चंडीगढ़: इस वक्त चंडीगढ़ पीजीआई में 100 से ज्यादा कोरोना मरीजों का इलाज किया जा रहा है. इसके लिए नेहरू एक्सटेंशन अस्पताल में खासतौर पर कोरोना वार्ड स्थापित किया गया है. जहां पर कोरोना मरीजों का इलाज जारी है. चंडीगढ़ पीजीआई में कोरोना मरीजों का इलाज कर रहे मडिकल स्टाफ से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की.
कोरोना वार्ड में ड्यूटी दे रहे डॉ. राजविंदर सिंह ने बताया कि उन्हें यहां पर आईसीयू तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई है. उनके द्वारा यहां पर जो आईसीयू तैयार किया गया है, उसमें 14 बेड लगाए गए हैं. जो वेंटिलेटर की सुविधाओं से लैस हैं.
डॉ. राजविंदर सिंह ने बताया कि कोरोना ऐसी बीमारी नहीं है जिससे हर व्यक्ति की मौत हो जाए. कोरोना से काफी लोग ठीक भी हो रहे हैं. ये बीमारी आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता पर निर्भर करती है. अगर आपकी क्षमता अच्छी है तो आप जल्दी ही स्वस्थ होकर घर जा सकते हैं. कई बार मरीज ज्यादा बीमार भी हो जाते हैं. ऐसे में उन्हें ऑक्सीजन और वेंटिलेटर पर रखना पड़ता है, लेकिन ऐसे मरीजों की संख्या कम है.
कोरोना मरीजों के लिए क्यों जरूरी है वेंटिलेटर ?
डॉ. राजविंदर सिंह ने बताया कि जो मरीज सही से सांस नहीं ले पाते, उन्हें वेंटिलेटर पर डालना पड़ता है. इसके साथ ही उन्होंने ये भी साफ किया कि चंडीगढ़ पीजीआई और दूसरे अस्पतालों में वेंटिलेटर की कोई कमी नहीं है. समय आने पर देश में वेंटिलेटर की कमी नहीं होगी.
कोविड-19 वार्ड में काम कर रही नर्सिंग ऑफिसर सुखचैन ने बताया मेडिकल स्टाफ 24 घंटे मरीजों के इलाज में लगा रहता है, हालांकि उन्हें खुद भी संक्रमित होने का खतरा होता है. इसके बावजूद उनके लिए मरीजों का इलाज करना सबसे ज्यादा जरूरी होता है.
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उन्होंने कहा कि इलाज के दौरान मेडिकल स्टाफ के कई लोग संक्रमित हुए हैं, हालांकि सभी अपना पूरा ध्यान रखते हैं. फिर भी वायरस से पूरी तरह से बच पाना मुमकिन नहीं है. उन्होंने कहा कि अक्सर ये हिदायत दी जाती है कि 50 साल से ज्यादा उम्र के लोग मरीजों का इलाज नहीं करेंगे. ये बात सही है क्योंकि इस उम्र के बाद लोगों की इम्यूनिटी कमजोर होने लगती है और कोरोना इम्यूनिटी पर ही आधारित है, लेकिन पीजीआई में बहुत से कर्मचारी 50 साल की उम्र से ज्यादा होने के बावजूद भी काम कर रहे हैं, क्योंकि उन लोगों की इम्युनिटी स्वस्थ है.