चंडीगढ़ः हरियाणा के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अशोक खेमका की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट के जस्टिस राजीव शर्मा पर आधारित बेंच ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है.
इस मामले में खेमका ने हरियाणा के मुख्यमंत्री द्वारा उसके सीआर में नंबर कम कर नकारात्मक टिप्पणी करने को हाई कोर्ट में चुनौती दी है. इससे पहले खेमका ने कैट में गुहार लगाई थी लेकिन कैट ने खेमका की याचिका खारिज कर दी थी. अब कैट के आदेश के खिलाफ खेमका ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की है.
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट इस बार मामला उनकी2016-17की वार्षिक प्रदर्शन मूल्यांकन रिपोर्ट (एसीआर) से जुड़ा है. एसीआर में सीएम मनोहर लाल ने खेमका के अंक घटाते हुए प्रतिकूल टिप्पणी की थी. इससे पदोन्नति रुकने का खतरा देख खेमका ने कैट (केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण) में अर्जी लगाई, लेकिन वहां से कोई राहत नहीं मिली. अब उन्होंने अपने एडवोकेट बेटे श्रीनाथ ए खेमका के जरिए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर की है.
1991 बैच के आईएएस अशोक खेमका ने 7 जून 2017 को वर्ष2016-17के लिए एप्रेजल भरा था. इसमें मुख्य सचिव डीएस ढेसी ने उन्हें 10 में से 8.22 नंबर दिए. 27 जून को खेल एवं युवा मामलों के मंत्री अनिल विज ने उन्हें 10 में से 9.92 अंक देते हुए टिप्पणी की है कि कैबिनेट मंत्री के रूप में उन्होंने 3 साल में 20 से अधिक आईएएस अफसरों के साथ काम किया, लेकिन कोई भी अधिकारी खेमका के करीब नहीं था.
उन्होंने कहा कि खेमका की योग्यता, सच्चाई, ईमानदारी का कोई सानी नहीं. 31 दिसंबर 2017 को खेमका की एप्रेजल रिपोर्ट सीएम मनोहर लाल के पास पहुंची. सीएम ने खेमका के नंबर काट दिए और 10 में से 9 अंक दिए. साथ लिखा कि खेमका पर विज की रिपोर्ट में थोड़ा बढ़ा-चढ़ाकर वर्णन किया गया है.