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AJL प्लॉट आवंटन मामला: पूर्व सीएम हुड्डा को हाईकोर्ट से लगातार दूसरी राहत

एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) को प्लॉट आवंटित करने के मामले में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट (Punjab Haryana High Court) ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा (Bhupinder Hooda) को बड़ी राहत दी है.

ajl plot allotment case
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Published : Jul 14, 2021, 3:16 PM IST

चंडीगढ़: हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा को पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिल गई है. हाईकोर्ट ने एजेएल प्लॉट आवंटन मामले में ईडी (ED) केस में स्टे के ऑर्डर दिए हैं. एजेएल प्लॉट आवंटन मामले में हाईकोर्ट ने हरियाणा की विशेष ED कोर्ट की कार्यवाही पर स्टे लगाई है.

अब इस मामले में हाईकोर्ट में अगली सुनवाई 18 अगस्त को होगी. बता दें कि, पंचकूला स्थित हरियाणा की विशेष ईडी कोर्ट में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर एजेएल प्लॉट आवंटन मामले में सुनवाई चल रही थी. इससे पहले हाईकोर्ट ने एजेएल प्लॉट आवंटन मामले में सीबीआई कोर्ट की कार्यवाही पर भी 9 अगस्त तक रोक लगा दी थी.

गौरतलब है कि एजेएल प्लॉट आवंटन मामले में भूपेंद्र सिंह हुड्डा सहित कई लोग आरोपी हैं. इस मामले में पंचकूला स्थित विशेष सीबीआई अदालत की ओर से भूपेंद्र हुड्डा सहित अन्य आरोपियों पर आरोप (चार्जेस फ्रेम) तय कर दिए गए हैं. कोर्ट ने मामले में आरोपियों पर धारा 120बी (साजिश रचना), 420 भारतीय दंड संहिता(धोखाधड़ी), 13 (2), 13 1 (डी) (भ्रष्टाचार अधिनियम) के तहत आरोप तय किए हैं. बता दें कि मामले में एक आरोपी मोती लाल वोरा की मौत हो चुकी है.

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बता दें कि, 1982 में पंचकूला सेक्टर-6 में प्लॉट नंबर सी-17 तब के सीएम चौधरी भजनलाल ने एजेएल को अलॉट कराया. कंपनी को इस पर 6 महीने में निर्माण शुरू करके दो साल में काम पूरा करना था, लेकिन कंपनी 10 साल में भी ऐसा नहीं कर पाई. अक्टूबर 1992 को हुडा ने अलॉटमेंट कैंसिल करके प्लॉट को रिज्यूम कर लिया. 18 अगस्त 1995 को फ्रेश अलॉटमेंट के लिए आवेदन मांगे गए. इसमें एजेएल कंपनी को भी आवेदन करने की छूट दी गई.

अगस्त 2005 को हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने एजेएल को 1982 की मूल दर पर प्लॉट अलॉट करने की फाइल पर साइन किए, साथ ही कंपनी को 6 महीने में निर्माण शुरू करके 1 साल में काम पूरा करने को भी कहा गया. हुड्डा पर आरोप है कि उनकी सरकार के दौरान नेशनल हेराल्ड का प्रकाशन करने वाली कंपनी एसोसिएट्स जनरल लिमिटेड(एजेएल) को नियमों के विपरीत भूखंड आवंटित किया. इससे सरकार को 67.65 लाख रुपये का नुकसान हुआ.

हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (हुडा) की शिकायत पर राज्य सतर्कता विभाग ने मई 2016 को इस मामले में केस दर्ज किया. मुख्यमंत्री हुड्डा तब इस विभाग के अध्यक्ष थे और यह गड़बड़ी भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कार्यकाल में हुई, इसलिए उनके खिलाफ मामला दर्ज हुआ है. केंद्रीय जांच ब्यूरो की विशेष अदालत में दिसंबर 2018 में पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा, एजेएल के तत्कालीन चेयरमैन कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा और एजेएल के खिलाफ चार्जशीट दायर की गई थी. एजेएल पर कांग्रेस के नेताओं का कथित तौर पर नियंत्रण है, जिसमें नेहरु-गांधी परिवार भी शामिल है.

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