चंडीगढ़: कल यानी 2 अगस्त से हरियाणा विधानसभा का मानसून सत्र शुरू होने जा रहा है. कैबिनेट के फैसले के मुताबिक सत्र 2 अगस्त से 6 अगस्त तक चल सकता है, हालांकि विधानसभा की बिजनेस एडवाइजरी कमेटी इसमें बदलाव भी कर सकती है. इस बार का विधानसभा सत्र कई मायनों में अहम होगा. पहला तो ये कि इस बार का विधानसभा सत्र मनोहर सरकार के 5 सालों के कार्यकाल का आखिरी सत्र होगा. इसके अलावा दूसरी अहम बात ये होगी कि इस बार सदन में नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी खाली रहने वाली है.
बिना नेता प्रतिपक्ष के चलेगा सदन !
पिछले सत्रों में नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी इनेलो नेता अभय चौटाला के पास थी, लेकिन इनेलो में टूट और नई पार्टी जेजेपी के बन जाने से इनेलो के कई विधायक जेजेपी में शामिल हो गए. विधायकों की संख्या कम हो जाने की वजह से अभय चौटाला को नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी से इस्तीफा देना पड़ा.
अभय चौटाला दे चुके हैं इस्तीफा
अभय चौटाला के नेता प्रतिपक्ष के पद से इस्तीफा देने के बाद विपक्षी दल बनने का सौभाग्य कांग्रेस के हाथ लगा. जिसके बाद विधानसभा स्पीकर कंवरपाल गुर्जर ने कांग्रेस को नेता प्रतिपक्ष चुनने के लिए चिट्ठी लिखी.अब जब विधानसभा के मानसून सत्र में 1 दिन का वक्त बचा है, अभी भी कांग्रेस किरण चौधरी के नाम को फाइनल नहीं कर पाई है.
किरण चौधरी पर सहमति नहीं!
विधानसभा के मानसून सत्र से ठीक पहले कांग्रेस की आपसी कलह जोर पकड़ चुकी है. सूत्रों के मुताबिक पार्टी के 13 विधायकों ने कांग्रेस के हरियाणा प्रभारी गुलाम नबी आजाद को पत्र लिखकर कहा है कि वो नहीं चाहते हैं कि किरण चौधरी को नेता प्रतिपक्ष बनाया जाए. किरण ने स्पीकर को जब नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने के लिए पत्र लिखा तो किसी विधायक की राय तक नहीं ली गई, इसलिए हमारे में से किसी एक को नेता प्रतिपक्ष बनाया जाए.
गुटबाजी पड़ेगी भारी !
भले ही 28 जुलाई को लिखे गए इस पत्र पर कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व की कोई प्रतिक्रिया सामने ना आई हो, लेकिन इस पत्र से एक बार फिर हरियाणा कांग्रेस की फूट जगजाहिर हो गई है. जो आने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पर भारी पड़ सकती है.