चंडीगढ़: शहर में मकानों को तोड़कर अपार्टमेंट में बदलने को लेकर (houses convert into apartments ban in Chandigarh) सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court decision) ने चंडीगढ़ के 1 से 30 सेक्टर तक को हेरिटेज जोन घोषित किया है. रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ और अन्य की याचिका पर कोर्ट ने यह फैसला दिया है. अब इन क्षेत्रों में आवासीय घरों को तोड़कर वहां अपार्टमेंट नहीं बनाए जा सकेंगे. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में फेज-1 में बनी सभी इमारतों को हेरिटेज जोन में घोषित किया है. फेज-1 में बने अपार्टमेंट को अवैध घोषित किया गया है. इन क्षेत्रों में जो अपार्टमेंट में बने हुए हैं, उन्हें आगे और किसी को नहीं बेच सकते है. ऐसे में अब जो एमओयू होंगे वे अवैध होंगे.
जानकारी के अनुसार 2016 में सेक्टर 10 की रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी. सरीन मेमोरियल लीगल फाउंडेशन ने भी इसका समर्थन किया था. इसमें कहा गया था कि चंडीगढ़ में अपार्टमेंट के बनने से न सिर्फ शहर की मूल छवि खराब होगी, बल्कि शहर की सड़कों पर भी जाम बढ़ेगा. क्योंकि एक ही इंडिपेंडेंट घर में कई परिवार आकर रहने लगेंगे. हालांकि हाईकोर्ट ने मामले में सीमित राहत ही प्रदान की थी.
ऐसे में हाईकोर्ट की ओर से कोई फैसला न लिए जाने के बाद आरडब्ल्यू को सुप्रीम कोर्ट की शरण लेनी पड़ी थी. हाईकोर्ट ने मामले में सुनवाई के दौरान इस्टेट ऑफिस को एक सर्वे करने को कहा था. जिसमें पाया गया था कि कई परिवार इस तरह मकान की हिस्सेदारी करते हुए रह रहे हैं. ऐसे में याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि रोक के बावजूद आवासीय भूखंडों को तीन मंजिला अपार्टमेंट में बदलने का काम जारी है. लोगों ने कोठियों को तोड़कर उन्हें फ्लोर के हिसाब से बनाया और फिर उन्हें फ्लोर वाइज हिस्से के हिसाब से बेच दिया है.
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फ्लोर वाइज में ग्राउंड फ्लोर बेसमेंट को 50 फीसदी, पहली मंजिल 30 फीसदी और दूसरी मंजिल को 20 फीसदी हिस्से के तौर पर बेचा जा रहा है. इसको लेकर शहरवासियों ने प्रशासन से आपत्ति भी जताई थी, लेकिन प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई. ऐसे में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर फैसला सुनाते हुए कहा कि ली कार्बूजियर ने चंडीगढ़ मास्टर प्लान को ध्यान में रखते हुए शहर को डिजाइन किया था. जिसमें हर यूनिट को धूप और खुले स्थानों में पेड़ पौधों से भरपूर स्थान दिया गया था.