चंडीगढ़: राजनेता बड़े-बड़े दावे कर लें, बड़ी-बड़ी बाते कर लें, लेकिन वो दावे और वादे जमीन पर अमलीजामा पहनें... इसकी कोई गारंटी नहीं है. इस बात की बानगी इस वक्त हरियाणा में देखी जा रही है. दिवाली का मौका है, खुशियां मानाई जा रही हैं, लेकिन इस वक्त प्रदेश में किसान मायूस हैं.
किसानों ने सालभर खून-पसीना बहाकर फसल उगाई है. कोरोना काल में जिंदगी दाव पर लगा कर मंडी में बेचने पहुंचे. जैसे तैसे फसल बिकी, तो पेमेंट नहीं मिली. अब किसानों को ये चिंता सता रही है कि खाली जेब दिवाली कैसे मनाएं, बच्चों को कैसे मिठाई दिलाएं, बिन पैसों के कैसे वो अपने घर को रौशन करें.
सरकार ने दिवाली से पहले किया था पेमेंट का वादा, ये किसान अभी भी हैं इंतजार में सीएम और डिप्टी सीएम ने की थी घोषणा
बता दें कि खुद मुख्यमंत्री ने ये दावा किया था इस बार हम किसानों को दिवाली से पहले पेमेंट दे देंगे. दिवाली के दिन जिन किसानों का फसल खरीद का टोकन है वो दो दिन बाद भी अपनी फसल बचे सकते हैं. इतना ही नहीं खुद उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला भी सीएम मनोहर लाल का बयान दोहरा चुका हैं. दुष्यंत चौटाला ने दो दिन पहले ही आश्वासन दिया था कि जिन किसानों की 10 नवंबर को या उससे पहले खरीद हुई थी, उनकी पेमेंट दिवाली से पहले हो जाएगी.
9 हजार करोड़ की पेमेंट हो चुकी है- पीके दास
वहीं बात सरकारी आंकड़ों की करें, तो खाद्यय एवं आपूर्ति विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव पीके दास ने बताया कि अब तक 9 हजार करोड़ रुपये की पेमेंट हो चुकी है. 4 लाख किसानों की पेमेंट आढ़तियों के माध्यम से की गई है, जबकि साढ़े 3 लाख किसानों के खातों में सीधी पेमेंट कर दी गई है, लेकिन इन तीन लाख किसानों में से 48 हजार किसानों का खाता नंबर गलत था... जिस वजह से उनको ट्रांसफर की गई पेमेंट रिफंड हो गई है.
एक भी रुपया खाते में नहीं आया- किसान
ईटीवी भारत की टीम ने पेमेंट को लेकर कई किसानों से भी बातचीत की, तो पता चला कि सरकारी कागजों में दावा तो किया जा रहा है कि सरकार ने जो कहा वो किया, लेकिन जमीनी स्तर पर किसान आज भी पेमेंट का इंतजार कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि सरकार ने 72 घंटे में पेमेंट करने वादा किया था, लेकिन 1 महीने बाद भी उनकी पेमेंट नहीं हो रही है. जिस वजह से उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. किसानों ने कहा कि उनकी अगली फसल लगाने का वक्त है, लेकिन जब पिछली फसल के पैसे नहीं मिलेंगे तो कैसे अगली फसल तैयार कर सकेंगे.
उम्मीद... जब उम्मीद टूटती है तो इंसान कैसा महसूस करता है, इस बात को सिर्फ संवेदनशील लोग ही समझ सकते हैं. सीएम और डिप्टी सीएम के वादे के बाद इन किसानों के मन में भी एक उम्मीद जगी होगी, कि इस बार दिवाली पर पूरा परिवार जम खरीददारी करेगा, नए कपड़े खरीदेगा, मिठाइंया, गिफ्ट्स और ना जाने क्या-क्या, लेकिन पेमेंट के इंतजार में त्योहार का दिन आ गया और आज तंगी में अन्नदाताता दिवाली मना रहा है.
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