चंडीगढ़ःहरियाणा में अक्सर रोडवेज कर्मचारी नेता और सरकार के बीच तनातनी देखने को मिलती रही है. पिछले समय में हरियाणा में मनोहर सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान प्राइवेट रूट परमिट दिए जाने को लेकर विवाद देखने को मिला था. अब एक बार फिर वो विवाद तूल पकड़ता नजर आने लगा है. एक ओर जहां मुख्यमंत्री ने प्राइवेट रूट परमिट को वापस लेने से इंकार कर दिया है तो वहीं रोडवेज कर्मचारियों ने भी आर पार की लड़ाई की चेतावनी दे डाली है.
पहले भी हो चुकी है 18 दिन की लंबी हड़ताल
हरियाणा में सत्ताधारी पार्टी और रोडवेज कर्मचारियों के बीच टकराव देखने को मिलता रहा है. पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के 10 साल के कार्यकाल के दौरान हरियाणा में 3519 रूट परमिटों को लेकर कई बार सरकार और रोडवेज कर्मचारी आमने-सामने हुए और बढ़ा टकराव भी देखने को मिला. वहीं हरियाणा के मनोहर सरकार पार्ट वन के दौरान 710 प्राइवेट रूट परमिट को लेकर सरकार और कर्मचारी आमने सामने आए हैं और हरियाणा में रोडवेज की 18 दिन लंबी हड़ताल देखने को मिली.
निजीकरण बर्दाश्त नहीं - रोडवेज कर्मचारी
मनोहर सरकार पार्ट टू के दौरान हरियाणा के मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कर दिया है कि प्राइवेट रूट परमिट वापस नहीं होंगे यानी कि सरकार की रोडवेज पॉलिसी के तहत मुख्यमंत्री अपनी बात पर अटल नजर आ रहे हैं. वहीं रोडवेज कर्मचारी नेताओं का दावा है किसी भी हाल में निजीकरण बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. वहीं हरियाणा के मुख्यमंत्री की तरफ से दिए गए बयान को उन्होंने चिंताजनक बताया है.