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मोटर एक्सीडेंट क्लेम के लिए पुलिस, बीमा कंपनियों और लीगल सर्विस अथॉरिटी की तय होगी जिम्मेदारी - eenduindia hindi

मोटर एक्सीडेंट क्लेम के मामलों में लोगों को आने वाली दिक्कतों को कम करने के लिए पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने अहम आदेश जारी किए हैं.

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट.

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Published : Feb 19, 2019, 12:23 PM IST

चंड़ीगढ़ : मोटर एक्सीडेंट क्लेम के मामलों में लोगों को आने वाली दिक्कतों को कम करने के लिए पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने अहम आदेश जारी किए हैं.

कोर्ट के निर्देशों के अनुसार दुर्घटना से मुआवजे का अवार्ड पास होने तक पुलिस, बीमा कंपनियों और डिस्ट्रिक्ट लीगल सर्विस अथॉरिटी की जिम्मेदारी बताई गई है. कोर्ट के आदेशों के अनुरूप इस प्रक्रिया को अब हरियाणा, पंजाब और चंडीगढ़ में लागू करना होगा.

मामले में जारी आदेशों में कहा गया है कि दुर्घटना की स्थिति में अक्सर सही दस्तावेजों के अभाव में या सही प्रक्रिया की जानकारी ना होने के चलते लोगों को क्लेम के लिए भटकना पड़ता है. ऐसे में ये जरूरी है कि क्लेम के लिए जो प्रक्रिया है उसके हर स्तर को पारदर्शी बनाने के साथ ही अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जाए.

पुलिस के स्तर पर जारी आदेशों में कोर्ट ने कहा कि क्लेम से जुड़े मामलों में एसएचओ स्तर का अधिकारी शिकायत दर्ज होने के बाद एक्सीडेंट में मौत या घायल होने से जुड़े सभी जरूरी दस्तावेज जुटाएगा. इन दस्तावेजों में मेडिकल रिपोर्ट से लेकर लाईसेंस और अन्य आवश्यक कागजों का विशेष तौर पर ध्यान रखा जाएगा ताकि आगे के स्तर पर क्लेम हेतू दस्तावेजों के लिए भटकना ना पड़े.

कोर्ट ने अपने आदेशों में कहा कि पुलिस फार्म के साथ सभी दस्तावेजों को इंश्योरेंस कंपनी के नोडल अधिकारियों और मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल को सौंपेगी. यहां से इंश्योरेंस कंपनियों की जिम्मेदारी शुरू होगी. एफआईआर की कॉपी, इंजरी सर्टिफिकेट, मेडिको लीगल रिपोर्ट और पोस्टमार्टम सर्टिफिकेट, एक्सीडेंट में शामिल ड्राइवर के ड्राइविंग लाइसेंस की जानकारी, वाहन के मालिक से गाड़ी के बीमा संबंधी जानकारी समय पर आने से लोगों की परेशानी कम होगी. पुलिस अधिकारी डिस्ट्रिक्ट लीगल सर्विसिस अथारिटी से कानूनी सहयोग लेकर मोटल एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल में क्लेम के लिए पीडि़त को मदद देगा.

हाईकोर्ट ने आगे अपने फैसले में कहा कि लोगों को बीमा कंपनियों के नोडल ऑफिसरों के बारे में जानकारी मुहैया करवाने के लिए हरियाणा, पंजाब और चंडीगढ़ प्रशासन ठोस कदम उठाए. इसके लिए वे नोडल ऑफिसरों से जुडी जानकारी और संपर्क सूत्र अपनी वेबसाईट पर डाले.

यहां बढ़ेगी बीमा कंपनियों की जिम्मेदारी
हाईकोर्ट के आदेशों के अनुरूप पुलिस से जानकारी प्राप्त करने के बाद बीमा कंपनियों की जिम्मेदारी होगी कि वे जांचे कि किन मामलों में क्लेम मांगा गया है और किनमें नहीं. अगर स्थिति ऐसी होती है कि क्लेम नहीं मांगा गया है तो ऐसे में कंपनियों को खुद सेटलमेंट प्रपोजल तैयार करना होगा. इस प्रपोजल को तैयार करते हुए यह ध्यान रखा जाए कि पीड़ित परिवार की आय कितनी है.

एक्सीडेंट में घायल होने की स्थिति में भी कंपनियों की जिम्मेदारी को हाईकोर्ट ने तय किया है. हाईकोर्ट ने आदेशों में कहा कि अगर एक्सीडेंट में व्यक्ति गंभीर रूप से घायल होता है तो ऐसी स्थिति में बीमा कंपनियां आगे आकर उपचार का सारा खर्च उठाएंगी. इसके लिए हाईकोर्ट ने लीगल सर्विस अथॉरिटी को भी निर्देश जारी किए कि जिस स्तर पर मदद की आवश्यकता हो वो मुहैया करवाएं.

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