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युवाओं में क्यों बढ़ने लगे हार्ट अटैक के मामले, डॉक्टर से जानें क्या है वजह और कैसे रखें दिल का ख्याल

Heart attack cases increasing in youth: देश में हार्ट अटैक के 50 फीसदी मामले 50 साल से कम उम्र के लोगों के सामने आ रहे हैं, वहीं 25 फीसदी मामले 40 साल से कम उम्र के लोगों के सामने आ रहे हैं. ऐसे में हैरानी की बात है कि आखिर युवाओं में दिल की बीमारी कैसे बढ़ रही है और कैसे बचा जा सकता है. हमारे इस सवाल का जवाब दिया चंडीगढ़ पीजीआई के कार्डियोलॉजी विभाग के प्रोफेसर राजेश विजयवर्गीय ने. आप भी जानें-

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Published : Sep 19, 2021, 7:35 PM IST

Heart attack cases increase youth
युवाओं में क्यों बढ़ने लगे Heart attack cases increase youth अटैक के मामले

चंडीगढ़:पिछले कुछ सालों में लोगों में हार्ट अटैक की बीमारी (Heart attack cases increasing in youth) बढ़ने लगी है. आमतौर पर हार्ट अटैक और दिल की अन्य बीमारियां जहां पर 50 से ज्यादा उम्र के लोगों में देखने को मिलती थी, लेकिन पिछले कुछ सालों में युवा भी हार्ट अटैक और हार्ट फेलियर जैसी बीमारियों का शिकार होने लगे हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया भर में हर साल 1 करोड़ 70 लाख लोगों की मौत दिल की बीमारियों की वजह से होती है.

हार्ट अटैक के 50 फीसदी मामले 50 साल से कम उम्र के लोगों के हैं, जबकि 25 फीसदी मामले 40 साल से कम उम्र के लोगों के हैं. युवाओं में हार्ट अटैक की वृद्धि दर दो प्रतिशत से ज्यादा है, जबकि कुल मामलों में 10 फीसदी लोग युवा हैं. इस बारे में हमने चंडीगढ़ पीजीआई के कार्डियोलॉजी विभाग के प्रोफेसर राजेश विजयवर्गीय से खास बातचीत की. जिसमें उन्होंने विस्तार से जानकारी दी कि युवाओं में यह बीमारी क्यों बढ़ रही है.

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डॉक्टर विजयवर्गीय बताते हैं कि पहले हमारे पास ज्यादातर दिल की बीमारियों से ग्रस्त बड़ी उम्र के लोग आते थे, लेकिन पिछले कुछ सालों में युवा मरीज भी काफी संख्या में आने लगे हैं. जिसकी मुख्य वजह है कि युवाओं में भी मधुमेह की बीमारी बढ़ रही है. भारत दुनिया की डायबिटीज केपिटल माना जाता है. डॉक्टर का मानना है कि इसकी एक वजह स्मोकिंग भी है. डॉक्टर के मुताबिक देश के स्मोकर यूथ की संख्या बढ़ती जा रही है. युवाओं में हाइपरटेंशन भी बढ़ रही है. जो हार्ट अटैक की मुख्य वजह है.

हार्ट अटैक जेनेटिक बीमारी है: डॉक्टर का कहना है कि हार्ट अटैक एक अनुवांशिक बीमारी है. अगर परिवार में माता-पिता को हार्ट अटैक की बीमारी रही है, तो उस परिवार के बच्चों को भी ये बीमारी हो सकती है. इसके अलावा लोगों की फिजिकल एक्टिविटी भी कम हो गई है, जिससे मोटापा बढ़ रहा है.

तदरुस्त लोग भी हो सकते हैं शिकार: डॉ. राजेश विजयवर्गीय ने बताया कि उनके पास ऐसे मरीज भी आते हैं जो एक स्वस्थ जीवन शैली जीते हैं, लेकिन फिर भी उन्हें दिल की बीमारी हो जाती है. ऐसे मरीजों के शरीर में एलडीएल कोलेस्ट्रॉल या लाइको प्रोटीन की मात्रा बढ़ जाती है. जिससे वे दिल की बीमारियों के शिकार हो जाते हैं. इसके अलावा कई ऐसे मरीज भी होते हैं जिनके परिवार के बड़े लोग दिल की बीमारियों के शिकार होते हैं, जिससे जेनेटिकली वह भी शिकार हो जाते हैं.

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कैसे पहचाने दिल की बीमारियों के लक्षण:आखिर लोग किस तरह से दिल की बीमारियों से जुड़े लक्षणों को पहचान सकते हैं. इसके बारे में जानकारी देते हुए डॉक्टर विजयवर्गीय ने बताया कि अगर किसी को काम करते वक्त या चलते वक्त सीने में दर्द महसूस होता है और रुकने पर दर्द भी खत्म हो जाता है, या इस उल्टी आने को होती है, सीने में भारीपन महसूस होता है, तो यह दिल की बीमारी का लक्षण हो सकता है. ऐसा कोई भी लक्षण महसूस होने पर तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए और ईसीजी टेस्ट कराना चाहिए. अगर टेस्ट में कुछ भी असामान्य दिखाई देता है तो आगे का इलाज शुरू करवाना चाहिए.

नजरअंदाज ना करें सीने का दर्द:डॉ. राजेश ने बताया कि उनके पास कई ऐसे मरीज आते हैं. जिन्हें पहले सीने में दर्द हुआ था, लेकिन उन्होंने गैस या एसिडिटी समझकर उसे नजरअंदाज कर दिया. डॉ. राजेश का कहना है कि ये हार्ट अटैक का लक्षण है. अगर ऐसे मरीज समय पर अस्पताल में पहुंचे, तो उनके दिल का काफी नुकसान हो सकता है. ऐसे केस में हार्ट फेलियर भी हो सकता है. इसलिए डॉक्टर का कहना है कि अगर कभी भी सीने में दर्द महसूस हो तो उसे नजरअंदाज ना करें और तुरंत डॉक्टर के पास जायें. देरी होने पर दिल के कई हिस्से निष्क्रिय भी हो सकते हैं. इसलिए इसे नजरअंदाज बिल्कुल ना करें.

दिल की बीमारियों से कैसे करें बचाव: डॉक्टर विजयवर्गीय ने कहा कि अगर कुछ सावधानियां बरती जाएं तो दिल की बीमारियों से बचा जा सकता है. सबसे पहले अच्छी जीवनशैली को अपनाएं. जो लोग धूम्रपान करते हैं या मोटापे के शिकार हैं या जिन्हें हाइपरटेंशन या डायबिटीज जैसी बीमारियां हैं. वे लोग थोड़े-थोड़े समय बाद अपना कार्डियक टेस्ट करवाते रहें. जो लोग स्वस्थ भी हैं उन्हें भी हर 5 साल में कार्डियक टेस्ट और कोलेस्ट्रोल जैसे टेस्ट करवाते रहना चाहिए, जिससे अगर कोई भी बीमारी की शुरुआत होती है तो उसे समय पर ठीक किया जा सके. इसके अलावा सुबह की सैर और व्यायाम नियमित तौर पर करना चाहिए.

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