चंडीगढ़: हरियाणा में स्कूलों की मान्यता (Private Schools Recognition Controversy in Haryana) को लेकर निजी स्कूल संचालक परेशानियों का सामना कर रहे हैं. जिसकी वजह से करीब 5 हजार स्कूल बंद होने की कगार पर पहुंच गए हैं. जिनमें 2 हजार से अधिक वह स्कूल हैं, जो अस्थाई मान्यता प्राप्त हैं. जिससे करीब 5 लाख बच्चों का भविष्य अंधकार में दिखाई दे रहा है. क्या है पूरा मामला, और सरकार क्या इस मामले में क्या कर रही है? इस मामले को लेकर ईटीवी भारत ने हरियाणा प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा से बातचीत की.
हरियाणा प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन (Haryana Private School Association) के अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा ने बताया कि 2003 में सरकार के बनाए नियमों को जो स्कूल पूरा कर लेते थे, उनको स्थाई मान्यता मिल जाती थी. उन्होंने कहा कि उस समय नियम बहुत ही सरल थे, बाद में सरकार ने इन नियमों को सख्त कर दिया. जिसमें जमीन, कमरे, बरामदे या स्कूल के इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर सख्त नियम बनाए गए. इन नियमों को पुराने स्कूल किसी भी अवस्था में पूरा नहीं कर सकते हैं. जिसकी वजह से यह पेचीदगी खड़ी हुई है. वहीं सरकार ने 2003 से पहले से चल रहे स्कूल या 2003 से 2007 के बीच अस्थाई या बिना मान्यता के चल रहे स्कूलों को भी नियम मानने के लिए बाध्य कर दिया है. सरकारी नियम नहीं मानने पर अब निजी स्कूल संचालित नहीं किए जा सकेंगे.
नियमों की पालना नहीं कर रहे सरकारी स्कूल:कुलभूषण ने कहा कि ऐसा नहीं है कि प्राइवेट स्कूल ही उन नियमों की पालना नहीं कर पा रहे हैं. ऐसे कई सरकारी स्कूल भी हैं, जो उन नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं. कुलभूषण ने आरटीआई से इस संबंध में ऐसे 200 सरकारी स्कूलों की जानकारी जुटाई है. जिसमें 18 मिडिल स्कूल 102 हाई स्कूल और कुछ सीनियर सेकेंडरी स्कूल शामिल हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि प्रदेश सरकार ने नियमों के नाम पर छोटे निजी स्कूलों पर कुठाराघात किया है. जिनमें से कई निजी स्कूल तो सरकारी स्कूल से भी कम फीस पर बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं. इन स्कूलों को पहले हर वर्ष एक्सटेंशन दी जाती थी, सरकार ने अब इसे भी बंद कर दिया है. जबकि सरकारी स्कूल भी इन नियमों को पूरा नहीं कर पा रहे हैं.
निजी स्कूलों पर हीक्यों लागू हो नए नियम : एसोसिएशन के अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा ने कहा कि नियम इतने कठोर हैं कि यह शायद ही कभी पूरे हो पाए. ऐसे में इस विषय को लेकर सरकार को निजी स्कूलों के साथ बैठक कर समाधान निकालना चाहिए. ऐसा नहीं होने पर उन्होंने उन सरकारी स्कूलों को भी बंद करने की मांग की, जो नियम की पालना नहीं कर पा रहे हैं. कुलभूषण शर्मा ने कहा कि सरकार के पास बहुत सारे संसाधन हैं. जिसके बावजूद कई सरकारी स्कूल नियमों की पालना नहीं कर पा रहे हैं. फिर निजी स्कूलों से ही इन नियमों की पालना करने की अपेक्षा क्यों की जा रही है.
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