चंडीगढ़: हरियाणा के 65 प्रतिशत लोग खेती से जुड़े हैं. देश के 60 प्रतिशत से ज्यादा बासमती चावल का निर्यात अकेले हरियाणा से किया जाता है. इसके अलावा हरियाणा की एक और खासियत है. यहां अंडे का कारोबार बड़े पैमाने पर होता है. तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल के बाद हरियाणा अंडा उत्पादन में अग्रणी राज्यों में आता है. 2018-19 में हरियाणा में 55 हजार 855 लाख अंडों का उत्पादन किया गया था. इसके अलावा हरियाणा में करीब 4 करोड़ 28 लाख 21 हजार मुर्गे हैं, लेकिन लॉकडाउन की वजह से हरियाणा में पोल्ट्री फार्मिंग का कारोबार पूरी तरह से तबाह हो चुका है.
हरियाणा में 15 हजार करोड़ा का है पोल्ट्री व्यवसाय
अगर बात हरियाणा की करें तो यहां 15 हजार करोड़ का पोल्ट्री बिजनेस होता है. अकेले जींद जिले में 5 हजार करोड़ की पोल्ट्री इंडस्ट्री है. जींद जिला उत्तर भारत का सबसे ज्यादा अंडा उत्पादन केन्द्र है. इस करोबार से करीब 2 लाख किसान और मजदूर जुड़े हुए हैं. जींद जिला उत्तर भारत में हैचरी व्यवसाय का सबसे बड़ा केंद्र है. जींद के अलावा पोल्ट्री व्यवसाय पानीपत, यमुनानगर, कुरुक्षेत्र , गुरुग्राम जिलों में भी बड़ी मात्रा में होता है. लेकिन लॉकडाउन से 15 हजार करोड़ की पोल्ट्री इंडस्ट्री बुरी तरह प्रभावित हुई है, जबकि इससे जुड़े व्यवसायियों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा रहा है.
क्या है पोल्ट्री फार्मिंग ठप होने का कारण?
दरअसल, लॉकडाउन की वजह से गाड़ियों की आवाजाही पूरी तरह से बंद है. ऐसे में पोल्ट्री फार्म तक मुर्गों की फीड नहीं पहुंच पा रही है. अगर किसी तरह से फीड फार्म तक पहुंच भी रही है तो मुर्गें फार्म से बाहर नहीं जा पा रहे हैं. ऐसे में पोल्ट्री फार्म मालिक हजारों-लाखों के मुर्गे या तो जिंदा जमीन में दबाने को मजबूर हो रहे हैं. या फिर मुर्गों को मुफ्त में बांटा जा रहा है.
क्या कहना है पोल्ट्री फार्मर्स का ?