चंडीगढ़ः ताऊ देवीलाल, बंसीलाल और भजन लाल के साथ ही पूर्व सीएम हुड्डा के गढ़ में इस बार सबसे ज्यादा मतदान हुआ है. ये अधिक मतदान किस करवट में बैठेगा, इसे लेकर सियासी गलियारों में कयासबाजी शुरू हो गई है. फिलहाल तो इंतजार 23 मई का है जब ईवीएम खुलने के बाद पूरी स्थिति साफ हो जाएगी. अभी तो जाट बहुल के साथ ही एससी सीट सिरसा पर ज्यादा मतदान किसके पक्ष में रहेगा, इसका हिसाब किताब राजनीतिक विश्लेषक लगा रहे हैं.
सिरसा में हुआ सबसे ज्यादा मतदान
हिसार, सिरसा और रोहतक को तो 2014 में कांग्रेस और इनेलो ने मोदी लहर में बचा लिए थे. उस समय देश में कांग्रेस विरोधी लहर थी. चुनाव में प्रदेश की सभी दस लोकसभा सीटों पर जमकर मतदान हुआ था, जिसमें सिरसा मतदान प्रतिशत में टॉप पर था. उसके बाद हिसार, कुरुक्षेत्र, अंबाला, गुरुग्राम, करनाल, भिवानी-महेंद्रगढ़, सोनीपत, रोहतक और फरीदाबाद का नंबर था. इस बार सिरसा फिर मतदान प्रतिशत को लेकर अव्वल है, लेकिन पिछले चुनाव की तुलना लगभग छह फीसदी वोट कम पड़े हैं.
राजनीतिक दलों को किसी चमत्कार की आस
इस बार जाट बहुल सीटों रोहतक, सोनीपत, हिसार, कुरुक्षेत्र और भिवानी-महेंद्रगढ़ में करनाल, अंबाला, फरीदाबाद और सोनीपत की तुलना अच्छी-खासी वोटिंग हुई है. सीएम सिटी करनाल में इस बार सबसे कम मतदान हुआ है. गुरुग्राम और फरीदाबाद ने भी मतदान में निराश किया है. पिछली बार गुरुग्राम में मतदान प्रतिशत 72 पार तो फरीदाबाद में 65 फीसदी से अधिक था. इस बार ये दोनों शहर 65 फीसदी से नीचे हैं. जाट बहुल सीटों पर अधिक मतदान होने से कांग्रेस को जहां वापसी की उम्मीद जगी हैं, वहीं भाजपा अबकी बार ऐतिहासिक प्रदर्शन का दावा कर रही है. इनेलो और जेजेपी को भी चमत्कार की आस हैं.