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मानेसर जमीन घोटाला मामले में हाईकोर्ट ने सीबीआई कोर्ट की सुनवाई पर लगाई अंतरिम रोक

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के प्रमुख सचिव रहे पूर्व आईएएस सुदीप सिंह ढिल्लो की याचिका पर सीबीआई को नोटिस जारी किया है. ढिल्लों ने हाईकोर्ट में दायर अपनी याचिका में सीबीआई ट्रायल कोर्ट पंचकूला के आदेशों को रद्द करने की मांग की है.

High court imposes interim stay on hearing in Manesar land scam case in CBI court
मानेसर जमीन घोटाला मामले में हाईकोर्ट ने सीबीआई कोर्ट की सुनवाई पर लगाई अंतरिम रोक

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Published : Jan 18, 2021, 5:00 PM IST

चंडीगढ़: मानेसर भूमि घोटाले के मामले में आरोपी पूर्व आईएएस सुदीप सिंह ढिल्लो की याचिका पर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने सीबीआई को नोटिस जारी किया है. साथ ही ट्रायल कोर्ट को मामला आगे सुनाने पर भी अंतरिम रोक लगा दी है.

ढिल्लो ने सीबीआई ट्रायल कोर्ट पंचकूला के आदेशों को रद्द करने की की थी मांग

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के प्रमुख सचिव रहे पूर्व आईएएस सुदीप सिंह ढिल्लो की याचिका पर सीबीआई को नोटिस जारी किया है. ढिल्लो मानेसर भूमि घोटाले के मामले में आरोपी हैं. ढिल्लों ने हाईकोर्ट में दायर अपनी याचिका में सीबीआई ट्रायल कोर्ट पंचकूला के आदेशों को रद्द करने की मांग की है.

ढिल्लों पर धोखाधड़ी और अपराधिक साजिश की धाराओं के तहत लगे थे आरोप

ढिल्लो ने हाईकोर्ट में दायर अपनी याचिका में सीबीआई कोर्ट द्वारा 16 मार्च 2018 के आदेश जिसके तहत सीबीआई द्वारा पेश किए गए आरोपपत्र पर कोर्ट ने उस को पेश होने का आदेश दिया था. इसी तरह 1 दिसंबर 2020 के सीबीआई कोर्ट के आदेशों को भी रद्द करने के निर्देश देने की मांग की गई है. जिसके तहत उस पर आपराधिक साजिश ,धोखाधड़ी ,जालसाजी और भ्रष्टाचार अधिनियम की रोकथाम के लिए विभिन्न धाराओं के तहत आरोप लगाए गए.

'उनके खिलाफ मामला चलाने के लिए किसी अथॉरिटी की नहीं ली गई मंजूरी'

याचिका में दलील दी गई है कि भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम के तहत उसके खिलाफ मामला चलाने के लिए अपेक्षित मंजूरी जरूरी है. अथॉरिटी की मंजूरी के बगैर उसके खिलाफ मामला चलाना गैरकानूनी है. ढिल्लों की तरफ से दलील दी गई थी कि विशेष सीबीआई अदालत पंचकूला का ये निर्णय आधारहीन है, कि ढिल्लों के खिलाफ मामला चलाने के लिए किसी अथॉरिटी की मंजूरी की जरूरत नहीं है.

भूमि अधिग्रहण और मुआवजा तय करने में उनका कोई रोल नहीं: ढिल्लो

साथ ही दलील में ये भी कहा गया है कि भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम 1960 की धारा 19 के तहत याचिकाकर्ता जैसे सेवानिर्वत लोक सेवक के खिलाफ मामला चलाने के लिए अथॉरिटी की मंजूरी एक आवश्यक शर्त है, लेकिन इसकी पालना नहीं की गई. कानून के सामने सीबीआई कोर्ट का आदेश गैरकानूनी है. उन्होंने हाई कोर्ट को बताया कि ट्रायल कोर्ट के सामने ये साफ हो चुका है कि भूमि के अधिग्रहण और मुआवजा तय करने में उसका कोई रोल नहीं है. फिर भी उसके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है.

सुनवाई के लिए हाईकोर्ट ने दी 24 फरवरी की तारीख

सुनवाई के दौरान सीबीआई के वकील सुमित गोयल ने मामले की जांच के बारे में कोर्ट को बताया कि सीबीआई कोर्ट ने जांच एजेंसी को 24 फरवरी को ढिल्लों पर जवाब देने का आदेश दिया हुआ है. हाईकोर्ट के जस्टिस अरविंद सिंह सांगवान ने सीबीआई वकील के इस जवाब पर सीबीआई कोर्ट पंचकूला को निर्देश दिया कि वो इस मामले पर अभी आगे कोई निर्णय न लें. इस याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई की तिथि के बाद सुनवाई तय करें. हाईकोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई 24 फरवरी को होगी.

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क्या है मानेसर जमीन घोटाला?

दरअसल ये घोटाला भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कार्यकाल में हुआ था. अगस्त 2014 में कुछ बिल्डरों ने राज्य सरकार के अज्ञात लोगों के साथ मिलीभगत कर गुरुग्राम जिले के मानसेर, नौरंगपुर और नखड़ौला आदि गांवों के भूस्वामियों को अधिग्रहण का भय दिखाकर उनकी करीब 400 एकड़ जमीन औने-पौने दाम पर खरीद ली थी. आरोप है कि हुड्डा सरकार के कार्यकाल के दौरान करीब 900 एकड़ जमीन का अधिग्रहण कर उसे बिल्डर्स को औने-पौने दाम पर बेचा गया.

मामला जब मीडिया में उठा, तो इस केस को राज्य सरकार ने सीबीआई को सौंप दी. सीबीआइ ने इस मामले में पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा सहित 34 के खिलाफ 17 सितंबर 2015 को मामला दर्ज किया था. इस मामले में ईडी ने भी हुड्डा के खिलाफ सितंबर 2016 में मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया था. जिसमें सीबीआई ने करीब 80 हजार पन्नों वाली चार्जसीट सीबीआई कोर्ट में पेश की. जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, रिटायर्ड आईएएस छत्तर सिंह, मुरारीलाल तायल और एसएस ढिल्लों समेत कुल 34 लोगों को आरोपी बनाया गया है.

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