चंडीगढ़: हरियाणा विधानसभा शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन विधानसभा में हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी संशोधन कानून पारित किया गया. हालांकि कांग्रेस विधायक शमशेर सिंह गोगी ने संशोधन कानून पर सवाल भी खड़े किए. उन्होंने कहा कि कमेटी को सिख गुरुद्वारों के रखरखाव के लिए बनाया गया है और यह कानून शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी कानून के आधार पर तैयार होनी चाहिए. पहले गुरुद्वारों पर महंतों का कब्जा था, लेकिन 1920 के कानून के बाद इन्हें मुक्त करवाया गया. सिखों का सरपरस्त गुरु ग्रंथ साहिब के अलावा कोई और नहीं हो सकता, लेकिन संशोधन में एक चुने हुए आदमी को कमेटी का सरपरस्त बनाया जाएगा. (Shiromani Gurdwara Parbandhak Committee Law)
उन्होंने कहा कि, आलिया में जो एग्जीक्यूटिव का चुनाव हुआ है, वह आरएसएस और बीजेपी का रूप दिखाई दे रहा है. जिस शख्स को हरियाणा गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया है वह खुद एक महंत है. क्या हरियाणा की बीजेपी सरकार 1920 से पहले गुरुद्वारों पर महंतों का जो कब्जा था, उस दौर को वापस लाना चाहती है. उन्होंने कहा कि सरकार बेशक कमेटी में अपने नुमाइंदे लगा दे, लेकिन सिख धर्म की मर्यादा बनी रहनी चाहिए.
कांग्रेस विधायक बीबी बत्रा ने भी संशोधन पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि, जो गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी कानून 2014 में कांग्रेस सरकार के दौरान बना था वह अलग है. जब कांग्रेस सरकार में अलग गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी बनी थी, तो पंजाब में इसका बहुत विरोध हुआ था. हरियाणा के सिखों का मानना था कि उनके राज्य में गुरुद्वारों की संपत्ति पर उनका हक होना चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकार के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का भी आभार व्यक्त करना चाहिए, जिन लोगों ने अलग गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी बनाने की लड़ाई लड़ी थी. सरकार ने उनको कमेटी से बाहर कर दिया जो गलत है. सरकार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले का राजनीतिक फायदा नहीं उठाना चाहिए. (haryana assembly winter session)
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सरकार को आम चुनाव के लिए 18 महीने का वक्त नहीं देना चाहिए था. क्योंकि कोई भी आदमी दोबारा कोर्ट जा सकता है. इस दौरान यदि कोई दूसरा फैसला आ गया तो सरकार क्या करेगी. सरकार को 6 महीने में चुनाव करवाने चाहिए. उन्होंने कहा कि, मामला दोबारा कोर्ट में जाता है, तो जीती हुई लड़ाई खटाई में जा सकती है. कानून में जो संरक्षक की भूमिका बनाई गई है, उसे सरकार को वापस संशोधन करना चाहिए. विधायक वरुण मुलाना ने भी गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी संशोधन पर सवाल उठाए.
कांग्रेस विधायक ने कहा कि सरकार कानून में संशोधन कर रही है कि यदि अगले 18 महीने में चुनाव नहीं हुए तो, अगले 18 महीने में चुनाव करवाए जाएंगे. यह सरकार का फैसला सही नहीं है. कांग्रेस विधायक शीशराम केहरवाला ने भी संशोधन का विरोध किया. विधायक राम कुमार गौतम ने कहा कि सिख और हिंदुओं को अलग नहीं देखा जा सकता. इनके अंदर रोटी और बेटी का रिश्ता है. कांग्रेस विधायक शमशेर सिंह गोगी ने कहा कि कमेटी में हिंदू और सिख का झगड़ा नहीं है, जो लोग गुरु नानक देव के शिक्षाओं को मानते हैं वह सारे सिख हैं. उन्होंने कहा कि, एक राजनीतिक विचारधारा का सदस्य अध्यक्ष न बने इस बात को लेकर ऐतराज है. शमशेर सिंह गोगी ने कहा कि सिख धर्म में गुरु नानक देव को ही पैटर्न बनाया जाना चाहिए, जो पैटर्न सरकार बना रही है वह बिल्कुल गलत है. इसके साथ ही कांग्रेस के कई विधायकों ने भी ऐतराज जताया है.