चंडीगढ़:जेजेपी नेता दुष्यंत चौटाला के डिप्टी सीएम पद को चुनौती देने वाली याचिका हाई कोर्ट ने रद्द कर दी है. पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने इस याचिका को कर दिया है.
डिप्टी सीएम पद के खिलाफ थी याचिका
मोहाली सेक्टर-59 निवासी वकील जगमोहन सिंह भट्टी की तरफ से हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी. जिसमें कहा गया था कि संविधान में उपमुख्यमंत्री पद का प्रावधान ही नहीं है. ऐसे में इस पद पर कोई नियुक्ति नहीं की जा सकती.
क्या था उस याचिका में?
याचिका में कहा गया था कि दो राजनीतिक दलों ने आपसी समझ के साथ सरकार बनाते हुए इस पद पर नियुक्ति पर सहमति बना ली, जबकि संविधान में इसका कोई उल्लेख नहीं है. केंद्र या राज्य सरकार ऐसी कोई नियुक्ति नहीं कर सकती. ऐसे में इस पद पर नियुक्ति को खारिज किया जाए और इस पद पर दिए जाने वाले सभी लाभ व भत्ते दिए जाने पर उन्हें रिकवर किया जाए.
1993 के हाई कोर्ट के फैसले की दलील
याचिकाकर्ता ने दलील दी थी कि आर्टिकल 164 में डिप्टी सीएम के पद का कोई विवरण नहीं है, याचिकाकर्ता पक्ष की तरफ से हरद्वारी लाल के 1993 के हाई कोर्ट के फैसले की दलील दी गई थी.
केस की जानकारी देते वकील दीपक बालियान वहीं पिछली सुनवाई पर हाई कोर्ट ने कई फैसलों का रेफरेंस दिया था जिसपर राज्य सरकार की तरफ से इन सभी फैसलों को हाई कोर्ट के समक्ष रख गया. इनमें सुप्रीम कोर्ट के केएल शर्मा की जजमेंट, बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले के साथ हाल ही में कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले को भी राज्य की तरफ से रखा गया. हाई कोर्ट ने सभी फैसलों को देखकर याचिका को खारिज कर दिया.
देवीलाल के उप प्रधानमंत्री पद के खिलाफ भी थी याचिका
बता दें कि चौधरी देवीलाल की उप प्रधानमंत्री की शपथ को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया गया था. तत्कालीन राष्ट्रपति रामास्वामी वेंकटरमण दुष्यंत चौटाला के परदादा देवीलाल को शपथ दिला रहे थे. राष्ट्रपति शपथ दिलाते वक्त मंत्री पद बोले, लेकिन देवीलाल ने उपप्रधानमंत्री पद बोला.
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इस पर राष्ट्रपति ने दोबारा मंत्री पद बोला, लेकिन देवीलाल फिर दोबारा से उप प्रधानमंत्री ही बोले. शपथ तो हो गई, लेकिन उनका उप प्रधानमंत्री पद पर शपथ लेना सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज हो गया, क्योंकि संविधान में ये पद नहीं है. बाद में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उप प्रधानमंत्री भले ही वे बन गए, लेकिन उनके पास वास्तविक अधिकार केंद्रीय मंत्री जैसे रहेंगे.