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हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार पर लगाया 50 हजार का जुर्माना, साथ ही दी आखिरी चेतावनी - चंडीगढ़

याचिकाकर्ता आनंद प्रकाश ने वकिल एचएस सेठी के माध्यम से हाईकोर्ट में मनमाने तरीके से हाउसिंग सोसायटी में अलॉटमेंट दिए जाने को लेकर याचिका दायर की थी. इसी मामले को लेकर मंगलवार के दिन कोर्ट में सुनवाई की गई.

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट. फाइल फोटो

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Published : Mar 12, 2019, 11:42 PM IST

चंडीगढ़: पंचकूला के मनसा देवी कॉमप्लेक्स में बनी हरियाणा सरकार ऑफिसर ग्रुप हाऊसिंग सोसायटी में आईएएस और आईपीएस अधिकारियों को मनमाने तरीके से अलॉटमेंट देने का मामला सामने आया था. मंगलवार के दिन मामले की सुनवाई में कोर्ट ने हरियाणा सरकार पर 50 हजार का जुर्माना लगा दिया. साथ ही कोर्ट ने हरियाणा सरकार को आखिरी मौको देते हुए सुनवाई 25 मार्च तक टाल दी है.

आनंद प्रकाश ने याचिका दाखिल करते हुए एडवोकेट एचएस सेठी के माध्यम से हाईकोर्ट को बताया कि पंचकूला में मौजूदा सोसायटी में अलॉटमेंट मनमाने तरीके से की गई है. याची ने कहा कि आईएएस और आईपीएस अधिकारियों ने हरियाणा में हाऊसिंग सोसायटी के लिए 1998 में अलॉटमेंट करवाई थी. इसके बाद हरियाणा सरकार ने 2001 में ग्रुप हाऊसिंग सोसायटी के लिए मनसा देवी कॉमप्लेक्स में अलॉटमेंट के लिए पॉलिसी बनाई थी.

साथ ही बताया कि आईएएस और आईपीएस अधिकारियों ने इस भूमि को पहले अलॉट की गई भूमि से बेहतर मानते हुए अपने पुराने अलॉट किए गए प्लाट सरेंडर कर इस सोसायटी के लिए आवेदन कर दिया. याची ने कहा कि इस सोसायटी का नाम हरियाणा गवर्नमेंट ऑफिसर ग्रुप हाऊसिंग सोसायटी था, जो केवल हरियाणा के कर्मचारियों के लिए है.

याची ने कहा कि आईएएस और आईपीएस अधिकारी राज्य सरकार के कर्मचारी नहीं होते बल्कि केंद्र सरकार के कर्मचारी होते हैं. ऐसे में उन्हें इस सोसायटी में अलॉटमेंट नहीं ही दी जा सकती. साथ ही याची ने यह भी बताया कि यदि किसी व्यक्ति को एक बार अलॉटमेंट हो जाती है, तो वह दोबारा अलॉटमेंट नहीं करवा सकता भले ही उसने पुरानी अलॉटमेंट सरेंडर कर दी हो.

याची ने बताया कि ऐसे 40 आईएएस और आईपीएस अधिकारी हैं, जिन्होंने प्लाट सरेंडर कर इस सोसायटी में प्लाट ले लिए हैं. इसके साथ ही ऐसे अधिकारी भी हैं जिनके नाम अन्य सोसायटी में भी हैं और इस सोसायटी में भी. याची ने कहा कि अधिकारियों ने अपने रुतबे का इस्तेमाल करते हुए यह सब मैनेज किया है और ऐसे में उनकी अलॉटमेंट गलत है और इसे खारिज किया जाना चाहिए.

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