चंडीगढ़: हरियाणा विधानसभा के नए भवन के निर्माण (Haryana Vidhansabha New building Construction) को लेकर पंजाब के राजनीतिक दल एक सुर में विरोध करते नजर आ रहे हैं. हरियाणा चंडीगढ़ में नए विधानसभा का निर्माण करना चाह रहा है. इसके लिए वह चंडीगढ़ प्रशासन को जमीन के बदले जमीन देने की तैयारी में है लेकिन इस सब के बीच पंजाब के तमाम राजनीतिक दल हरियाणा के नए विधानसभा भवन के निर्माण के लिए चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा दी जाने वाली जमीन पर अपनी राजनीतिक रोटियां सेक रहे हैं, और अगर हरियाणा को जमीन दी जाती है तो इसके खिलाफ विरोध करने की बात कह रहे हैं.
हरियाणा विधानसभा (Haryana Vidhan Sabha) के नए भवन के निर्माण और आने वाले शीतकालीन सत्र को लेकर हरियाणा विधानसभा की क्या तैयारी है। इन सभी तमाम विषयों को लेकर ईटीवी भारत ने हरियाणा विधानसभा के अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता से खास बातचीत की. जिसमें उन्होंने पंजाब के राजनीतिक दलों के विरोध को राजनीति से प्रेरित बताया तो वही हरियाणा विधानसभा का सत्र दिसंबर के तीसरे सप्ताह में होने की उम्मीद जताई.
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पंजाब के तमाम सियासी दलों द्वारा हरियाणा विधानसभा के नए भवन (New building of Haryana Vidhansabha) के निर्माण को दी जाने वाली जमीन को लेकर जताए जा रहे विरोध पर हरियाणा विधानसभा के अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता ने कहा कि मुझे लगता है कि उन्हें शायद वास्तविकता की जानकारी नहीं है, इसलिए वे विरोध जता रहे हैं. उनका कहना है कि लोकतंत्र में जो हमारी संवैधानिक संस्थाएं हैं उनका मजबूत होना जरूरी है. वे कहते हैं कि अगर संविधानिक संस्थाओं के लिए जो सुविधाएं और आवश्यकताएं हैं वह नहीं मिल पाएंगी से तो उससे हमारा लोकतंत्र मजबूत नहीं हो पाएगा.
वे कहते हैं कि मैं पंजाब के तमाम राजनीतिक दलों से सवाल करना चाहूंगा कि जो हमारा 60 और 40 फीसदी का समझौता हुआ था और जिसमें से अभी तक हरियाणा को सिर्फ 27 फ़ीसदी ही मिल पाया है. 13 प्रतिशत अभी भी नहीं मिला है उसके लिए वे आवाज क्यों नहीं उठाते हैं. कहां तो उन्हें यह चाहिए था कि वह हमारे जो 13 फीसदी का हिस्सा है उसे दिलाने के लिए आवाज उठाते. हरियाणा को उसका हक दिलाने के लिए आगे आते लेकिन उसके बारे में भी कोई बात नहीं करते हैं.
उनका कहना है कि आज विधानसभा की जो स्थिति है उसके हिसाब से हमारी विधायकों संख्या अभी 90 है. जब हरियाणा विधानसभा वह बना था, उस समय विधायकों की संख्या 54 थी. वे कहते हैं कि 4 साल बाद जो परिसीमन होने वाला है उसके बाद यह संख्या करीब 125 तक हो जाएगी. वे कहते हैं कि विधानसभा का जो सदन का वर्तमान हॉल है उसमें 90 सीटों के इलावा दो अतिरिक्त सीटें लगाना भी मुश्किल है.