चंडीगढ़: पंजाब से हरियाणा को अलग हुए 53 साल हो चुके हैं. तब से अब तक कई ऐसे समझौते हैं, जो अभी तक अधूरे हैं. जिसमें सबसे पहले नाम पंजाब-हरियाणा की राजधानी का नाम आता है. दूसरा नाम एसवाईएल का आता है. वो भी अभी तक लंबित पड़ा है. अलग हाई कोर्ट, यूनिवर्सिटी समेत तमाम ऐसे समझौते हैं. जो अभी लंबित पड़े हैं. इनमें एक मुद्दा विधानसभा का भी है.
53 साल बाद भी नहीं मिल पाया हिस्सा
53 साल बाद भी हरियाणा को विधानसभा का 40 प्रतिशत हिस्सा भी पूरा नहीं मिल पाया है. विधानसभा में हरियाणा के पास 27 प्रतिशत हिस्सा है. जबकि ये हिस्सा 40 फीसदी होना चाहिए था. पंजाब के पास विधानसभा का करीब 73 प्रतिशत हिस्सा है. खबर ये है कि पंजाब के स्पीकर ने हरियाणा को विधानसभा का बाकी हिस्सा देने से इंकार कर दिया है. इस पर हरियाणा विधानसभा स्पीकर ज्ञान चंद गुप्ता ने कहा कि अब वो इस मामले में हरियाणा के अटॉर्नी जनरल से मिलकर कानूनी राय लेंगे.
फिर उठा हरियाणा विधानसभा के हिस्से का मुद्दा, जानें हरियाणा विधानसभा स्पीकर ने क्या कहा जरूरत पड़ने पर गृहमंत्री तक जाएंगे- गुप्ता
ज्ञानचंद गुप्ता ने कहा कि वो चंडीगढ़ के प्रशासक और पंजाब के राज्यपाल बीपी सिंह बदनौर से भी मुलाकात करेंगे. क्योंकि विधानसभा चंडीगढ़ के अधीन है. विधानसभा स्पीकर ने कहा कि जरूरत पड़ने पर देश के गृहमंत्री अमित शाह से भी मुलाकात की जाएगी. सत्ता और विपक्ष के विधायकों के साथ हरियाणा अपना अधिकार लेकर रहेगा. इससे पहले हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता ने पंजाब के विधानसभा स्पीकर से मिलकर उनको पत्र सौंपा था.
उस पत्र का जवाब देते हुए पंजाब के स्पीकर ने साफ किया कि पंजाब की तरफ से हरियाणा को कोई हिस्सा नहीं दिया जा सकता. हरियाणा विधानसभा के स्पीकर ने भी इसमें अब हरियाणा के एजी से कानूनी राय लेने का मन बनाया है. जल्द ही हरियाणा विधानसभा के स्पीकर एजी हरियाणा से इस पर कानूनी राय लेंगे. जब हरियाणा विधानसभा बनी थी तब 54 विधायक थे. अब हरियाणा में 90 विधायक हैं, जबकि विधानसभा में हरियाणा के मंत्रियों के अपने कमरे अलॉट नहीं है. जैसे कि पंजाब के मंत्रियों के पास है.
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बंटवारे के अनुसार 25 कमरे ऐसे हैं जो हरियाणा के नाम पर चिन्हित हैं. मगर आज तक मिले नहीं है. हरियाणा विधानसभा स्पीकर ज्ञान चंद गुप्ता ने कहा कि जब हरियाणा पंजाब से अलग हुआ तब 125 के करीब कर्मचारियों की संख्या थी. आज ये संख्या बढ़कर 350 हो गई है. अगर हरियाणा को उसका हिस्सा मिल जाता है तो कर्मचारियों को वहां बैठाया जा सकता है.