चंडीगढ़: हरियाणा के नूंह में हिंसा के बाद प्रशासन की ओर से ताबड़तोड़ अवैध अतिक्रमण के खिलाफ बुलडोजर कार्रवाई की गई थी. हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में तोड़फोड़ के कारण काफी लोगों ने नाराजगी भी जताई थी. ऐसे में 7 अगस्त को हाई कोर्ट ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए बुलडोजर कार्रवाई पर स्टे लगा दिया था. इस मामले में हाई कोर्ट ने सरकार से जवाब भी मांगा था. कोर्ट ने सरकार को ये स्पष्ट करने को कहा था कि क्या किसी विशेष वर्ग को ही निशाना बनाया जा रहा है. इसके अलावा कोर्ट ने पूछा था कि तोड़फोड़ से पहले लोगों को नोटिस जारी किया गया था या नहीं. इस मामले में 11 अगस्त को हाई कोर्ट में सुनवाई को स्थगित कर दिया गया था.
इस मामले में चीफ जस्टिस ने सुनवाई की. शुक्रवार को हरियाणा सरकार ने मामले में अपना जवाब हाई कोर्ट में दाखिल किया. हरियाणा सरकार ने साफ तौर पर कहा कि नूंह में धर्म विशेष के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई. नियम के अनुसार ही अवैध निर्माणों को गिराया गया है. हरियाणा सरकार ने कोर्ट मे 400 पन्नों का जवाब दिया. हरियाणा सरकार ने हाई कोर्ट में जवाब दाखिल कर कहा कि गुरुग्राम में जो भी अवैध निर्माण गिराए गए, वो सभी हिंदू समुदाय के लोगों के थे, जबकि नूंह में गिराए गए 70 फीसदी अवैध निर्माण मुस्लिम समुदाय और तीस फीसदी हिंदू समुदाय के थे.