चंडीगढ़:कृषि कानूनों के विरोध में किसानों के आंदोलन को 68 दिन हो चुके हैं. अभी तक सरकार और किसान संगठनों के बीच किसी भी बिंदु पर सहमति नहीं बनी है. आलम ये है कि 26 जनवरी को जो कुछ दिल्ली में हुआ उसके बाद से अब किसानों के मोर्चों पर और और अधिक किसान इकट्ठा होने लगे हैं. धरनास्थल पर ज्यादातर किसान अब हरियाणा से आ रहे हैं. इसके पीछ मुख्य कारण है गांवों में हो रही पंचायतें.
हरियाणा में किसानों को इकट्ठा करने के लिए लगातार महापंचायतों का दौर जारी है. आज जींद के कंडेला गांव में किसानों और खापों की महापंचायत का आयोजन किया जाएगा. खास बात ये है कि महापंचायत में भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत भी पहुंचेंगे.
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महापंचायत में भाकियू राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रामफल कंडेला, राष्ट्रीय महासचिव युद्धवीर सिंह और प्रदेश अध्यक्ष रतनमान सहित प्रदेश भर के किसान भाग लेंगे. भाकियू की ओर से पंचकूला, अंबाला, यमुनानगर, कुरुक्षेत्र, कैथल, फतेहाबाद, सिरसा, करनाल, पानीपत, भिवानी, सोनीपत, झज्जर, दादरी सहित कई जिलों के किसानों को इस महापंचायत में आमंत्रित किया गया है.
6 फरवरी को किसानों का चक्का जाम
कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन अब विशाल रूप लेता जा रहा है. अभी तक जहां इस आंदोलन को सिर्फ हरियाणा और पंजाब का बताया जा रहा था. वहीं अब इस आंदोलन में राजस्थान, उत्तरप्रदेश और कई राज्यों के किसान अहम भूमिका निभा रहे हैं. इसी बीच किसान संगठनों ने कृषि कानूनों के विरोध में 6 फरवरी को देश भर में चक्का जाम करने का फैसला लिया है.