चंडीगढ़: पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र हुड्डा ने केंद्र और प्रदेश सरकार पर निशाना साधा है. भूपेंद्र हुड्डा ने मोदी सरकार की ओर से हाल ही में लाए गए किसानों से जुड़े तीन अध्यादेशों पर अपनी प्रतिक्रिया दी. हुड्डा ने ETV भारत के साथ बातचीत में कहा कि ये सरकार का बेहद निराशाजनक फैसला है. इससे किसानों को कोई फायदा नहीं होगा, वहीं हरियाणा और पंजाब जैसे कृषि प्रधान प्रदेशों में जमीदारों को नुकसान उठाना पड़ेगा.
'सरकार के फैसले में संशोधन की जरूरत है'
नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र हुड्डा ने कहा कि सरकार के इस फैसले की वजह से किसान अपनी ही जमीन पर मजदूर बनकर रह जाएगा. अब किसान अपनी आवाज कहीं किसी कोर्ट में भी नहीं उठा पाएगा. सरकार के फैसले में संशोधन की जरूरत है. किसानों की आमदनी दोगुनी करने की एक तरफ सरकार बात करती है, दूसरी तरफ किसान की आमदनी बढ़ने की बजाय घट गई है.
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उन्होंने कहा कि किसान के फसलों की पैदावार बढ़ाने पर जोर दिया जाना चाहिए. अच्छे खाद-बीज मुहैया कराने चाहिए. किसान की लागत बढ़ रही है. डीजल की कीमत बढ़ रही है जबकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल सस्ता है. स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को लागू करने से ही किसान का भला हो सकता है.
सरकार ने किसानों को परेशान किया
उन्होंने कहा कि इस सरकार में किसान मंडियों में परेशान हुआ, उनकी समय पर पेमेंट भी नहीं हुई. इस सरकार ने किसानों को धान नहीं लगाने के आदेश कर दिए. उन्होंने कहा कि सरकार ने जो फैसले लिए उससे गरीब और मध्यम लोगों पर मार पड़ी है, सरकार ने प्रदेश में किसी वर्ग को कुछ नहीं दिया.
कौन से हैं ये तीन अधिनियम?
- पहला अध्यादेश है अत्यावश्यक वस्तु अधिनियम का. इस कानून मे केंद्र सरकार ने संशोधन किया है ताकि खाद्य-उत्पादों पर लागू संग्रहण की मौजूदा बाध्यताओं को हटाया जा सके.
- दूसरा अध्यादेश है, केंद्र सरकार ने एक नया कानून (द फार्मर्स प्रोड्यूस ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रोमोशन एंड फेसिलिएशन) अध्यादेश, 2020) एफपीटीसी नाम से बनाया है जिसका मकसद कृषि उपज विपणन समितियों (एपीएमसी) के एकाधिकार को खत्म करना और हर किसी को कृषि-उत्पाद खरीदने-बेचने की अनुमति देना है.
- तीसरा अध्यादेश है, एक नया कानून एफएपीएएफएस (फार्मर(एम्पावरमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑन प्राइस एश्युरेंस एंड फार्म सर्विसेज आर्डिनेंस,2020) बनाया गया है. इस कानून के जरिये अनुबंध आधारित खेती को वैधानिकता प्रदान की गई है ताकि बड़े व्यवसायी और कंपनियां अनुबंध के जरिये खेती-बाड़ी के विशाल भू-भाग पर ठेका आधारित खेती कर सकें.
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