज्य मानव अधिकार आयोग ने भी चिंता जाहिर की है. आयोग ने कहा कि इस तरह की कुरीतियों को दूर करने के लिए बच्चों से पहले माता पिता को जागरूक किया जाएगा.

child marriage cases in haryana
child marriage cases in haryana

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Published : Dec 17, 2022, 10:58 AM IST

Updated : Dec 17, 2022, 12:46 PM IST

चलाया जाएगा जागरुकता अभियान

चंडीगढ़:बाल विवाह के मामलों को लेकर भले ही जमीन स्तर पर काम किया गया हो लेकिन अभी भी हरियाणा में बाल विवाह के मामले (child marriage cases in haryana) देखने को मिल रहे हैं. हरियाणा के चार जिले ऐसे है, जहां इस तरह की समस्याएं देखी जा रही है. बच्चों से जुड़े मामलों की बात करें तो ‌इस साल हरियाणा मानव अधिकार आयोग के सामने 178 मामले दर्ज हुए हैं. बाल विवाह के मामले ज्यादातर सीमावर्ती इलाकों से ही आ रहे है. जहां मानवाधिकार ने वजह दी है कि इन इलाकों में पढ़े लिखे समाज की कमी है. लोग अपनी कम्यूनटी में बनाए गए नियमों को हर हाल में मानते हैं.

चार जिलों में बाल विवाह के केस बढ़े: मानव अधिकार आयोग हरियाणा के चार जिलों में बाल विवाह के लगातार केस (child marriage cases) बढ़े हैं. ऐसे में हर साल हजारों की गिनती में बाल विवाह होते हैं. वहीं विभाग के पास कुछ सैकड़ों की ही गिनती में शिकायत पहुंचती है. राजस्थान और यूपी के साथ लगते हरियाणा के चार जिले जिनमें नूंह-मेवात, फतेहाबाद, फरीदाबाद, सिरसा ऐसे इलाके हैं, जहां लगातार बाल विवाह के मामले चाइल्ड प्रोटेक्शन विभाग के पास पहुंचते हैं.

लिटरेसी रेट में कमी:जिले के लगते बॉर्डर इलाके में जहां बहुसंख्यक आबादी अधिक है. ‌जो अपने समाज के नियम के हिसाब से अपने बच्चों की शादियां करते हैं. सटे हुए इलाकों में मुस्लिम इलाके लगते हैं. वहीं कुछ हिंदू समाज के लोगों की भी इस संबंध में शिकायत पहुंचती है. इन इलाकों में लिटरेसी रेट कम है. जिसके चलते वे मानव अधिकारों परिचित नहीं हैं.

चार जिलों में बाल विवाह के केस बढ़ें

मानवाधिकार आयोग भी रोक पाने में असमर्थ: वहीं अध‌िकतर मौके पर इलाके के पुलिस और चाइल्ड प्रोटेक्शन ऑफिसर को भी पता नहीं लग पता कि उनके इलाके में बाल विवाह करवाया जा रहा है. वहीं जिसका पता भी चलता है तो उनके उम्र से जुड़ा दस्तावेज नहीं मिल पाता है. ऐसे में स्थानीय प्रशासन के साथ-साथ मानवाधिकार आयोग भी असमर्थ हैं. इन इलाकों से बाल विवाह को पूरी तरह खत्म करने में.

चलाया जाएगा जागरुकता अभियान:आयोग के अध्यक्ष दीप भाटिया का कहना है कि इस मुद्दे को लेकर आयोग जल्द ही जागरूकता अभियान चलाएगा. उन्होंने कहा कि हरियाणा के दूसरे राज्यों की सीमा से जुड़े जिलों में से ही बाल विवाह के मामले सामने आ रहे हैं. इनमें नूंह-मेवात, फरीदाबाद, फतेहाबाद, सिरसा शामिल है. जहां से ऐसे मामले अधिक सुनने को मिल रहे हैं.

सेमिनार आयोजित कर किया गया जागरुक:हालांकि चाइल्ड प्रोटेक्शन ऑफिसर और हरियाणा मानवाधिकार आयोग (Human Rights Commission Haryana) की ओर से मेवात और फतेहाबाद में सेमिनार भी आयोजित किए गए. लोगों को उनके अधिकारों के साथ बाल विवाह से होने वाली समस्याओं के बारे में भी अवगत कराया गया था. फिर भी लोगों में कोई सुधार ‌नहीं देखा गया.

चिंताजनक स्थिति: ऐसे में जो शिकायत संबंधित विभागों को मिलती हैं वह चिंताजनक (How to stop child marriage cases) है. आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि उनकी कोशिश जारी रहेगी. उन्होंने कहा कि आयोग युद्ध स्तर पर जागरूकता अभियान चलाएगा. अगर बच्चों की से जुड़ी शिकायतों की बात की जाए तो 175 शिकायतों में से 168 का निपटारा कर दिया गया है, जबकि लंबित 7 मामलों की कार्रवाई की जा रही है.

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Last Updated : Dec 17, 2022, 12:46 PM IST

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