चंडीगढ़: कोरोना की दूसरी लहर के बाद प्रदेश के अस्पतालों में मरीजों का बोझ बढ़ता जा रहा है. बात की जाए चंडीगढ़ की तो यहां पीजीआई में ना सिर्फ चंडीगढ़, बल्कि पड़ोसी राज्यों से भी कोरोना के मरीज इलाज के लिए आ रहे हैं. जिससे चंडीगढ़ पीजीआई में भी मरीजों की संख्या काफी बढ़ चुकी है.
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लोगों में कोरोना का इतना डर फैल चुका है कि अगर कोई व्यक्ति पॉजिटिव आ जाता है तो वो तुरंत अस्पताल की ओर भागता है. चंडीगढ़ पीजीआई के डॉक्टर के मुताबिक कोविड के मरीजों में 90% मरीज ऐसे होते हैं, जिन्हें इलाज की जरूरत होती है, लेकिन अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं होती.
कोरोना मरीज घर पर रहकर कैसे करें इलाज? PGI के डॉक्टर से जानें किन बातों का रखें ध्यान चंडीगढ़ पीजीआई के निदेशक प्रोफेसर जगत राम ने ईटीवी भारत हरियाणा के साथ बातचीत में कहा कि अगर कोई मरीज पॉजिटिव आता है, तो वो सबसे पहले नियमित तौर पर अपना ऑक्सीजन का लेवल चेक करें. अगर मरीज के ऑक्सीजन का स्तर 95 या उससे ज्यादा है. तो उसे अस्पताल में आने की जरूरत नहीं है. अगर मरीज के ऑक्सीजन का स्तर 94 से कम होता है, तब वो इस बारे में डॉक्टर से बात कर सकता है.
कोरोना मरीज इन बातों का रखें ध्यान
ऑक्सीजन का स्तर चेक करने से पहले किसी भी इंसान को कम से कम 6 मिनट के लिए चलना चाहिए. उसके बाद ही उसे ऑक्सीजन का स्तर चेक करना चाहिए. डॉक्टर ने बताया कि कोविड पॉजिटिव आने के बाद कई मरीजों को बुखार हो जाता है, अगर बुखार 101 या 102 तक होता है तब मरीज पेरासिटामोल की टेबलेट ले सकता है. जिससे बुखार उतर जाएगा. अगर तब भी बुखार नहीं उतरता, तो उस वक्त मरीज को डॉक्टर से बात करनी चाहिए.
ज्यादातर मरीजों का इलाज घर पर रहते हुए हो सकता है. इसलिए मरीज अस्पताल आने से पहले डॉक्टर से जरूर बात करें. ऐसा करने से बहुत से मरीजों को अस्पताल आने की जरूरत नहीं पड़ेगी और उन मरीजों को अस्पताल में बेड मिल पाएगा जिनकी स्थिति ज्यादा गंभीर है.
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इसके अलावा उन्होंने पड़ोसी राज्य से भी अपील करते हुए कहा कि अगर पड़ोसी राज्यों के सरकारी अस्पतालों से यहां मरीज भेजे जा रहे हैं, तो मरीज भेजने से पहले वहां के डॉक्टर्स पीजीआई के डॉक्टर्स के साथ मरीज के बारे में जरूर बात कर लें. बहुत से मामलों में मरीजों को रेफर करने की जरूरत ही नहीं पड़ती. इसलिए पीजीआई में मरीज भेजने से पहले पीजीआई में बात करना मरीज के लिए बेहतर कदम होगा, ताकि पीजीआई के डॉक्टर को मरीज की स्थिति का पता चल सके और पीजीआई आने पर उसे बेहतर इलाज किया जा सके.