चंडीगढ़:हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने मंगलवार को वित्त वर्ष 2022-23 के लिए 1.77 लाख करोड़ रुपये का बजट (haryana budget 2022) पेश किया. इस दौरान सीएम ने एक ऐसी घोषणा की जिसने एक बार फिर सबको देश की लोकप्रिय नेता सुषमा स्वराज की याद दिला दी. मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने विधानसभा में बजट पेश करते हुए महिलाओं के लिए 'सुषमा स्वराज पुरस्कार' (sushma swaraj award) की घोषणा की. ये पुरस्कार विभिन्न क्षेत्रों में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महिलाओं को उनके महत्वपूर्ण योगदान या उपलब्धियों के लिए दिया जाएगा.
क्या है सुषमा स्वराज पुरस्कार?
सदन में बजट पेश करते हुए मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने स्व. सुषमा स्वराज का जिक्र करते हुए कहा कि हरियाणा की बेटी भारत की सभी बेटियों के लिए प्रेरणा थीं. उन्होंने कहा कि आज वे उनके नाम पर राज्य स्तरीय पुरस्कार की घोषणा करते हैं. इसमें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मुकाम हासिल कर चुकी महिलाओं को प्रशस्ति पत्र और 5 लाख रुपये का इनाम दिया जाएगा. सीएम के द्वारा की गई इस घोषणा के बाद लोगों को एक बार फिर स्व. सुषमा स्वराज की याद आई. आइए आपको बताते हैं कि हरियाणा से सुषमा स्वराज का क्या नाता रहा है और उनकी उपलब्धियों के बारे में.
सुषमा स्वराज की शिक्षा और करियर
सुषमा स्वराज का जन्म 14 फरवरी 1952 को हरियाणा के अंबाला कैंट में हुआ था. उनके पिता हरदेव शर्मा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ सदस्यों में से एक थे. उनके माता-पिता का संबंध पाकिस्तान के लाहौर स्थित धर्मपुरा इलाके से था. 13 जुलाई 1975 को स्वराज कौशल से सुषमा स्वराज ने शादी की. दोनों आपातकाल के दौरान एक-दूजे के करीब आए थे. उनकी एक बेटी बांसुरी है. सुषमा स्वराज ने पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़ से वकालत की पढ़ाई की थी. उनके पास संस्कृत और राजनीति विज्ञान में डिग्री भी है. इतना ही नहीं देश की शीर्ष अदालत यानी सुप्रीम कोर्ट में एक वकील के तौर पर उन्होंने अभ्यास किया था. बाद में 1970 के दशक में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के साथ उन्होंने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की. आपातकाल के बाद वह भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गईं. धीरे-धीरे पार्टी में उनका कद बढ़ता चला गया.
सुषमा स्वराज का राजनीतिक जीवन
साल 1977 में उन्होंने अंबाला छावनी विधानसभा क्षेत्र से हरियाणा विधानसभा के लिए विधायक का चुनाव जीता और चौधरी देवी लाल की सरकार में 1977 से 79 के बीच राज्य की श्रम मंत्री रह कर 25 साल की उम्र में कैबिनेट मंत्री बनने का रिकार्ड बनाया था. 1979 में तब 27 वर्ष की स्वराज प्रदेश में जनता पार्टी की प्रदेश अध्यक्ष बनीं. 80 के दशक में स्वराज भाजपा में शामिल हो गईं. 1987 से 1990 तक दोबारा अंबाला कैंट से विधायक रहीं. इसके बाद वह 1987 से 1990 तक हरियाणा की शिक्षा मंत्री भी रहीं.