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नायब तहसीलदार को निलंबित करने के मुख्यमंत्री के आदेश पर हाईकोर्ट की रोक, सरकार से मांगा जवाब

औचक निरीक्षण में नायब तहसीलदार को हटाने के मामले में हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार से जबाव मांगा है. आपको बता दें कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने औचक निरीक्षण के दौरान नायब तहसीलदार को निलंबित कर दिया था.

highcourt stay order of nayab tahseeldar hawa singh in chandigarh
हाईकोर्ट

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Published : Jan 11, 2020, 12:11 AM IST

चंडीगढ़:हाल ही में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने करनाल में औचक निरीक्षण किया था. इस औचक निरीक्षण में मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने नायब तहसीलदार हवा सिंह पुनिया को निलंबित करने के आदेश जारी किए गए थे. लेकिन मुख्यमंत्री के इस आदेश को उन्होंने कोर्ट में चुनौती दी. कोर्ट में उनकी याचिका पर सुनवाई हुई. जिसमें पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने रोक लगाते हुए हरियाणा सरकार को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने के आदेश दिए हैं.

नायब तहसीलदार के मामले में कोर्ट में हुई सुनवाई

पंजाब-हरियाणा हाइकोर्ट में नायब तहसीलदार हवा सिंह पुनिया ने याचिका के माध्यम से कहा है कि मुख्यमंत्री की तरफ से किए गए अचानक छापेमारी के दौरान एक शिकायत मिलने पर बिना सच्चाई जाने उसको और कई अन्य तहसील कर्मचारियों को निलंबित कर दिया था. याची ने कोर्ट को बताया कि जिस व्यक्ति के नाम रजिस्ट्री होती है, रजिस्ट्री उसे या उसके द्वारा अधिकृत व्यक्ति को ही दी जा सकती है. शिकायतकर्ता अशोक का उस रजिस्ट्री से कोई लेना देना नहीं था. फिर भी वह रजिस्ट्री मांग रहा था.

नायब तहसीलदार को निलंबित करने के मुख्यमंत्री के आदेश पर हाईकोर्ट की रोक, देखें वीडियो

ये था पूरा मामला

इसलिए अशोक को यह रजिस्ट्री नहीं दी गई. रजिस्ट्री की सही मालिक के पति ने रजिस्ट्री मांगने के बाद उनको यह सौंप दी गई. रजिस्ट्री के मालिक की तरफ से साफ कहा गया है कि उनको तहसील स्टाफ से किसी भी तरह की कोई शिकायत नहीं है, लेकिन फिर भी केवल एकतरफा शिकायत पर मुख्यमंत्री ने यह कार्रवाई करते हुए उनको निलंबित कर दिया. इस मामले में याचिकाकर्ता नायब तहसीलदार हवा सिंह पुनिया ने याचिका दाखिल करते हुए हाईकोर्ट को बताया कि 16 दिसम्बर को मुख्यमंत्री ने अचानक छापा मारने की कार्रवाई की थी.

इस दौरान एक शिकायत मिलने पर बिना सच्चाई जाने उसको और कई अन्य तहसील कर्मचारियों को निलंबित कर दिया. याची के बताया कि उस पर आरोप यह था कि 9064 नंबर पर चार दिसंबर को रजिस्ट्री करवाई थी. रजिस्ट्री के कई दिन बीत जाने के बाद भी वह सौंपी नहीं जा रही है. याची ने कोर्ट को बताया कि जिस व्यक्ति के नाम रजिस्ट्री होती है. शिकायतकर्ता अशोक का उस रजिस्ट्री से कोई लेना देना नहीं था, फिर भी वह रजिस्ट्री मांग रहा था. इसलिए अशोक को यह रजिस्ट्री नहीं दी गई.

रजिस्ट्री की सही मालिक के पति द्वारा रजिस्ट्री मांगने के बाद उनको यह सौंप दी गई. रजिस्ट्री के मालिक की तरफ से साफ कहा गया है कि उनको तहसील स्टाफ से किसी भी तरह की कोई शिकायत नहीं है, लेकिन फिर भी केवल एकतरफा शिकायत पर मुख्यमंत्री ने यह कार्रवाई करते हुए उनको निलंबित कर दिया. याचिका में आरोप लगाया गया कि मंत्री और राजनेता छापेमारी कर भय का माहैाल बना रहे है.

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अब सरकार के जवाब का इंतजार

हाईकोर्ट ने निलंबन के आदेश पर रोक लगाते हुए सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. गौरतलब है कि पहले भी हरियाणा सरकार के कई आदेशों पर हाईकोर्ट की तरफ से रोक लगाई गई है. हालांकि इस बार हरियाणा के मुख्यमंत्री के आदेशों पर हाईकोर्ट की तरफ से रोक लगाई गई है. देखना यह होगा कि हरियाणा सरकार की तरफ से इस मामले में क्या जवाब हाईकोर्ट में दिया जाता है.

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