चंडीगढ़: पहलवानों के तमाम अल्टीमेटम के बावजूद भारतीय कुश्ती संघ (WFI) के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी नहीं हुई. 7 जून को खेल मंत्री अनुराग ठाकुर के साथ पहलवानों की बैठक हुई थी. अनुराग ठाकुर ने सरकार की तरफ से उन्हें न्याय का आश्वासन दिया और कहा था कि 15 जून तक जांच पूरी करके चार्जशीट कोर्ट में दाखिल कर दी जायेगी हलांकि गिरफ्तारी को लेकर वो साफ-साफ कुछ नहीं बोले. सारा पेंच यहीं फंसा है. पहलवान बृजभूषण सिंह की गिरफ्तारी से कम पर मानने को तैयार नहीं हैं.
अनुराग ठाकुर (Anurag Thakur) से मुलाकात के बाद पहलवानों ने 10 जून को हरियाणा के सोनीपत में खाप प्रतिनिधियों के साथ पंचायत (Wrestler Panchayat in Sonipat) करके ऐलान कर दिया कि अगर 15 जून तक बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी नहीं हुई तो वो दोबारा आंदोलन शुरू करेंगे. हलांकि आंदोलन की जगह पहलवानों ने नहीं बताई लेकिन ये साफ कर दिया कि आरोपी की गिरफ्तारी तक वो शांत नहीं बैठेंगे. किसानों और खाप संगठनों के समर्थन और भारी बवाल के बावजूद बजृभूषण सिंह की गिरफ्तारी आखिर क्यों नहीं हो रही है, ये बड़ा सवाल है. भारतीय कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष की गिरफ्तारी ना होने के पीछे 3 बड़ी वजह मानी जा रही हैं, जो उनकी सुरक्षा कवच बनी हुई हैं.
बृजभूणष सिंह को गिरफ्तार ना करना राजनीतिक कारण?पहला सवाल हर किसी के जेहन में ये उठता है कि राजनीतिक कारणों से बृजभूषण सिंह को बीजेपी गिरफ्तार नहीं करवाना चाहती. 2024 में लोकसभा चुनाव हैं. बृजभूषण सिंह सबसे ज्यादा लोकसभा सीट देने वाले राज्य उत्तर प्रदेश से आते हैं. बृजभूषण शरण सिंह यूपी की कैसरगंज लोकसभा सीट से पिछले तीन बार से लगातार सांसद बन रहे हैं. कैसरगंज से वो 6 बार लोकसभा का चुनाव जीतकर सांसद बन चुके हैं. कैसरगंज के अलावा श्रावस्ती, बहराइच और उनके गृह जिले गोंडा समेत आस-पास इलाकों में उनका बहुत बड़ा राजनीतिक प्रभाव है.
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4 लोकसभा सीटों (कैसरगंज, श्रावस्ती, बहराइच, गोंडा) में 20 विधानसभा सीटें आती हैं, जिनमें से 17 अभी बीजेपी के पास हैं. जातीय समीकरण के हिसाब से कैसरगंज, श्रावस्ती, बहराइच और गोंडा जिले ठाकुर आबादी के प्रभाव वाले क्षेत्र हैं. बृजभूषण सिंह कैसरगंज सीट से 6 बार सांसद रह चुके हैं. कहावत है कि दिल्ली का रास्ता यूपी से होकर जाता है. जाहिर है कि बृजभूषण सिंह को नाराज करने का मतलब है कि इन इलाकों में बीजेपी को मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है. बजभूषण सिंह 2011 यानि 12 साल से ज्यादा समय से भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष हैं. अगर उनके राजनीतिक रसूख को देखा जाये तो ये बात सही है कि बीजेपी उनको नाराज करके चुनावी नुकसान नहीं उठाना चाहती.
बृजभूषण सिंह की गिरफ्तारी में कानूनी पेंच-बृजभूषण सिंह की गिरफ्तारी ना होने के पीछे कई कानूनी पेंच भी हैं. आमतौर पर लोगों को लगता है कि यौन शोषण के मामले में आरोपी को तुरंत गिरफ्तार करके जेल भेज दिया जाता है लेकिन ऐसा नहीं है. पुलिस पहले आरोपों की जांच करती है, उनकी सत्यता परखती है, सभी प्रासंगिक सबूत इकट्ठा करती है उसके बाद जांच अधिकारी के विवेक पर निर्भर करता है कि वो आरोपी को गिरफ्तार करे या नहीं. किसी को गिरफ्तार करने में पुलिस को सीआरपीसी में उल्लिखित प्रक्रियाओं का पालन करना पड़ता है. गंभीर आरोपों में अभियुक्त की गिरफ्तारी आम तौर पर तब होती है जब उस पर भागने या फिर जांच को प्रभावित करने का अंदेशा हो. इन सबके अलावा सबसे अहम बिंदु किसी अभियुक्त की गिरफ्तारी में ये है कि आरोपी के ऊपर कौन सी धाराएं लगी हैं.
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15 जून को बृजभूषण सिंह के खिलाफ चार्जशीट (Brijbhushan Singh Charge sheet) पेश करने के बाद दिल्ली पुलिस ने उन्हें ना गिरफ्तार करने की कई वजह बताई. दिल्ली पुलिस ने बृजभूषण सिंह की गिरफ्तारी ना करने के पीछे सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का हवाला दिया. दिल्ली पुलिस के मुताबिक अर्नेश कुमार बनाम बिहार सरकार मामले में सुप्रीम कोर्ट का साफ निर्देश है कि 7 साल से कम सजा के अपराध में पुलिस अभियुक्त को तत्काल गिरफ्तार नहीं करेगी. इसीलिए दिल्ली पुलिस ने बृजभूषण सिंह को गिरफ्तार किये बिना ही चार्जशीट दाखिल कर दी.
दिल्ली पुलिस ने WFI के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण सिंह पर आईपीसी की धारा 354 (शील भंग करने के इरादे से हमला), 354A (यौन उत्पीड़न) और 354D (महिला की मर्जी के खिलाफ उसका पीछा करना) के तहत केस दर्ज किये हैं. इन सभी धारआों के तहत अधिकतम 5 साल तक की सजा का ही प्रावधान है. पोक्सो ऐक्ट के तहत दर्ज आरोप नाबालिग ने वापस ले लिया है. दिल्ली पुलिस ने पोक्सो ऐक्ट में क्लोजर रिपोर्ट लगा दी है, इसलिए पुलिस ने बृजभूषण सिंह को गिरफ्तार नहीं किया है.