चंडीगढ़: महिलाएं यानी दुनिया की आधी आबादी. महिलाएं हर क्षेत्र में पुरुषों से कंधा मिलाकर चल रही है, लेकिन बड़ी अचरज की बात है कि हरियाणा में महिलाओं की भागीदारी औसतन बहुत कम है. हरियाणा के गठन से लेकर अब तक यहां से केवल पांच महिलाएं ही संसद तक पहुंच पाई हैं.
6 लोकसभा क्षेत्र ने कभी नहीं बनाया महिला सांसद
इतिहास गवाह है कि हरियाणा में करनाल, रोहतक, हिसार, फरीदाबाद, गुरुग्राम और सोनीपत संसदीय सीटें ऐसी हैं जहां से लोगों ने कभी किसी महिला को नहीं जिताया है. हालांकि जनता के प्यार के साथ-साथ, बड़ी पार्टियों का नाम और अपने परिवार का राजनीतिक बैकग्राउंड कुछ महिलाओं के साथ रहा और संसद तक जा पहुंची.
हरियाणा की राजनीति में महिलाओं का रोल
1966 में हरियाणा बनने के इतने साल बाद तक यहां से 51 महिलाएं ही विधान सभा और लोकसभा तक पहुंच पाई हैं. लोकसभा तक पहुंचने वाली महिलाओं की संख्या केवल 5 है. जिनमें कांग्रेस की चंद्रावती, कुमारी शैलजा और श्रुति चौधरी, भाजपा से सुधा यादव व इनेलो से कैलाशो सैनी शामिल हैं.
कुमारी सैलजा तीन बार बनीं सासंद
सबसे ज्यादा तीन बार कांग्रेस की कुमारी सैलजा संसद पहुंचीं. वो दो बार अंबाला और एक बार सिरसा आरक्षित सीट पर चुनी गईं. इस बार भी कांग्रेस प्रत्याशी कुमारी सैलजा और भाजपा से रतन लाल कटारिया चुनावी मैदान में आमने-सामने हैं. पूर्व में सैलजा दो बार वर्तमान सांसद कटारिया को शिकस्त दे चुकी हैं. मगर इस बार समीकरण कुछ बदले-बदले हैं और मुकाबला दोनों में दिलचस्प होने की उम्मीद हैं.
2014 लोकसभा चुनाव में कटारिया को 50 फीसदी से भी अधिक वोट मिले थे. वर्ष 2004 के चुनाव में कुमारी सैलजा ने कटारिया को मात दी थी. तब चुनाव में सैलजा को 4,15,264 मत मिले थे जबकि कटारिया को 1,80,329. इसी तरह 2009 चुनावों में सैलजा को 3,22,258 मत पड़े थे जबकि कटारिया को 3,07,688. वहीं 2014 के चुनाव में रतनलाल कटारिया को 6,12,121 मत पड़े जबकि उनके खिलाफ मैदान में उतरे कांग्रेस के राजकुमार वाल्मीकि को 2,72,047 मत मिले थे.
बंसी लाल की पौत्री भी हैं मैदान में
चौधरी बंसी लाल की पौत्री श्रुति चौधरी इस बार भी मैदान में हैं. भिवानी में कांग्रेस ने पूर्व सांसद श्रुति चौधरी को चुनाव मैदान में उतारा है तो भाजपा ने अपने निवर्तमान सांसद धर्मबीर पर दाव खेला है. पिछली बार 2014 के आम चुनाव के दौरान श्रुति धर्मबीर सिंह से हार गई थीं, लेकिन बात 2009 की करें तो वो संसद में भिवानी का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं.
चंद्रावती बनी थीं हरियाणा की पहली सांसद
70 के दशक में जनता पार्टी की ओर से भिवानी संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ते हुए चरखी दादरी के गांव डालावास चंद्रावती ने प्रदेश के कद्दावर नेता और पूर्व सीएम बंसीलाल को करारी शिकस्त देते हुए हरियाणा की पहली महिला सांसद बनने का गौरव प्राप्त किया. 1977 में जब राजनीति में महिलाओं की भागीदारी न के बराबर थी, चरखी दादरी की चंद्रावती ने भिवानी लोकसभा क्षेत्र के पहले चुनाव में 67.62 प्रतिशत वोट लेकर जीत का जो रिकार्ड बनाया था, वह आज तक तोड़ा नहीं जा सका है.