चंडीगढ़: साल 2022 हरियाणा की राजनीति में बड़ा उलटफेर रहा. वर्तमान में हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी और जननायक जनता पार्टी मिलकर गठबंधन की सरकार चला रही हैं. दोनों के लिए ये साल काफी चुनौतिपूर्ण रहा है. कई बार कैबिनेट में बदलाव की चर्चाएं तेज हुई, तो कभी मुख्यमंत्री को ही बदलने की. माना जा रहा है कि एक तरफ गठबंधन की सरकार हरियाणा निकाय चुनाव में उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर पाई. दूसरी तरफ आदमपुर उपचुनाव में जीत दर्ज कर हरियाणा विधानसभा में अपनी स्थिति मजबूत की. बात करें कांग्रेस की तो इस साल भी शायद हरियाणा कांग्रेस में कलह जारी रही. इसका खामियाजा कांग्रेस को भुगतना भी पड़ा.
चाहे वो दिग्गज नेता कुलदीप बिश्नोई के पार्टी छोड़ने का फैसला हो या फिर आदमपुर उपचुनाव में मिली हार. धड़ों में बंटी कांग्रेस इस साल भी बिखरी हुई नजर आई. इंडियन नेशनल लोकदल यानी इनेलो के लिए ये साल कुछ अच्छा नहीं रहा. वो इस साल भी साख को बचाने की कोशिश में रही. इस बीच हरियाणा में आम आदमी पार्टी की एंट्री हुई. इस साल हुए आमदपुर उपचुनाव और हरियाणा निकाय चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन ना के बराबर रहा. वहीं जिला परिषद चुनाव में आम आदमी पार्टी को अच्छा खासा जनाधार संजीवनी को रूप में मिला.
हरियाणा कांग्रेस संगठन में बदलाव: अप्रैल 2022 में हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी सैलजा ने इस्तीफा दे दिया था. जिसके बाद तत्कालीन कांग्रेस विधायक कुलदीप बिश्नोई प्रदेश अध्यक्ष की रेस में आगे बताए जा रहे थे. उन्हें इस पद का प्रबल दावेदार भी माना जा रहा था, लेकिन आलाकमान ने पूर्व विधायक उदय भान को प्रदेश कांग्रेस की कमान सौंप दी और श्रुति चौधरी, राम किशन गुर्जर, जितेंद्र भारद्वाज और सुरेश गुप्ता के रूप में चार कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त कर दिए. प्रदेश अध्यक्ष ना बनाए जाने से कुलदीप बिश्नोई पार्टी आलाकमान से नाराज दिखाई दिए. बिश्नोई ने प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने को लेकर कई बार दिल्ली दरबार में हाजिरी लगाई और आला नेताओं से मुलाकात की, लेकिन तवज्जो हुड्डा गुट को दी गई. जिसके बाद बिश्नोई ने बगावत का रास्ता चुना.
हरियाणा में राज्यसभा चुनाव: कांग्रेस संगठन में बदलाव के बाद जून में हरियाणा की दो सीटों पर राज्यसभा का चुनाव हुआ. पहले तो बीजेपी और कांग्रेस ने एक-एक उम्मीदवार मैदान में उतारा, लग रहा था कि दोनों ही पार्टियों के उम्मीदवार दर्ज कर लेंगे, लेकिन अंतिम समय में जेजेपी के सहयोग से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर कार्तिकेय शर्मा ने नामांकन दाखिल कर माहौल ही बदल दिया. इस चुनाव में साल 2016 की तरह ही कांग्रेस के बहुमत होते हुए भी निर्दलीय उम्मीदवार कार्तिकेय शर्मा ने जीत दर्ज की. तत्कालीन कांग्रेस विधायक कुलदीप बिश्नोई ने इस चुनाव में क्रॉस वोटिंग की. जबकि कांग्रेस का एक वोट रद्द हो गया. जिसकी वजह से कांग्रेस उम्मीदवार अजय माकन की हार हुई.
हरियाणा में राज्यसभा की 2 सीटों के लिए 3 उम्मीदवार मैदान में थे, आंकड़ों के हिसाब से बीजेपी उम्मीदवार कृष्ण पंवार का राज्यसभा पहुंचना पहले से तय था. क्योंकि उन्हें जीत के लिए 31 वोटों की जरूरत थी और बीजेपी के 40 विधायक थे (अब 41 हैं). पूरी लड़ाई दूसरी सीट के लिए थी. कृष्ण लाल पंवार (Krishan lal panwar) को फर्स्ट प्रिफरेंस में 36 विधायकों के वोट मिले, अजय माकन को 29, जबकि कार्तिकेय शर्मा को 23 विधायकों का समर्थन मिला. इसके साथ ही कांग्रेस का एक वोट रद्द भी हुआ, जबकि कुलदीप बिश्नोई का वोट भी निर्दलीय के समर्थन में गया. वहीं निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू ने वोट नहीं डाला. इस वजह से कांग्रेस को इसका खामियाजा चुनाव हारकर भुगतना पड़ा और कार्तिकेय शर्मा चुनाव जीत गए.
कुलदीप बिश्नोई बीजेपी में हुए शामिल: राज्यसभा चुनाव का कांग्रेस पार्टी पर सीधा असर पड़ा. कुलदीप बिश्नोई ने राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग की थी. लिहाजा कांग्रेस पार्टी के नेताओं और कुलदीप बिश्नोई के बीच तीखी बयानबाजी होने लगी. जिसके बाद कुलदीप बिश्नोई ने कांग्रेस विधायक पद से इस्तीफा दे दिया और बीजेपी का दामन थाम लिया. दूसरी तरफ राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस की तरफ से एक वोट किसका कैंसिल हुआ. इसको लेकर कांग्रेस में हंगामा होता रहा. ये बात आज तक साफ नहीं हो पाई है कि वो वोट किसका था, जो कैंसिल हुआ. इसी एक वोट के चक्कर में तत्कालीन हरियाणा कांग्रेस प्रभारी विवेक बंसल और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र हुड्डा के गुट में तलवारें खिंच गई.
आदमपुर उपचुनाव: राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग के बाद कुलदीप बिश्नोई कांग्रेस विधायक पद से इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल हो गए. उनके विधायक पद से इस्तीफा देने के बाद आदमपुर में उपचुनाव हुआ. इस उपचुनाव में कुलदीप बिश्नोई ने अपने बेटे भव्य बिश्नोई को मैदान में उतारा. बीजेपी के उम्मीदवार के तौर पर भव्य बिश्नोई ने कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार जयप्रकाश को करीब 16000 मतों से हरा दिया. इस उपचुनाव में जीत के लिए कांग्रेस पार्टी ने एड़ी चोटी का जोर लगाया था, लेकिन उसे हार का सामना करना पड़ा.